सिंगरौली 28 दिसम्बर। ननि वार्ड क्र.42 स्थित अटल सामुदायिक भवन के आडिटोरियम एवं साउंड प्रूफिंग सहित अन्य कार्य की बिल भुगतान को लेकर मामला गरमाता जा रहा है। उक्त निर्माण कार्य का भुगतान अभी लंबित है। लेकिन निर्माण कार्य व बिल भुगतान के लिए की गयी कसरतें कहीं न कहीं उपयंत्री एवं संविदाकार घिरते नजर आ रहे हैं। वहीं अब जांच उपरांत कार्य को क्लीन चिट देने को लेकर नगर निगम अमला सवालों में घिरता जा रहा है।
दरअसल बिलौंजी स्थित अटल सामुदायिक भवन बिलौंजी के आडिटोरियम हाल निमा्रण एवं साउंड प्रूफिंग सहित अन्य कार्यों के लिए तकरीबन 29 लाख से अधिक की रकम स्वीकृत की गयी थी। जहां यह निर्माण कार्य एबव पर था और उपयंत्री ने 10 लाख रूपये और कार्य दिखाकर बिल तैयार कर दिया और सूत्र बताते हैं कि बिल भुगतान के लिए उपयंत्री ने एक नहीं बल्कि दो कदम आगे बढ़ गये। एसडीओ एवं कार्यपालन यंत्री से बगैर भौतिक सत्यापन कराये ही सीधे अधीक्षण यंत्री के यहां बिल प्रस्तुत कर दिया था। किन्तु लेखाधिकारी वित्त के यहां फइल लंबित रह गयी। सूत्र बताते हैं कि कमिश्नर आरपी सिंह का उपयंत्री पीके सिंह सबसे बड़ा शागिर्द है और उसी के इशारे पर पूरा लाल काला पीला हो रहा है।
विन्ध्य न्यूज ने मामले को कलेक्टर के संज्ञान में ला दिया। फिर क्या नगर निगम में हड़कम्प मच गया और 14 दिसम्बर को लेखाधिकारी ने बिल भुगतान के लिए प्रस्तुत बिल नस्ती पर आपत्ति दर्ज कर दिये। सूत्र बताते हैं कि आपत्ति में सबसे बड़ी परफार्मेंस बैंक गारंटी राशि का जिक्र है। जिसमें 5 साल से अधिक अवधि की वैधता होनी चाहिए। किन्तु नस्ती में संलग्र बैंक गारंटी की वैधता 30 सितम्बर 2021 को ही समाप्त हो गयी थी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बैंक गारंटी अल्प समय यानी कम अवधि के लिए क्यों ली गयी थी। इसके अलावा अन्य कई बिंदु पर आपत्ति थी। जिसमें कार्यपालन यंत्री व सहायक यंत्री के भौतिक सत्यापन का भी जिक्र किया गया था। मामला उजागर होने के बाद कलेक्टर ने उक्त लंबित भुगतान के संबंध में जांच कराने के लिए आयुक्त को कहा गया। जांच भी पूरी हो गयी और जांच अधिकारियों के नजर में सब कुछ ठीक-ठाक है कहीं से कोई गड़बड़ी नहीं दिख रही है। बैंक गारंटी वैधता के मामले में जांच अधिकारियों की भी नजरें ओझल हो गयी। इसके अलावा नस्ती में बैंक गारंटी मूल कापी संलग्र है यदि है तो नगर निगम स्थिति स्पष्ट करने में गुरेज क्यों कर रहा है। ऐसे कई सवाल हैं जिसमें नगर निगम का अमला उक्त कार्य को लेकर घिरता नजर आ रहा है जिसमें उपयंत्री पीके सिंह की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है।
उपयंत्री ने ठेकेदार पर दिखाई दरियादिली
आरोप लगाया जा रहा है कि उपयंत्री ने संविदाकार बालाजी कांस्ट्रक्शन पर दरियादिली दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है। यदि निष्पक्ष और पारदर्शिता के साथ जांच नगर निगम प्रशासक व कलेक्टर के द्वारा करा दी जाय तो कई मामले प्याज के छिलकों की तरह परत दर परत खुलने लगेंगे। फिलहाल सामुदायिक भवन के आडिटोरियम हाल मरम्मत व साउंड प्रूफिंग सहित अन्य कार्य को क्लीन चिट दिये जाने के बाद कई प्रश्र भी खड़े हो रहे हैं और इन प्रश्नों का नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को जबाव देना चाहिए।
कार्य के लिए आये थे 5 टेण्डर,खोले गये 2
सूत्र बताते हैं कि वार्ड क्र.42 के बिलौंजी में स्थित अटल सामुदायिक भवन के आडिटोरियम हाल मरम्मत व साउंड प्रूफिंग सहित अन्य कार्य के लिए ऑनलाइन के माध्यम से 5 टेंडर डाले गये थे। जिसमें 2 टेण्डर ही खोले गये। अन्य टेण्डरों में तकनीकी कारण बताकर ननि के अधिकारियों ने नहीं खोला। हालांकि यह जुबा लग रहा है कि कोई भी कार्य एबव पर मंजूर हो जाये। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि उन्हीं कार्यों को निर्धारित दर पर या उससे ज्यादा मिल पाते हैं जिसमें अधिकारी ठेकेदार पर मेहरबानी करते हैं। उक्त कार्य में क्या हुआ है इसका कोई ठोस आधार नहीं है लेकिन चर्चाएं जरूर हैं कि टेण्डर खोलने में कहीं न कहीं गुणा, भाग लगाया गया था।
कार्य एक,क्लीन चिट के बाद सवाल अनेक
सामुदायिक भवन के आडिटोरियम व साउंड प्रूफिंग सहित अन्य कार्य के लिए आनन-फानन में उपयंत्री ने भुगतान के लिए नस्ती व मूल्यांकन आगे बढ़ाया। इससे कई अनेकों सवाल खड़े होने लगे हैं। सिंगरौली के आम जन सवाल करने लगे हैं कि जब कार्यपालन यंत्री जब लंबे अवकाश पर नहीं थे फिर अधीक्षण यंत्री के नस्ती क्यों भेजी गयी। अवकाश पर जाने के बाद ही उपयंत्री व संविदाकार सक्रिय क्यों हुए। चार-छ: दिनों तक इंतजार करने में क्या अड़चने आ रही थीं। हालांकि उपयंत्री के पास बहाने कई हैं लेकिन कई ऐसे संविदाकार हैं जिनका भुगतान कई महीने से लटका हुआ है उन पर ननि के अधिकारी मेहरबानी नहीं करते। वहीं उक्त कार्य की बैंक गारंटी कम अवधि की क्यों स्वीकार की गयी, उपयंत्री व अधीक्षण यंत्री ने आपत्ति क्यों नहीं किये? यदि बैंक गारंटी की मूल प्रति है तो उसे साझा करें। साथ ही क्या जितनी लागत आंकी जा रही है और भुगतान कराया गया क्या उतनी लागत की आवश्यकता थी? और कार्य बेहतर हुआ है की नहीं फिर एक महीने पूर्व आमजनों ने जो आपत्ति की थी क्या वह झूठा था? मीडिया में खबरे आयीं कि अधिकारियों ने उक्त कार्य का जांच किया जिसमें सब कुछ बेहतर पाया गया है। इसके पीछे यही चर्चा है कि लंबित भुगतान कराने के लिए एक कदम है।
इनका कहना है
सामुदायिक भवन निर्माण कार्य के संबंध में जांच सभी पहलुओं पर की गयी है। अभी मैं मीटिंग में हूॅ।
व्हीपी उपाध्याय,अधीक्षण यंत्री,नपानि सिंगरौली