खम्हारडीह में बना सामुदायिक भवन खोल रहा राज
सिंगरौली। जनपद पंचायत चितरंगी क्षेत्र के ग्राम पंचायत खम्हारडीह ग्राम पंचायत में करीब चार साल पूर्व करीब 10 लाख रूपये की लागत से सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य क्रियान्वयन एजेंसी ग्राम पंचायत के द्वारा कराया गया था। किंतु गुणवत्ता विहीन कार्य एवं घटिया मटेरियल के चलते भवन के पिलर, बीम एवं दिवाल में जगह-जगह दरारें पड़ रही हैं। साथ ही बारिश के समय छत से अंदर पानी भी टपकता है।
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत खम्हारडीह में वर्ष 2018 में स्टाम्प शुल्क राज्य स्तर से 10 लाख रूपये की लागत से सामुदायिक भवन निर्माण के लिए राशि मंजूर हुई थी। जहां तत्कालीन सरंपच जंतिया देवी पति हीरालाल कोल व सचिव ने किसी तरह वर्ष 2020-21 में कार्य पूर्ण कराया, लेकिन कई ग्रामीणों का आरोप है कि गुणवत्ता विहीन मटेरियल होने से सामुदायिक भवन कमीशनखोरी के भेंट चढ़ गया।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि तत्कालीन उपयंत्री ने अपने आवास में बैठ कर बिना भवन का अवलोकन किये ही मूल्यांकन कर दिया। जबकि सामुदायिक भवन का पिलर व छत अत्यंत गुणवत्ता विहीन है। कई जगह दरारें पड़ गई हैं। बारिश के समय छत टपकती रहती हैं। यह समस्या आज से नही जब सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य हुआ था, तभी से है। लेकिन जनपद अधिकारी एवं सहायक यंत्री एवं उपयंत्री के मिलीभगत से घटिया निर्माण कार्य का भुगतान भी करा दिया गया।
ग्रामीणों ने यह भी बताया है कि उक्त कार्य में लगे कई श्रमिको का आज तक भुगतान भी नही किया गया है। तत्कालीन सरपंच एवं सचिव ने उपयंत्री के साथ मिलकर जमकर कमीशनखोरी हुई है और 10 लाख का सामुदायिक भवन कमीशन के भेंट चढ़ गया। यहां के ग्रामीणों ने घटिया सामुदायिक भवन का जांच कराकर संबंधित उस दौरान के सरपंच व सचिव के विरूद्ध कार्रवाई किये जाने की मांग की है।
श्रमिको को नही मिला पारिश्रमिक भुगतान
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि पूर्व सरपंच जंतिया देवी पति हीरालाल कोल के 7 साल के कार्यकाल में कई कार्यों में भी भारी अनियमितताएं की गई है। कई मजदूरों को मजदूरी एवं ट्रैक्टर से कराए गए कार्यों का भी भुगतान आज तक नही हुआ है। सबसे ज्यादा प्रभावित आदिवासी समाज के महिला-पुरुष मजदूर हैं। जहां अभी भी लंबित बकाया मजदूरी की उम्मीद लगाए बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब आदिवासी समाज से सरपंच बनने के बाद भी उन्हें मजदूरी तक नहीं मिली, तो फिर और किससे उम्मीद की जाए। ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर, जिला एवं जनपद सीईओ से सामुदायिक भवन सहित खेल मैदान, तालाब और शमशान घाट के निर्माण में हुए कार्यों की जांच कर बकाया मजदूरी का भुगतान दिलाने की मांग की है।
बगदरा अंचल में भ्रष्टाचार का बोलबाला
इधर सूत्रों की बातों पर गौर करे तो जनपद पंचायत चितरंगी के बगदरा अंचल में तकरीबन 15 ऐसी चर्चित पंचायत है, जहां आज भी पंचायतो को दयनीय स्थिति बनी हुई है। सूत्र बताते हैं कि खम्हारडीह के साथ-साथ नेवारी, नैकहवा, फुटहड़वा, रेही, करौंदिया, कुलकवार, बगदरा सहित दर्जनों ऐसी पंचायत हैं, जहां विकास के नाम पर महज खानापूर्ति का खेल खेला गया है। इन पंचायतो में जितने भी विकास के कार्य की मंजूरी दी गई, अधिकांश कार्य कागजों पर दफन हो गये और जो कुछ हुये भी तो अनियमितता की भेंट चढ़ गये। बताया जाता है कि जनपद की सहायक यंत्री व उपयंत्री सिर्फ अपने घरों या फिर जनपद में बैठ कर कमीशन लेने के बाद कागज पर मूल्यांकन किया गया है। यही वजह है कि बगदरा अंचल में भ्रष्टाचार का बोलबाला बना हुआ है और अधिकारी कुम्भकर्णीय निंद्रा में सो रहे हैं।