One Year of Farmers Protest: देशभर में किसान आंदोलन को एक साल पूरा होने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) ने कहा कि, आज किसान आंदोलन को पूरा एक साल हो गया है। इस ऐतिहासिक आंदोलन ने गर्मी-सर्दी, बरसात-तूफ़ान के साथ अनेक साज़िशों का भी सामना किया। देश के किसान ने हम सबको सिखा दिया कि धैर्य के साथ हक़ की लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। किसान भाइयों के हौसले, साहस, जज़्बे और बलिदान को मैं सलाम करता हूँ।
देशभर के किसान पिछले एक साल से दिल्ली की तीन सीमाओं सिंघू, टीकरी और गाजीपुर में डेरा डाले हुए हैं. केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत पिछले साल 26-27 नवंबर को ‘लेट्स गो टू दिल्ली’ कार्यक्रम से हुई थी। केंद्र ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के अपने फैसले की घोषणा की है। बावजूद इसके किसान संगठनों ने आंदोलन का 1 साल पूरा होने पर दिल्ली की सीमाओं पर एकत्रित होने का ऐलान पहले ही कर दिया था। जिसको देखते हुए अब हरियाणा, पंजाब से भारी संख्या में किसान दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं. वहीं, इस बीच केंद्रीय कैबिनेट ने तीनों कृषि कानूनों को वापसी पर सहमति दे दी है.
दिल्ली की सभी सीमाएं सील
एक साल पूरे होने के मौके पर किसान संगठनों के एकजुट होने के फैसले की घोषणा के बाद दिल्ली सीमा पर बड़ी संख्या में बैरिकेड्स लगाने के साथ ही सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है. पुलिस ने कहा कि उन्होंने गुरुवार को किसान नेताओं के साथ बैठक की। पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से अपील की है कि अगर प्रदर्शनकारी जबरन सीमा पार करने की कोशिश करते हैं या किसी तरह से हंगामा कर शांति व्यवस्था में खलल डालते हैं तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। फिलहाल पुलिस ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से दिल्ली की सभी सीमाओं को सील कर दिया है
सरकार किसानों से नहीं करना चाहती बातचीत -टिकैट
किसान आंदोलन के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “लोग आज सभी सीमाओं पर आकर बात करेंगे।” अब आंदोलन चल रहा है। केंद्र सरकार बात करे तो और समाधान निकलेगा, वो बात नहीं करना चाहते. बिना बात किए समाधान कैसे खोजा जाए?
बिल के जरिए तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाएगा
बता दें कि एक दिन पहले कैबिनेट की बैठक में कृषि कानून को निरस्त करने वाले विधेयक को मंजूरी दी गई थी. बिल के जरिए तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाएगा। इनमें किसान उत्पादन व्यवसाय और व्यापार (सुधार और सुविधा) अधिनियम 2020, कृषि आश्वासन पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम शामिल हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा.
आज किसान आंदोलन को पूरा एक साल हो गया है। इस ऐतिहासिक आंदोलन ने गर्मी-सर्दी, बरसात-तूफ़ान के साथ अनेक साज़िशों का भी सामना किया।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 26, 2021
देश के किसान ने हम सबको सिखा दिया कि धैर्य के साथ हक़ की लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। किसान भाइयों के हौसले, साहस, जज़्बे और बलिदान को मैं सलाम करता हूँ।
किसान यह कर रहे मांग
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने गुरुवार हैदराबाद में कहा कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगे पूरी होने और केन्द्र के साथ हमारी बातचीत होने तक किसान आंदोलन जारी रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) आगे के कदमों पर फैसला करने के लिए 27 नवंबर को एक और बैठक करेगा.बुधवार को भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी 29 नवंबर को ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की. टिकैत के ऐलान के मुताबिक वह 29 नवंबर को 60 ट्रैक्टर लेकर संसद की ओर मार्च करेंगे. उस समय टिकैत ने कहा, ट्रैक्टर का यह जुलूस सरकार द्वारा खोले गए रास्तों से होकर गुजरेगा. साथ ही, संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की कि वे 29 नवंबर को 500 ट्रैक्टरों के साथ संसद का घेराव करेंगे।
1 साल पूरा होने पर जश्न मनाएंगे किसान
संयुक्त किसान मोर्चा के एक बयान के अनुसार, “हजारों किसान दिल्ली में विभिन्न विरोध स्थलों पर आने लगे हैं। दिल्ली से दूर अन्य राज्यों में किसान धरना रैली समेत अन्य कार्यक्रम का आयोजन करेंगे।साथ ही कर्नाटक के मुख्य राजमार्ग को किसान करेंगे जाम। तमिलनाडु, बिहार और मध्य प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर ट्रेड यूनियनों के साथ संयुक्त रूप से प्रदर्शन होंगे।
683 किसानों की हो चुकी मौत
रायपुर और रांची में ट्रैक्टर जुलूस निकाले जाएंगे। पश्चिम बंगाल, कोलकाता और जिलों में रैलियों की योजना है। शुक्रवार से दुनिया भर में एकजुटता का भी प्रदर्शन किया जाएगा।एसकेएम ने कहा कि साल भर के आंदोलन में अब तक कम से कम 683 किसानों की मौत हो चुकी है। एसकेएम की बैठक शनिवार को सिंगू सीमा पर होगी जहां प्रदर्शन कर रहे किसान संघ भविष्य के कदमों पर फैसला लेंगे.