एमपी से यूपी तक सोन की रेत की तस्करी का नया माडल, पुलिस की मिलीभगत से चल रहा खेल ?
सिंगरौली । राज बदल गया, लेकिन रेत का रंग वही है सुनहरा, फर्क बस इतना है कि अब डबल इंजन सरकार के नीचे कांग्रेस वाले ट्रैक्टर और डंपर दौड़ रहे हैं। सोन घड़ियाल अभ्यारण का प्रतिबंधित इलाका अब खनन माफियाओं का नया पर्यटन स्थल बन गया है,जहाँ पर न कोई रोकने वाला, न टोकने वाला। सूत्र बताते हैं कि यहाँ खनन का नया मॉडल चल रहा है। राजनीतिक सर्वधर्म समभाव की तर्ज पर काम कर रही भाजपा की सरकार, कांग्रेस के कारोबारी, पुलिस की देखरेख और अफसरों की मौन साधना… सब मिलकर सोन नदी को रेतीला रामराज्य बना रहे हैं।
सोन घड़ियाल अभ्यारण के प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध रेत खनन धड़ल्ले से जारी है। बताया जा रहा है कि खनन में कांग्रेस से जुड़े स्थानीय नेताओं की भूमिका सामने आई है। सोन नदी से रेत निकालने का फोटो और वीडियो आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल होता है लेकिन पुलिस और सोन घड़ियाल के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रतिदिन दर्जनों ट्रैक्टर और डंपर सोन नदी से रेत निकालकर स्थानीय सहित यूपी के सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचा रहे हैं। बदले में गढ़वा पुलिस पर “सुविधा शुल्क” के नाम पर हर गाड़ी से तय रकम वसूली जा रही है। यह रकम ऊपर तक पहुंचती है, जिसके चलते कार्रवाई केवल कागजों में सीमित रह जाती है। हालांकि पुलिस अपनी छवि सुधारने के लिए कभी कर एक दो गाड़ियों पर कार्यवाही जरूर करती है।
उपाध्याय सतत विकास में दे रहा योगदान?
कहा जाता है कि अब सोन नदी की रेत एमपी से यूपी जाने से पहले “सुविधा शुल्क” के संग स्नान कर लेती है। सूत्र बताते हैं कि गढ़वा थाना की एक नई टोल टैक्स कहानी। यहां प्रतिदिन के हिसाब से सुविधा शुल्क देना पड़ता हैं। अजीत उपाध्याय भी मानो ‘सतत विकास’ में योगदान दे रहे हैं, हर डंपर के साथ उनकी जेब में भी “विकास” बढ़ता जा रहा है।
पुलिस की मिलीभगत से रेत माफिया बेखौफ
सोन घड़ियाल अभ्यारण पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है। यहाँ रेत खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है, क्योंकि इससे नदी के जल प्रवाह, जैव विविधता और घड़ियाल प्रजनन पर गंभीर असर पड़ता है। बावजूद इसके, नेताओं और पुलिस की मिलीभगत से रेत माफिया बेखौफ होकर अवैध खनन करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब वे आवाज उठाते हैं, तो उन्हें धमकाया जाता है। प्रशासनिक मौन और राजनैतिक संरक्षण के चलते रेत माफिया के हौसले बुलंद हैं। यदि जल्द सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो सोन अभ्यारण का पारिस्थितिक संतुलन बुरी तरह बिगड़ सकता है।
