सिंगरौली के सरई तहसील क्षेत्र के लंघाडोल ताल डिगवाह का मामला
सिंगरौली। देश की ऊर्जाधानी के रूप में भले ही सिंगरौली की पहचान बनी है, यहां एनसीएल, एनटीपीसी, अडानी,अबानी, आदित्य बिरला सहित जेपी जैसे उद्योगपति भले कम कर रहे हैं लेकिन यहां आज भी ऐसे कई गांव है जहां पहुंचने के लिए सड़क तक नसीब नहीं हो पाई। लोग जान हथेली पर रख कर शहर पहुंच रहें हैं। ऐसे में शर्म आनी चाहिए मिनी रत्न कंपनियों सहित यहां की जनप्रतिनिधियों को। जो ग्रामीणों को एक सड़क तक नहीं दे पा रहे हैं।
बता दें कि तहसील क्षेत्र सरई के ताल डिगवाह लंघाडोल गांव स्थित हुर्दुल नदी पर करीब सात दशक बाद भी पुल का निर्माण न होने से ग्रामीण बाढ़ के पानी में भी अपने गंतव्य की ओर जोखिम उठा कर जाने के लिए मजबूर हैं। भाजपा सरकार का दावा है कि क्षेत्र का समग्र विकास हो रहा है। सड़क, बिजली, शिक्षा व स्वास्थ्य समेत बुनियादी सुविधाओं पर विशेष फोकस है। ग्रामीणों को उक्त सुविधाएं मिले, इस पर पूरा सरकार ध्यान दे रही है। लेकिन नगर परिषद सरई के नजदीकी ताल डिगवाह-लंघाडोल गांव के ग्रामीणों की समस्याएं विकराल है।
बताया जाता है कि हुर्दुल नदी पर आज तक पुल का निर्माण नही कराया गया। जिससे यहां के ग्रामीणों को नदी पार कर अपने गंतव्य एवं घर जाने के लिए विवश हैं। इतना ही नही जिस दिन नदी में बाढ़ आ जाती है, उस दिन आवागमन ठप हो जाता है। स्कूली बच्चे कमर तक पानी को पार कर विद्यालय आते-जाते हैं। यह समस्या दशको से है। कई बार ग्रामीण इस समस्या के बारे में सांसद व विधायक का ध्यान भी आकृष्ट कराया, लेकिन अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
यहां के ग्रामीणों का कहना है कि डीएमएफ फण्ड का सही तरीके से उपयोग नही किया जा रहा है। जिसके वजह से यह समस्या बनी हुई है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि गर्भवती महिलाओं को अस्पताल से लाने-लेजाने में कितनी कठिनाइयां होती हैं।इसका बया यहां के ग्रामीण ही कर सकते हैं। ग्रामीणों ने इस ओर कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराया है।