Modi : पश्चिमी देशों ने रूस से सस्ता तेल आयात करने के लिए भारत की प्रशंसा की. यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका सहित कई देशों द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है.
Modi : हाल ही में उज्बेकिस्तान के समरकंद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई मुलाकात चर्चा में थी. और यह सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ था. इस समय मोदी ने पुतिन को यूक्रेन में युद्ध की सलाह भी दी थी. इस सुझाव की दुनिया भर में सराहना हो रही है.
दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है. जब कुछ पश्चिमी देशों ने रूस से सस्ता तेल आयात करने को लेकर भारत की आलोचना की थी. और भारत की जमकर तारीफों के पूल बांधे थे. लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर अमेरिका सहित कई देशों द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है. Modi
जो की मजबूत रिश्ते का जीता जागता उदाहरण माना जाता रहा हैं. रूस से तेल खरीदकर भारत ने 35,001 करोड़ रुपये की भारी बचत की है. जिसके लिए भारत में सराहना हो रही हैं. Modi
विरोध के बाद भी भारत का फैसला
दरअसल, भारत ने पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद तेल आयात करने का फैसला किया. इस निर्णय के पक्ष और विपक्ष में गरमागरम बहस हो रही है. और सोशल मीडिया पर यह छाया हुआ हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट ने डेटा पेश करते हुए कहा कि भारत ने इस साल की पहली तिमाही में रूस से 6.6 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया. दूसरी तिमाही में यह बढ़कर 84.1 मिलियन टन हो गया. Modi
इस दौरान रूस ने भी 30 डॉलर प्रति बैरल की रियायत की पेशकश की. नतीजतन, पहली तिमाही में आयात किए गए एक टन कच्चे तेल की कीमत लगभग $791 थी. जिससे साफ जाहिर होता है की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत-रूस के रिश्ते को मजबूती देना चाहते हैं. Modi
3500 करोड़ का मुनाफा
उसके बाद दूसरी तिमाही में यह गिरकर 740 डॉलर पर आ गया. इस तरह भारत को कुल 35,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ. साथ ही अन्य स्रोतों से आयात लागत में वृद्धि हुई है. 2022 में रूस से सस्ते तेल का आयात 10 गुना बढ़ा. Modi
टर्नओवर 11.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. जो की देश के अच्छी खबर हैं. साल के अंत तक इसके रिकॉर्ड 13.6 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. भारत चीन के बाद रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है.
रूस तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है
जुलाई में रूस तीसरे स्थान पर सऊदी अरब को पछाड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया. जबकि, बाद में सऊदी अरब ने अगस्त तक अपनी स्थिति फिर से हासिल कर ली और अब रूस भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. Modi
आंकड़ों से पता चलता है कि रूस से भारत का खनिज तेल आयात अप्रैल-जुलाई में आठ गुना बढ़कर 11.2 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.3 अरब डॉलर था. जिसे भारत में ज्यादा तेल खपत का संकेतक माना जा रहा हैं. Modi
तेल की कीमत भारत के लिए महत्वपूर्ण
मार्च के बाद से, जब भारत ने रूस से आयात बढ़ाया, वे पिछले साल के 1.5 अरब डॉलर से बढ़कर 12 अरब डॉलर हो गए. जिसे फायदे का संकेत समझा जा रहा हैं. इसमें से जून और जुलाई में आयात करीब 7 अरब डॉलर का था. भारत के लिए तेल की कीमतें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये आयात 83 प्रतिशत मांग को पूरा करते हैं. भारत सरकार इस पर काफी पैसा खर्च करती है. Modi
2021-22 में दोगुना हो जाएगा देश का तेल आयात बिल
एक तथ्य यह भी है कि 2021-22 में देश का तेल आयात बिल दोगुना होकर 119 बिलियन डॉलर हो जाएगा, जैसा कि मीडिया ने एक रिपोर्ट में बताया है. यह सार्वजनिक वित्त पर बहुत दबाव डालता है और महामारी के बाद आर्थिक सुधार को भी प्रभावित करता है. Modi
हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सेमिनार में कहा कि रूस से तेल आयात करना मुद्रास्फीति प्रबंधन रणनीति का हिस्सा है. और यह भारत-रूस के आपसी रिश्ते को मजबूती प्रदान करता हैं. और अन्य देश भी ऐसा ही कर रहे हैं. और मोदी सरकार का यही भरसक प्रयास रहा हैं की वह देश को विकास के राह पर आगे लेकर जाए. Modi