Loksabha election 2024 : नई दिल्ली : सूरत के बीजेपी के मुकेश दलाल पिछले 12 साल में निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं. वह भाजपा के पहले ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने संसदीय चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल की है. सात चरणों में चल रहे लोकसभा चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी की पहली जीत है. सूरत लोकसभा सीट में कांग्रेस ने नीलेश कुंभानी को अपना प्रत्याशी बनाया था. रिटर्निंग ऑफिसर उनकी उम्मीदवारी एक दिन पहले खारिज कर दी गई थी, क्योंकि अधिकारीयों को प्रथम दृष्टया प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाई थीं. इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने पर्चाखारिज कर दिया।
पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में सभी प्रत्याशी अपनी जीत के लिए साम दाम दंड का जोर लगा देते हैं. लाखों-करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा दिया जाता है, लेकिन जब आदमी निर्विरोध हो जाता है तो वह इतिहास में दर्ज हो जाता है और उसके खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता। हालांकि सभी की ऐसी किस्मत नहीं होती। लोग पैसा खर्च करते हैं लेकिन चुनाव नहीं जीत पाए। हर किसी की किस्मत सूरत के मुकेश कुमार दलाल जैसी नहीं होती कि पर्चा भरा नहीं और बिना लड़े ही चुनाव जीत गए. सूरत लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मुकेश कुमार दलाल के सामने चुनौती दे रहे कांग्रेस प्रत्याशी की दावेदारी खत्म होने के बाद तमाम प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस ले लिया. इससे मुकेश कुमार निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं. Loksabha election 2024
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि निर्विरोध चुनाव जीतने वाले मुकेश कुमार दलाल इकलौते पहले नेता है। उनसे पहले ही अनेक बार सांसद और विधायक निर्विरोध चुनाव जीते हैं. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री सैयद मीर कासीम तीन-तीन बार निर्विरोध विधायक चुने जा चुके हैं. अरुणाचल प्रदेश की मुक्तो विधानसभा सीट ऐसी सीट है जहां से तीन बार पेमा खांडू और दो बार उनके पिता दोरजी खांडू बिना चुनाव लड़े विधायक चुने गए थे. Loksabha election 2024
पेमा खांडू तीन बार निर्विरोध जीते
निर्विरोध चुनाव जीतने का रिकॉर्ड अभी भी कांग्रेस के पास है। सूरत लोक सभा सीट पर बीजेपी 1984 से लगातार जीत रही है। हाल ही में निर्वाचन आयोग ने जब 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की घोषणा की थी, तो उसके दो हफ्ते बाद ही अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के लिए 10 भाजपा उम्मीदवार चुनावों से पहले ही निर्विरोध चुनाव जीते थें। इनमें मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी शामिल थे. इससे पहले खांडू 2014 के अरुणाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव में भी निर्विरोध चुने गए थे. जून 2011 में भी पेमा खांडू ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में मुक्तो विधानसभा क्षेत्र से निर्विरोध उपचुनाव जीता था. 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक मुकेश दलाल सहित 35 उम्मीदवार ऐसे रहे हैं जिन्होंने बिना किसी चुनावी लड़ाई के सांसद बनें। Loksabha election 2024
डिंपल यादव भी कन्नौज से निर्विरोध जीतीं
2012 में उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुई थीं. अखिलेख यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट पर हुए उपचुनाव में डिंपल यादव के सामने किसी ने चुनाव नहीं लड़ा था. बीएसपी और कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया था. बीजेपी उम्मीदवार समय पर पर्चा दाखिल नहीं कर पाया और दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए थे. Loksabha election 2024
28 सांसद और 298 विधायक निर्विरोध चुने गए
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1952 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक 28 सांसद और 298 विधायक चुनाव लड़े बिना ही संसद या विधानसभा पहुंच चुके हैं. नागालैंड विधानसभा इस मामले में सबसे आगे है. यहां 77 विधायक निर्विरोध चुने जा चुके हैं. नागालैंड के जम्मू-कश्मीर में 63 और अरुणाचल प्रदेस में 40 विधायक निर्विरोध चुनाव जीतकर सदन में पहुंच चुके हैं.1962 में हुए विधानसभा चुनावों में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर से 47 विधायक बिना लड़ें ही नेता चुने लिए गए.