Thai apple farming : Desk Report : थाई सेब के पेड़ प्रति वर्ष 100 किलोग्राम तक उत्पादन (Production) कर सकते हैं। बाजार में इसकी डिमांड (demand) बहुत ज्यादा है। इस फल की प्रतिरोधक क्षमता (Resistance capacity) भी अधिक होती है, इसलिए यह बाजार में अच्छे दामों पर बिकता है। किसानों को इस विदेशी फल (exotic fruit) की खेती से बंपर कमाई होगी। इस खेती से किसानों की किस्मत 6 महीने में बदल जाएगी।
Thai apple farming : कम समय में अच्छा मुनाफा मिलने से भारत (India) में विदेशी फलों की खेती का चलन बढ़ने लगा है। किसानों ने स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है। ऐसे विदेशी फलों में थाई एप्पल बेर (Thai Apple Plum) शामिल हैं। यह एक सेब की तरह दिखता है और इसका स्वाद (Taste) एक बेर की तरह होता है। इसके अलावा इस फल में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है।
खेती ऐसे करें
बाजार में थाई बेर सेब की भारी मांग है। शुरुआत में किसान 50 से 60 हजार रुपए में 100 किलो तक उत्पादन कर सकते हैं। इन पौधों को लगाने के लिए खेत की जुताई कर प्रति पौधा 5 मीटर की दूरी पर 2-2 फुट लंबाई-चौड़ाई के वर्गाकार गड्ढों की खुदाई की जाती है. इन गड्ढों में 25 दिनों तक सोलराईजेशन होता है, जिसके बाद 20 से 25 किग्रा अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद, नीम की पत्तियां, नीम का खली और कुछ पोषक तत्व गड्ढों में डाले जाते हैं।
थाई एप्पल प्लम की खेती कलम की विधि का उपयोग करके की जाती है। किसान 15 फीट की दूरी पर 1 बीघा जमीन में थाई एप्पल बेर के 80 पौधे लगा सकते हैं। साथ ही खाली जमीन पर बैंगन, मिर्च, मटर, मूंग जैसी फसलों की खेती कर किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं। पेड़ की यह प्रजाति में सूखा की मार झेलने की ताकत होती है.
यह खेती बढ़िया है
थाई सेब बेर की खेती में देशी और हाइब्रिड प्रजातियों का उपयोग किया जाता है। इन दोनों प्रजातियों से किसान 6 महीने के अंदर 100 किलो तक फल पैदा कर सकते हैं। रोपण के एक वर्ष बाद जब पौधा परिपक्व हो जाता है तो 20 से 25 किग्रा फल देने लगते हैं। एक बार लगाए जाने के बाद, किसान अगले 50 वर्षों के लिए थाई सेब बेर फसलों से बंपर पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।