Singrauli News : सिंगरौली। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में तीन विधान सभा सीट पर टिकट को लेकर भाजपा में घमासान मचा है। संघ ,संगठन और सरकार के तीन-तीन सर्वे पर दिल्ली दरबार का भरोसा खत्म हो गया तो फिर सिंगरौली में दिल्ली के नेताओ की दखल शुरू हो गई। दिल्ली से भाजपा के दिग्गज नेताओं की एक बड़ी फौज ने सिंगरौली की चुनावी कमान अपने हाथों में ले ली और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई नेताओ को बता दिया कि जमीन पर भाजपा में सब कुछ ठीक नही है। इस बात की चर्चा तब हो रही है जब सिंगरौली से सटे उत्तर प्रदेश के तीन प्रवासी विधायक पहुंच कर आम कार्यकर्ता सहित भाजपा के पदाधिकारी की नब्ज टटोलना के लिए सिंगरौली पहुंचे।
Singrauli News : सिंगरौली जिले में तीन विधान सभा क्षेत्र में विधायक का चुनाव लड़ने वाले एक अनार सौ बीमार वाली कहावत जैसे हो रहे है । अब चुनावी सर्वे में तीनों विधान सभा से पांच नामो पर सर्वे की खबर ने टिकट के दावेदारों के मंसूबो पर पानी फेर दिया है। जिन नामो पर पहले हुए सर्वे में सब कुछ अच्छा बताया जा रहा था वो हवाहवाई साबित होने के कारण पांच-पांच नामो को लेकर सर्वे होने की खबर से नए चेहरे खिल गए है । संघ और भाजपा के दिग्गज सूत्रों से मिली खबर के अनुसार सिंगरौली विधानसभा से वर्तमान विधायक राम लल्लू बैस, भाजपा जिला अध्यक्ष राम सुमिरन गुप्ता, प्रदेश कार्य समिति सदस्य गिरीश द्विवेदी, रामनिवास शाह, नगर निगम अध्यक्ष देवेश पांडे, भाजपा नेता संजीव अग्रवाल, पूर्व सीडा उपाध्यक्ष शिवेंद्र बहादुर सिंह, पूर्व नगर निगम अध्यक्ष चंद्र प्रताप विश्वकर्मा के नाम पर मंथन शुरू हो गया है इस विधानसभा में सर्वे टीम अपनी रिपोर्ट भी बनाई है तो वही सिंगरौली आए उत्तर प्रदेश से प्रवासी विधायक मध्य प्रदेश संगठन को अपने सर्वे रिपोर्ट सौंपेगें जो टिकट बंटवारे के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सिंगरौली विधानसभा में घमासान
इस विधान सभा मे भाजपा में टिकट को लेकर बड़ा घमासान मचा है यहाँ भी दावेदारों की कमी नही है परंतु आला कमान के निर्देशों के बाद 8 नामो पर फिर से मंथन हो रहा है। हालांकि भाजपा के तीन बार के विधायक राम लल्लू बैस को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है लेकिन पिछले महापौर चुनाव में भाजपा की हार के बाद भाजपा संगठन नाराज चल रहा है। हालांकि एंटी इनकंबेंसी को समय रहते भांपकर उसके तीखेपन को कम करने की योजना बनाने में जुटे भाजपा के दिग्गजों की सवर्णो और बनियों की नाराजगी से भाजपा की टेंशन जरूर बढ़ा सकती है।
नरम-गरम के साथ भीतरघात में हासिल है महारथ
ऊर्जाधानी के नाम से मशहूर सदर विधानसभा की तासीर नरम और गर्म है यहां भाजपा में विरोधी तो सामने नहीं आते लेकिन भीतर घात में इन्हें महारथ हासिल है। यह महापौर चुनाव में देखा भी गया। दावा किया जाता है कि महापौर टिकट में स्थानीय नेताओं की मनसा को दरकिनार कर शीर्ष नेतृत्व ने टिकट दिया तो स्थानीय नेताओं ने अपने ही कैंडिडेट के साथ भीतर घात करते हुए उसे हरा दिया। बहरहाल सिंगरौली जिले में कुछ भी हो,यहां सत्ता विरोधी लहर अन्य जिलों की अपेक्षा ज्यादा नजर आती है। यहां पद पर काबिज जनप्रतिनिधियों का विरोध ज्यादा होता है। इसके पीछे की वजह यहां स्थापित उद्योग धंधों में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने की बजाय बाहरी लोगों को रोजगार दिए जाने के आरोप लगाते हैं। जबकि जिले में अभी भी बेरोजगारी, विस्थापन, प्रदूषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं मुहैया हो पाई है। Singrauli News
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