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    कलेक्टर साहब व्यस्त, जनता त्रस्त, संयुक्त कलेक्टर के दरबार में हंसी ठिठोली जारी

    By Pro VindhyaNovember 12, 2025Updated:November 12, 2025No Comments2 Mins Read

    सिंगरौली। मंगलवार की जनसुनवाई में प्रशासनिक गंभीरता नहीं, बल्कि अफसरों की मस्ती का माहौल देखने को मिला। जनता अपनी समस्या लेकर पहुंची थी, उम्मीद थी कि समाधान मिलेगा, पर मिला तो ठहाकों से भरा हुआ माहौल। क्योंकि इस बार जनसुनवाई में न कलेक्टर गौरव बैनल थे, न जवाबदेही का भाव। कलेक्टर साहब दिल्ली बम ब्लास्ट के बाद सुरक्षा समीक्षा को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में व्यस्त थे, और इधर सिंगरौली की जनता जनसुनवाई कक्ष में अफसरों के मज़ाक का शिकार हो रही थी।

    बता दें कि कक्ष में संयुक्त कलेक्टर संजीव पांडेय जनसुनवाई कर रहे थे, लेकिन बीच-बीच में डीपीसी रामलखन शुक्ला और डीईओ एस.बी. सिंह आपस में हंसी-ठिठोली में मशगूल दिखे। जनता की आवाज़ें, शिकायतें और अर्जी सब कुछ उस शोर में खो गईं, जो किसी सरकारी बैठक का नहीं, बल्कि किसी चाय ठेले की बहस का आभास दे रहा था। कई फरियादी निराश होकर बोले, साहबों के लिए यह जनसुनवाई नहीं, जनमनोरंजन का दिन होता है।

    कई घंटे से लाइन में खड़े लोग बस यह सोचते रहे कि कलेक्टर आएंगे तो शायद बात सुनी जाएगी, लेकिन जब यह पता चला कि कलेक्टर नहीं आ रहे हैं, तो निराशा चेहरे पर साफ झलक रही थी। कुछ फरियादी अपनी फाइलें लिए खामोश लौट गए, तो कुछ ने तंज कसते हुए कहा, जनसुनवाई अब औपचारिकता है, सुनवाई तो सिर्फ रजिस्टर में होती है। कक्ष में मौजूद अफसरों का रवैया देखकर ऐसा लग रहा था मानो जनता के दुख उन तक पहुंच ही नहीं रहे। न किसी की बात पूरी सुनी गई, न किसी शिकायत पर ठोस कार्रवाई का भरोसा दिया गया।

    जनता के मन में सवाल उठ रहा है, क्या जनसुनवाई अब जन के लिए है या सिर्फ सुनवाई के नाम पर खानापूर्ति का कार्यक्रम? कलेक्टर भले ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में व्यस्त रहे हों, पर संयुक्त कलेक्टर और उनके साथ बैठे अफसरों का यह रवैया बता रहा था कि जिम्मेदारी और संवेदनशीलता सरकारी कागज़ों में ही रह गई है।

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