Sonbhadra News : शक्तिनगर स्थित एनटीपीसी की मैन यूनिट, रिहंदनगर प्रोजेक्ट, सिंगरौली के विंध्यनगर स्थित देश के सबसे बड़े बिजलीघर और बिहार के नवीनगर में स्थित ज्वाइंट वेंचर से निकलने वाली राख के निस्तारण में लगभग 1000 करोड़ की घोटाले की आशंका ने हड़कंप मचा दिया है।इस मामले में एनएचएआई के अधिकारियों के साथ-साथ एनटीपीसी की राख निस्तारण इकाई से जुड़े अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. ऊर्जा मंत्रालय तक शिकायत पहुंचने के बाद विजिलेंस टीम और एनटीपीसी की ऐश डिस्पोजल की कॉरपोरेट यूनिट ने मामले की जांच शुरू कर दी है.
बिल व वाउचर के साथ संबंधित अधिकारियों से पूछताछ
Sonbhadra News : बताया जाता है कि दिल्ली की पार्टी ने 24 और 25 अगस्त को दो दिनों के लिए सोनभद्र और सिंगरौली में डेरा डाला था। इस दौरान उन्होंने राख संग्रहण स्थल के दस्तावेजों का सत्यापन करने के साथ ही संबंधित बिल व वाउचर के साथ संबंधित अधिकारियों से पूछताछ की. विस्तृत पूछताछ के लिए एक अधिकारी को शनिवार को दूसरी जगह स्थानांतरित किये जाने की भी उम्मीद है. फिलहाल शिकायत पर चल रही जांच और कार्रवाई को पूरी तरह गोपनीय रखा जा रहा है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस संबंध में बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो सकती है.
1000 करोड़ रुपये के घोटाले की शिकायत
बताया जा रहा है कि इस मामले में शक्तिनगर के सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत मिश्रा ने एक एनजीओ के साथ मिलकर ऊर्जा मंत्रालय से राख निस्तारण यानी उसके परिवहन में 1000 करोड़ रुपये के घोटाले की शिकायत की थी. सूत्रों से पता चला कि शिकायत में आरोप लगाया गया है कि एनटीपीसी की चार परियोजनाओं में राख के निपटान के लिए निविदा प्रक्रिया एक साथ की गई थी यानी परियोजनाओं में डंप की गई राख को केवल एक मालिक के वाहनों द्वारा ले जाया गया था। विभिन्न K समूह कंपनियों को हजारों ठेके दिए गए हैं।
एनएचएआई की सड़कों में राख का उपयोग
राख के सुरक्षित निपटान के लिए इसका उपयोग एनएचएआई द्वारा निर्मित सड़कों को पक्का करने में किया जाएगा। आरोपों की मानें तो परिवहन के जरिये राख हटाने में फर्जीवाड़े का अनोखा तरीका अपनाया गया है. जहां हकीकत में प्रतिदिन 10 से 20 ट्रक ही गंतव्य तक पहुंचते हैं। वहीं, 200 गाड़ियां कई दिनों से कागजों पर दौड़ती नजर आ रही हैं. ट्रांसपोर्ट के लिए भी ज्यादातर मामलों में ऐसा रूट दिखाया जाता है जहां कोई टोल नहीं वसूला जाता. वहीं, कई मामलों में फर्जी टोल पर्चियां लगी हुई थीं. शिकायतकर्ताओं द्वारा यह भी खुलासा किया गया है कि कागजों पर ऐसे कई ट्रकों से राख का परिवहन किया गया, जो महज एक घंटे में शक्तिनगर से झारखंड पहुंचते थे और वापस रिहंदनगर या विंध्यनगर लौट जाते थे.
फिलहाल एनटीपीसी प्रबंधन इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है. वहीं लोगों की निगाहें जांच के नतीजों पर टिकी हुई हैं. शिकायतकर्ता हेमंत मिश्रा ने फोन पर बताया कि शिकायत के समर्थन में उनके पास जो भी दस्तावेज थे, वह जांच टीम को उपलब्ध करा दिये गये हैं. टोल पर्ची, वाहन संख्या और लैंडफिल की मिट्टी परीक्षण और कोयले जैसी राख के ड्रोन माप की मांग की गई है।Sonbhadra News :
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