MP News सिंगरौली। भाजपा-कांग्रेस और आप पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतार दिया है सभी दल जहां विकास के बड़े-बड़े दावे और वादे कर रहे है तो वही प्रत्याशी एक दूसरे की कमियों को भी गिना रहे हैं। इस बीच कई गांव में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र मेश्राम के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्हें बाहरी प्रत्याशी कहा और राजेंद्र मेश्राम हटाओ,देवसर बचावो के नारे लगाए तो विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को राजनीतिक ठप्पा लगाते हुए अब इस मामले को कैश करने में जुट गए हैं।
इधर आपको बता दें कि देवसर विधानसभा के मतदाताओं की जुबान से निकले शब्दों का चयन करें तो देवसर विधानसभा में भाजपा को लेकर जनता की जो राय सामने आ रही है उसमें बाहरी होने का जमकर विरोध देखने को मिल रहा है। साथ ही अब तो मतदाताओं को अन्य दलों के प्रत्याशी रिझाने में लगे हुए हैं कि कहां 600 किलोमीटर दूर रहने वाले और अपने विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर अन्य विधानसभा क्षेत्र में 60 किलोमीटर दूर रहकर कैसे विधानसभा क्षेत्र की जनता का दुःख दर्द सुन पाएंगे और शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ दे पाएंगे। देवसर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने विस्थापन का जो दंश झेला है उस दर्द को बयां करते हुए कहा कि विस्थापन का दर्द वही जान सकता है जो विस्थापित हुआ हो। जनप्रतिनिधि क्या जाने की विस्थापन का क्या दर्द होता है। मतदाताओं ने अपनी राय में कहा कि भाजपा की सरकार में कई गांव विस्थापित हुए कई महीने तक विस्थापन के मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन आंदोलन लाठीचार्ज और विभिन्न धाराओं के तहत मामलों को विस्थापित ही झेले हैं। चर्चा में तो मतदाताओं ने यह भी कहां है कि कंपनी प्रबंधन के इशारे में विस्थापितों की आवाज बुलंद करने वाले ग्रामीणों पर अलग-अलग धाराओं में कई मामले दर्ज किए गए ताकि विस्थापितों की आवाज को दबाया जा सके। जहां कंपनी और भाजपा सरकार के जनप्रतिनिधियों ने विस्थापितों की समस्याओं का समाधान नहीं कर सके। लिहाजा विस्थापितो ने अपनी आवाज को बुलंद करने और भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ समाजसेवी मेघा पाटकर को सरई बुला लिए। उन दिनों को जब याद करते हैं तो विस्थापितों के रोंघटे खड़े हो जाते हैं विस्थापितों ने अपनी राय में कहा कि भाजपा सरकार के जनप्रतिनिधियों ने विस्थापित हुए लोगों का कोई सहयोग नहीं किया है अगर सहयोग की भावना होती तो जनप्रतिनिधि विस्थापितों के साथ खड़े होते लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। ऐसे में यही लग रहा है कि जिस तरीके से क्षेत्रीय जनता में कहीं न कहीं भाजपा के खिलाफ आग निकल रही है। उस आग को बुझा पाना मुश्किल भरा लग रहा है। इसका फायदा कहीं न कहीं कांग्रेस और आम आदमी को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। देवसर विधानसभा क्षेत्र में अन्य दलों के प्रत्याशी विस्थापितों को अपने पक्ष में करने के लिए तरह-तरह के षड्यंत्र रचने की पूरी तैयारी कर रहे हैं वही इन दिनों तो भाजपा देवसर विधानसभा क्षेत्र में इस बात की चर्चा काफी तेजी से फैल रही है कि बाहरी को अब मौका नहीं देंगे। वही सुभाष वर्मा का टिकट कटने के बाद देवसर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा कि भाजपा से ही लड़ाई इन दिनों देखने को मिल रही है। ऐसे में यह कह सकते हैं कि देवसर विधानसभा में भाजपा अंतर कलह की लड़ाई से जूझ रही है। MP News
मतदाताओं ने कहा पूर्व की गलतियों को दोहराएंगे नहीं ?
जब देवसर विधानसभा क्षेत्र के दक्षिणी इलाके के मतदाताओं के रूझान लिए गए तो स्थिति बड़ी पेचीदा लग रही है। मतदाताओं ने कहा कि जो पहले गलती हो गई है। अब उस गलती को नहीं दोहराना है। क्योंकि विस्थापन का दंश झेल रही जनता को भाजपा से न्याय नहीं मिला है और ना हीं न्याय की कोई उम्मीद दिखाई दे रही है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि देवसर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को अपनी मजबूती दिखाने की डगर कठिन लग रही है। उसे पनघट पर पहुंचने के लिए भाजपा को काफी मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि स्थिति जनता के हाथों में है। जिस तरीके से बाहरी और भीतरी सहित अन्य बयार चल रही है इस बयार में देवसर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच टक्कर के आसार लगाये जा रहे हैं।MP News
मेश्राम को प्रत्याशी बनाना भाजपा की भूल !
देवसर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं में इन दिनों चर्चा है कि भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र मेश्राम को पहली बार विधायक चुनना ही हमारी सबसे बड़ी भूल रही लेकिन अब हम अपनी पुरानी भूल और गलतियों को दोहराना नहीं चाहते। विधानसभा क्षेत्र में बाहरी और भीतरी प्रत्याशी की बयान खूब बह रही है स्थानीय प्रत्याशी अब इस बयान को तूल भी देने लगे हैं। प्रत्याशी जहां स्थानीय मुद्दे को तरजीह दे रहे हैं तो वहीं बाहरी और भीतरी मुद्दे को मुखर होकर समर्थन मांग रहे हैं बाहरी और भीतरी मामले को लेकर अब बंशमणि वर्मा और रतीभान प्रसाद को भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र मेश्राम के मुकाबले चुनावी फायदा होता नजर आ रहा है। MP News