Sindhu Jal Sandhi: 19 सितंबर 1960 में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते को लेकर सरकार ने नोटिस जारी किया है.और इस नोटिस के माध्यम से पाकिस्तान से जवाब मांगा गया है.
Sindhu Jal Sandhi:नई दिल्ली-पाकिस्तान की आर्थिक की स्थिति लगातार गिरती हुई दिख रही है.जिसके कारण पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है.इसी बीच भारत सरकार ने पाकिस्तान को एक महत्वपूर्ण नोटिस देते हुए संकट खड़ा कर दिया है.भारत सरकार के इस नोटिस को लेकर पाकिस्तान की सरकार सख्ते में आ गई है.
Sindhu Jal Sandhi – मामला यह है कि भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सितंबर 1960 मे सिंधु जल संधि (Sindhu Jal Sandhi) का समझौता किया गया था.इस समझौते मे भारत सरकार अब सिंधु जल संधि में संशोधन करने का मन बना लिया है.इस संशोधन को लेकर भारत सरकार ने पाकिस्तान को नोटिस भी जारी कर चुका है.भारत सरकार की इस नोटिस को लेकर पाकिस्तानी सरकार में हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई है.
भारत सरकार के द्वारा इस संधि के संशोधन के बारे में बताया है कि पाकिस्तान (Pakistan) की गलत नीतियों के कारण सिंधु जल संधि के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.जिसको लेकर भारत सरकार को IWT के संशोधन की नोटिस जारी करने के लिए मजबूर किया है. भारत सरकार के द्वारा जिन उद्देश्यों को लेकर सिंधु जल संधि का समझौता किया गया था. उस समझौते के साथ पाकिस्तान के द्वारा बार-बार खिलवाड़ किया जा रहा है.जिसके कारण भारत सरकार अब सख्त रवैया अपनाने जा रही है. भारत सरकार ने इस संधि मे अगर संशोधन कर दिया तो निश्चित रूप से पाकिस्तान में पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा.अभी तक तो पाकिस्तान में आटा एवं चावल के लिए लोग सड़कों में उतर आए थे.लेकिन अब पानी के लिए भी सड़कों में उतरना पड़ सकता है. Sindhu Jal Sandhi
पाकिस्तान को जारी हुआ नोटिस
भारत सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि पारस्परिक रूप से मध्यस्थ रास्ता खोजने के लिए भारत के द्वारा कई बार प्रयास किया गया. लेकिन पाकिस्तान ने इन सभी रास्तों पर रोड़ा बनता गया और वह 2017 से 2022 तक सिंधु आयोग की 5 बैठकें आयोजित की गई. इन बैठकों के माध्यम से पाकिस्तान के साथ कुछ चर्चाएं करने के लिए ही आयोजित की जाती थी. लेकिन पाकिस्तान इस मुद्दे में बात करने से इंतजार करता रहा. इन्हीं कारणों को लेकर भारत सरकार ने सख्त रवैया अपनाते हुए नोटिस जारी कर दिया है. Sindhu Jal Sandhi
इन मुद्दों को लेकर दोनों देशों में छिड़ा है विवाद
सिंधु जल संधि पर वास्तविक विवाद 2015 में शुरू हुआ. जब पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं (एचईपी) पर अपनी आपत्तियों की जांच के लिए एक निष्पक्ष विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया. बाद में 2016 में, पाकिस्तान ने एकतरफा अनुरोध वापस ले लिया और एक मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने अपनी आपत्तियों को स्थगित करने की पेशकश की. हालाँकि, पाकिस्तान द्वारा यह एकतरफा कदम IWT के अनुच्छेद IX द्वारा परिकल्पित श्रेणीबद्ध विवाद निवारण तंत्र का उल्लंघन है. Sindhu Jal Sandhi
इसके बाद भारत ने विश्व बैंक से अलग से अनुरोध किया कि इस मामले को किसी निष्पक्ष विशेषज्ञ के पास भेजा जाए. जिसके बाद विश्व बैंक ने खुद 2016 में इसे स्वीकार किया और हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ और अदालती मध्यस्थता प्रक्रियाओं को शुरू किया. हालांकि, समान मामलों पर इस तरह के समानांतर विचार IWT के किसी भी प्रावधान के तहत नहीं आते हैं. Sindhu Jal Sandhi
पाकिस्तान को नोटिस मे विचार करने का दिया गया है समय
सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए भारत सरकार द्वारा जारी नोटिस का मुख्य कारण पाकिस्तान को IWT उल्लंघनों को सुधारने के लिए 90 दिनों के भीतर अंतर-सरकारी वार्ताओं में भाग लेने का अवसर देना था. बता दें कि यह वार्ता पिछले 62 वर्षों में तय किए गए समझौतों को शामिल करने के लिए आईडब्ल्यूटी में भी संशोधन करेगी. Sindhu Jal Sandhi
वही इस मामले मे तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने कहा- कुछ ताकतें भारत के विकास, सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रही है.. Sindhu Jal Sandhi
इस नियम के तहत हुआ था समझौता
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच एक जल-साझाकरण समझौता है. 19 सितंबर, 1960 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने समझौता किया. विश्व बैंक ने भी इसे वास्तविकता बनाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए. बता दें कि इस संधि के तहत ब्यास, रावी और सतलज के पानी पर भारत का अधिकार है जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम के अधिकांश पानी पर पाकिस्तान का अधिकार है. Sindhu Jal Sandhi