सिस्टम को ठगने निकले तीन फ्रॉड गिरफ्तार, आईबी का सब इंस्पेक्टर भी था शामिल
सिंगरौली। प्रशासनिक ईमानदारी और सजगता की मिसाल पेश करते हुए कलेक्टर गौरव बैनल ने उस फ्रॉड गैंग की पोल खोल दी जिसने खुद को भोपाल से आया ‘चीफ सेके्रटरी अनुराग जैन’ बताकर डीएमएफ के टेंडर में खेल करने की साजिश रची थी। मगर चालाक ठगों की यह स्क्रिप्ट ज्यादा देर नहीं चली। कलेक्टर के शक की सुई जैसे ही घूमी, वैसे ही पूरा फर्जीवाड़ा ध्वस्त हो गया।
दरअसल, कलेक्टर को फोन आया कि “मैं अनुराग जैन, चीफ सेके्रटरी बोल रहा हूं, सोमवार को मिश्रा जी जाएंगे, उनका काम देख लेना।” यह सुनकर कलेक्टर को शंका हुई। उन्होंने तत्काल एसपी को सूचना दी और सोमवार को जैसे ही दो व्यक्ति—सचिन्द्र तिवारी और वाल्मिकी प्रसाद मिश्रा (आईबी सब इंस्पेक्टर)—कलेक्ट्रोरेट पहुंचे, उन्हें मौके पर ही पकड़ लिया गया। बाद में तीसरा आरोपी सचिन मिश्रा (वाल्मिकी का पुत्र) भोपाल से धर दबोचा गया। तीनों अब पुलिस हिरासत में हैं और जेल की हवा खा रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि जिस व्यक्ति पर जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, वही आईबी का सब इंस्पेक्टर अपने बेटे के साथ ठगी के खेल में उतर आया। प्रशासनिक व्यवस्था को शर्मसार करने वाली यह हरकत बताती है कि लालच जब चरम पर हो, तो वर्दी भी ईमान नहीं बचा पाती। बताया जा रहा है कि ये लोग डीएमएफ के तहत स्कूलों में होने वाले निर्माण कार्यों के टेंडर को अपने पक्ष में करवाने की कोशिश में थे।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसे फ्रॉड कितने और जगहों पर अपनी चाल चल चुके हैं? क्या पहले भी ‘ऊँची पहुंच’ का झांसा देकर ठेके हथियाए गए? सिंगरौली में पिछले कुछ वर्षों से दलालों का बोलबाला रहा है—डीएमएफ की खरीद से लेकर ठेकों तक में ‘कमिशन की संस्कृति’ खुलेआम पनप रही है।
हालांकि कलेक्टर की सतर्कता ने इस बार जिले को एक बड़े फर्जीवाड़े से बचा लिया। लेकिन अब जरूरत है कि पुलिस केवल गिरफ्तारी तक सीमित न रहे, बल्कि इन ‘फर्जी अफसरों’ की पूरी जड़ें खोदे। क्योंकि यह सिर्फ ठगी नहीं—प्रशासनिक व्यवस्था पर हमला है।
