ठेकेदार पर कार्रवाई के बजाय अधिकारियों की चुप्पी, स्थानीय लोगों में जनप्रतिनिधियों पर से भी उठ रहा भरोसा
सिंगरौली : जिले के नगर पालिक निगम सिंगरौली में भ्रष्टाचार का ऐसा जाल बिछा है जिसमें अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक फंसते नजर आ रहे हैं। वार्ड क्रमांक 41 गनियारी विशाल मेघावार्ड के पीछे बनाई गई सड़क निर्माण में गंभीर गड़बड़ियां उजागर हुई हैं। आठ लाख रुपए की लागत से स्वीकृत इस सड़क निर्माण कार्य को ठेकेदार द्वारा मात्र पांच लाख रुपए में ही पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे न केवल निर्माण की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है बल्कि भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का एक और बड़ा उदाहरण सामने आया है।
गुणवत्ता विहीन निर्माण पर स्थानीयों का विरोध…
स्थानीय नागरिकों ने सड़क निर्माण के दौरान ही गुणवत्ता में भारी अनियमितताएं देखीं। निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग और निर्धारित मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही थी। जब नागरिकों ने इसका विरोध किया तो उन्होंने सामूहिक रूप से कमिश्नर को लिखित शिकायत दी, जिसमें निर्माण कार्य को गुणवत्ता विहीन बताते हुए तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की गई। जनता के दबाव के बाद कुछ समय के लिए निर्माण कार्य बंद भी करना पड़ा।
जनता की शिकायतें हुईं लेकिन कार्रवाई शून्य…
मामला नगर पालिक निगम के कमिश्नर, महापौर और अध्यक्ष तक पहुंच चुका है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि किसी भी स्तर पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। न तो ठेकेदार पर कार्रवाई हुई और न ही कोई तकनीकी जांच कराई गई। स्थानीयों ने आरोप लगाया कि यह पूरा मामला ‘सेटिंग और कमीशनखोरी’ का है, जिसमें अधिकारी और जनप्रतिनिधि ठेकेदार के इशारे पर काम कर रहे हैं। चर्चा है कि जब इंजीनियर व कार्यपालन यंत्री मौके पर पहुंचे तो उन्होंने वास्तविक स्थिति देखने के बजाय उल्टे सवाल उठाने शुरू कर दिए और जनता पर ही भड़क गए। चर्चा है कि अधिकारी पहले से ही “सेट” होकर आए थे। कमिश्नर से लेकर इंजीनियर तक की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
कमीशन के चक्कर में जिम्मेदारों का बिकने की चर्चा
चर्चा है कि नगर निगम अधिकारियों और जनप्रतिनिधि ठेकेदार राजेन्द्र शाह के सामने नतमस्तक हो गये है। आठ लाख की सड़क का निर्माण घटिया गुणवत्ता और मात्र पांच लाख में करवाना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यहां नियमों से अधिक पैसे और सेटिंग का बोलबाला है। जब जिले के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि ही भ्रष्टाचार पर मौन साध लें, तो यह स्पष्ट संकेत है कि विकास नहीं, विनाश की दिशा में कदम बढ़ रहे हैं। जनता अब जिला कलेक्टर और मुख्यमंत्री से उम्मीद लगाए बैठी है। कई लोगों ने सीएम हेल्पलाइन पर भी इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है।नागरिकों ने मांग की है कि पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और दोषी अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार को रोका जा सके।