MP News सिंगरौली। सिंगरौली जिले में सियासत गरमाई हुई है राजा ने भी अपने सियासी धाव चली तो राधा के चुनाव में निखार आ गया और भाजपा बढ़त बनाना शुरू कर दी है तो राजा के सियासी दांव के बाद कांग्रेस पूरी तरह से बिखर गई है। कांग्रेस के जिन सिपेसालारों पर चुनाव लड़ाने का दारोमदार था, जिन्होंने मानिक सिंह को टिकट दिलवाया था। वह कांग्रेसी अपने प्रत्याशी को बीच मझधार में छोड़कर घर के भीतर कैद हो गए हैं या फिर कहीं दूर दराज सैर सपाटे के लिए निकल गए हैं। चर्चा है कि कांग्रेस प्रत्याशी को फाइनेंस करने वाला फाइनेंसर का कहीं रता पता नहीं है। वहीं चितरंगी विधानसभा क्षेत्र में खटाई राजा कांत शीर्षदेव सिंह की सियासत के सामने भाजपा प्रत्याशी राधा सिंह के चुनाव में निखार आ गया है तो वहीं कांग्रेस पूरी तरह से बिखरी नजर आ रही है।
गौरतलब है कि यह कोई पहला चुनाव नहीं है जब कांग्रेस पार्टी में भितर घात हुआ है चुनाव के समय अक्सर भाजपा में भितर घात देखने और सुनने को मिलता रहा है। चितरंगी की राजनीति का इतिहास पार्टी में बगावत टूटने,बनने, बढ़ने और बिगड़ने की घटनाक्रमों से हमेशा भरा पड़ा है। लेकिन यह पहली मर्तबा है जब राजा के सियासी दांव व पेच में कांग्रेस इस तरह से बिखरी की लोग अभी से कांग्रेस की जीत पर सवाल खड़े करने लगे हैं। चितरंगी विधानसभा चुनाव में राजा कांत शीर्ष देव सिंह ने सियासी बिसात बिछाई तो पूरा विधानसभा भगवा रंग में रंगता नजर आने लगा। फिर क्या कांग्रेस बसपा आप के सभी दिग्गज भगवा के रंग में रंग गए। हालांकि जिन्हें अपनी सियासी राजनीति को जिंदा रखने की महत्वाकांक्षा हैं। वह नेता घर के भीतर कैद हो गए या फिर दूर दराज सैर सपाटे के लिए निकल गए। कांग्रेस ने जब मानिक सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया तब किसी ने शायद ही सोचा हो कि एक दिन पार्टी के बड़े नेता या फिर जो फाइनेंस कर कांग्रेस को जीतने वाले हैं। वह कांग्रेस परिवार के हाथ से इस तरह से फिसल जाएंगे। इस बीच राजा की सियासी बीच में सभी नेता क्लीन बोर्ड होते नजर आ रहे हैं। ऐसे में यह कहा कहना अतिसंयोक्त तो बिल्कुल नहीं होगा कि राजा की सियासी चाल के सामने जहां भाजपा संगठन जी तोड़ मेहनत कर भाजपा प्रत्याशी के लिए काम कर रहा है तो वही कांग्रेस का प्रचार प्रसार कहीं नजर नहीं आ रहा। MP News
भाजपा के चुनावी अभियान में धार और कांग्रेस बिखरी?
खटाई राजा के नेतृत्व में भाजपा प्रत्याशी राधा सिंह के लिए जहां संगठन जीत और मेहनत कर रहा है और मंडल से लेकर बूथ स्तर तक का कार्यकर्ता चुनावी अभियान में पूरी ताकत झोंक दी है और हर एक मतदाता से भाजपा की रीति नीति और योजनाओं के प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं तो वही कांग्रेस प्रत्याशी मानिक सिंह का चुनाव अभियान बहुत ही लचर नजर आ रहा है। चर्चा तो यह है कि वह चुनाव प्रचार में लगी गाड़ियों को डीजल तक समय पर उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं। राजनीति को बारीकी से समझने वालों की बातों पर गौर करें तो कांग्रेस के भीतर ही उठ पटक मची हुई है, राजा के सियासी चाल के बाद अब कांग्रेस के भीतर बड़ा भितरघात होने की संभावना बनती नजर आ रही है। जिन कांग्रेसियों ने मानिक सिंह को टिकट दिलवाया था और फाइनेंस करने की बात कही थी वह अब दूरी बना लिए हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानिक सिंह के चुनावी प्रचार में कितनी धार होगी। MP News
देवसर में राजेंद्र मेश्राम को मिल रही चुनौती
पूर्व विधायक राजेंद्र मेश्राम को टिकट मिलने के बाद से ही पार्टी के भीतर और बाहर दो तरफ से चुनौतियां मिल रही है टिकट मिलने के साथ ही उन्हें बाहरी प्रत्याशी का ठप्पा लगा दिया गया। कई जगह राजेंद्र मेश्राम हटाओ देवसर बचाओ बालाघाट भगाओ जैसे नारे लगे तो कुछ गांव में मुर्दाबाद के भी नारे उनके खिलाफ लगाते हुए लोग नजर आए। गली चौराहों पर चर्चा हो रही है कि राजेंद्र मेश्राम जब पहली बार विधायक बने तो वह स्थानीय बेरोजगारों की अनदेखी किए हैं। उन्होंने स्थानीय बेरोजगारों को नहीं बल्कि बालाघाट के लोगों को स्थानीय कंपनियों में नौकरी दिलवाई है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि बालाघाट के कितने लोगों को स्थानिक कंपनियों में नौकरी दिलवाई है या फिर यह भाजपा प्रत्याशी को बदनाम करने की कोई साजिश है लेकिन कहते हैं की धूआं वही उठता है जहां आग लगी हो। MP News