coal mafia : सिंगरौली 15 अप्रैल। लोकसभा आचार संहिता के बीच चेकपोस्ट झोखो पर 3 अप्रैल को जांच के दौरान फर्जी ईटीपी के माध्यम से कोयला चोरी कर रहे महादेवा ट्रांसपोर्ट के ट्रक को जप्त कर चितरंगी थाना को सुपुर्द कर दिया था। पुलिस ने इस कोयला चोरी मामले को दर्ज करने में 100 घंटे से ज्यादा का समय लिया था। मीडिया की खबरों के बाद मामला दर्ज हुआ। तो वही पुलिस ने कोयला चोरी के अपराध में शामिल चालक को गिरफ्तार कर जेल भेज खुद की पीठ थपथपा ली। लेकिन 10 दिन बाद भी चोरी के इस घटना के मुख्य माफियाओं तक पुलिस का नहीं पहुंचना कई सवाल खड़े कर रहा है।
गौरतलब है कि 2 एवं 3 अप्रैल की रात को चेकपोस्ट झोखो में ट्रक वाहन क्रमांक यूपी 50 बीटी 1406 का चालक अखिलेश कुमार पिता परशुराम उप्र. फर्जी ईटीपी के माध्यम से कोयला पार कर रहा था की चेकपोस्ट प्रभारी अनिल मिश्रा व अन्य पुलिस कर्मियों ने ट्रक को जप्त कर वैध दस्तावेज मांगा। मौके पर फर्जी ईटीपी दिखाया गया। बाद में ट्रक को चालक के साथ चितरंगी थाना पहुंचाया। जहां जांच पड़ताल के बाद आरोपी चालक के विरूद्ध भादवि की धारा 420,467,468,471,खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 4 एवं 21 के तहत अपराध पंजीबद्ध करते हुये आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है।
वही अब सवाल उठ रहा है कि चालक के अलावा कोयला माफिया, वाहन मालिक, ट्रांसपोर्टर के साथ-साथ फर्जी ईटीपी तैयार करने वाले गिरोह को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाना पुलिस की नाकामयाबी का सबसे बड़ा सबूत है। वही सवाल यह भी है कि यह कोयला कि कोयला खदान से उठाया गया था। और कोयले के इस खेल का कर्ताधर्ता कौन था। किसके संरक्षण में कोयले का अवैध कारोबार चल रहा है। यह अभी भी अबूझ पहेली बनी है। कोयला चोरी की घटना हुई करीब 10 से ज्यादा दिन हो चुके हैं लेकिन पुलिस के हाथ अभी भी खाली है। इस संबंध में थाना प्रभारी शेषमणि पटेल से विंध्य न्यूज़ संवाददाता ने उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि इस मामले की विवेचना सब इंस्पेक्टर राममिलन तिवारी कर रहे हैं वही कुछ बता पाएंगे। coal mafia
मजबूरी में कोयला पहुंचाने का गलत काम करते हैं ड्राइवर
कोयला चोरी में पकड़े गए एक ड्राइवर ने नाम ना लिखने के शर्त पर बताया कि रोजगार के लिए सरकार की ओर से कोई विकल्प नहीं दिया गया है। घर परिवार के भरण पोषण के लिए कोयला माफियाओं के लालच में आकर वह कोयला की चोरी करने के लिए तैयार हो जाते हैं। एक ट्रिप का 2 से 3 हजार रुपए की कमाई हो जाती है लेकिन अवैध कोयला लोड करने के बाद से धड़कने तेज हो जाती हैं. वही रास्ते में पुलिस खनिज विभाग की चेकिंग का भी डर बना रहता है। पकड़े जाने पर सारे आरोप हम पर मढ़ दिए जाते हैं। गलत काम की जानकारी होने के बाद भी लोग इसमें काफी संख्या में जुड़े हुए हैं। coal mafia
धंधे पर हाथ धरा तो जान लेने से भी परहेज नहीं
अवैध खनन पर रोक लगाना पूरे जिले में बड़ी चुनौती बन चुका है। पिछले दिनों कॉल मफियाओं ने खबर बनाने गए एक यूट्यूब को जान से मारने की धमकी भी दी थी हालांकि मामला फिर समझौते में खत्म हो गया। वहीं पुलिस प्रशासन आम लोगों का भरोसा जीतने के लिए कभी-कभी सख्त नजर आता है, मगर खनन माफिया की दबंगई के आगे वह बेबस हो जाता है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार भी पुलिस कोयला माफियाओं के सामने हथियार डाल दिए हैं। चर्चा है कि खनन माफिया प्रशासन पर मानसिक दबाव और भय पैदा करने का प्रयास करता है कि अगर उसके धंधे पर रोक लगाने की कोशिश की गई, तो वह खून-खराबे से परहेज नहीं करेगा। इन दिनों कोयले के खेल में अंतर राज्यीय कोल माफिया भी सिंगरौली में डेरा डाले हुए हैं। सूत्रों का दावा है कि पुलिस माफिया से सुविधा शुल्क लेकर उनके मन मुताबिक कार्यवाही करती है। coal mafia