प्लांटेशन क्षेत्र में फैलीं राख, हवा चलते ही लोगों के खेतों और घरों में पहुंचेगी राख, पर्यावरण प्रबंधन सिर्फ कागजों तक सीमित,
सिंगरौली। एनटीपीसी विंध्याचल सुपर थर्मल पावर स्टेशन की राखड पाइपलाइन मंगलवार को फूट गई। यह पाइपलाइन पावर प्लांट की सीमा से बाहर बलियरी इलाके में टूटी है, जहां से प्लांट से निकलने वाली राख करीब आठ किलोमीटर दूर बने राखड डैम में छोड़ी जाती है। पाइपलाइन के फूटने से राख और पानी का मिश्रण फव्वारे की तरह ऊपर उछलता दिखाई दिया लेकिन यह कोई फव्वारा नहीं, बल्कि एनटीपीसी की लापरवाही का ताजा सबूत है।
बता दें कि देखते ही देखते राख और गंदा पानी आसपास के प्लांटेशन क्षेत्र में फैल गया। एनटीपीसी द्वारा लगाए गए पेड़ों और हरित क्षेत्र पर कई टन राख का मलबा जम गया। पेड़ की जड़ रख में दफन हो गई हैं। अब यह राख जब धूप में सूखेगी, तो हवा के साथ उड़कर आसपास के गांवों और बस्तियों के लिए मुसीबत बनेगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि हवा चलते ही राख की धूल घरों और खेतों में पहुंच जाएगी, जिससे सांस की बीमारियां बढ़ेंगी। ग्रामीणों का आरोप है कि पाइपलाइन की जर्जर स्थिति की जानकारी पहले भी दी गई थी, लेकिन एनटीपीसी प्रबंधन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
यही वजह है कि अब हर कुछ महीनों में कहीं न कहीं पाइप फूटने की घटनाएं हो रही हैं। एनटीपीसी के दावों के बावजूद, यह घटना फिर से साबित करती है कि पर्यावरण प्रबंधन केवल कागजों में सीमित रह गया है। हरियाली दिखाने के लिए लगाए गए पेड़ अब राख में ढंके पड़े हैं और जांच के नाम पर केवल फोटो खिंचवाए जा रहे हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी राखड पाइपलाइन फूटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन हर बार जांच और सुधार के आश्वासन के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
घटना स्थल से नदारद रहा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
एनटीपीसी विंध्याचल की फूटी राखड पाइपलाइन से क्षेत्र में राख का फैलाव होने के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। स्थानीय लोगों ने बताया कि राख और गंदा पानी प्लांटेशन क्षेत्र में फैलने से हवा और जमीन दोनों प्रदूषित हो रहे हैं। इसके बावजूद बोर्ड की टीम ने न तो निरीक्षण किया और न ही सैंपल लिया। लोगों का कहना है कि जब प्रदूषण की घटनाओं पर जिम्मेदार विभाग ही मौन रहेंगे, तो कंपनियों की लापरवाही पर लगाम कैसे लगेगी? प्रशासनिक उदासीनता पर अब सवाल उठने लगे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि राख में मौजूद विषैले तत्व मिट्टी और भूजल को प्रदूषित करते हैं। खुले में उड़ने वाली राख फेफड़ों के लिए खतरनाक होती है और लंबे समय तक इसके संपर्क में आने से गंभीर रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
