मामला थाना रामपुर नैकिन के फर्जी ऋण प्रकरण का भूमिहीन व्यक्तियों के द्वारा फर्जी राजस्व रिकार्ड से प्राप्त किया गया था ऋण
सीधी। जिले के रामपुर नैकिन तहसील के अन्तर्गत सेवा सहकारी समिति मर्यादित भरतपुर से भूमिहीन व्यक्तियों के द्वारा फर्जी राजस्व दस्तावेज जमा कर,फर्जी तरीके से ऋण प्राप्त किया गया था। जिनके खिलाफ थाना रामपुर नैकिन में अपराध क्रमांक 96/19 की धारा 419, 420, 467, 468, 471 एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। इसके बाद भी सभी आरोपियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार नही किया गया। जबकि मेरा इस प्रकरण में कोई दोष नही था तब भी हमें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
भरतपुर समिति के पूर्व समिति प्रबंधक गया प्रसाद शुक्ला ने अपनी जारी प्रेस विज्ञाप्ति के माध्यम से बताया कि सेवा सहकारी समिति भरतपुर से वर्ष 2008-2009 में तत्कालीन समिति प्रबंधक एवं तत्कालीन समिति अध्यक्ष अश्वनी प्रसाद त्रिपाठी के द्वारा श्रीमती रमा पाण्डेय पति राकेश पाण्डेय, प्रकाश पाण्डेय पिता गणेशमणि पाण्डेय, हरीश पाण्डेय पिता श्यामसुन्दर पाण्डेय, चन्द्रवती पति गणेशमणि पाण्डेय, सुनीता पति हरीश पाण्डेय, श्यामसुन्दर पाण्डेय, रश्मी पाण्डेय पिता सतीष पाण्डेय, संतोष पिता लालबहादुर पाण्डेय सभी निवासी ग्राम सगौनी का किसान क्रेडिट कार्ड के तहत ऋ ण स्वीकृत किया गया था और सभी ऋणियों के द्वारा निरंतर समिति से प्रति वर्ष लेने देन भी किया जाता रहा हैं।
श्री शुक्ला ने कहा कि पूर्व से उक्त व्यक्तियों को किसान क्रेडिट कार्ड का ऋण स्वीकृत किया जा चुका था। इस कारण मेरे द्वारा भी उसे आगे जारी रखा गया। समिति भरतपुर में उक्त सभी व्यक्तियों के द्वारा जमा किये गये समस्त राजस्व दस्तावेज एवं प्रति वर्ष किये गये लेन-देन की समस्त रसीद एवं अन्य दस्तावेज उपलब्ध है जो कि जरूरत पडऩे पर वर्तमान समिति प्रबंधक एवं अध्यक्ष के द्वारा पुलिस को उपलब्ध करा दिया जायेगा। श्री शुक्ल ने बताया कि श्रीमती रमा पाण्डेय, सतीष पाण्डेय, हरीश पाण्डेय एवं अन्य के द्वारा जय किसान ऋ ण माफी योजना में ग्राम पंचायत भरतपुर में आवेदन भी किया गया था। किन्तु अब उक्त व्यक्तियों के द्वारा यह कहा जा रहा है कि हम लोगों ने समिति से कोई ऋण लिया ही नही और समिति प्रबंधक गया प्रसाद शुक्ला के द्वारा मेरे नाम से ऋण निकाल लिया गया था। जो पूरी तरह असत्य हैं।
श्री शुक्ला ने आगे बताया कि राकेश पाण्डेय सेवा सहकारी समिति भरतपुर के बैक प्रतिनिधि एवं उनके रिस्तेदार अवश्वनी त्रिपाठी समिति अध्यक्ष थें। इन दोनों के द्वारा ही ऋण स्वीकृत कराया गया था और इन दोनों पूरी जानकारी थी। यदि मेरे द्वारा फर्जी तरीके से ऋण स्वीकृत कर राशि का अहरण कर लिया गया था। तो इनके एवं संबंधित व्यक्तियों के द्वारा आज दिनांक शिकायत क्यों नही की गई। जबकि ऋ ण स्वीकृत एवं राशि अहरण में समिति प्रबंधक एवं अध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षर होते हैं। गया प्रसाद शुक्ला ने बताया कि मेरे समस्त दस्तावेज उपलब्ध है जो इस बात को सिद्ध करते है कि राकेश पाण्डेय अपने पूरे परिवार को भूमिहीन होते हुये भी वर्ष 2008-2009 में समिति से ऋण स्वीकृत कराये थें।
भूमिहीन व्यक्तियों को समिति के द्वारा ऋण स्वीकृत किये जाने की शिकायतें वर्ष 2014 हो रही है और इस बात की जानकारी क्षेत्र की आम जनता को भी थी। इसके बाद भी अगर किसी नाम से फर्जी ऋण स्वीकृत किया गया था। तो संबंधित व्यक्तियों के द्वारा इसकी शिकायत की जानी चाहिये थी। सिर्फ यह कह देना कि मैने कोई ऋण लिया ही नही, दोष मुक्त नही हो सकतें। यही नही तत्कालीन समिति प्रबंधक भरतपुर राजेश्वरी सिंह के द्वारा उक्त सभी दोषी व्यक्तियों का नाम जय किसान ऋण माफी योजना में जोड़ा गया था। राकेश पाण्डेय के द्वारा अपने परिवार को बचाने के लिए मुझे फसा कर जेल भिजवाने की साजिश रची थी। श्री शुक्ला ने बताया कि हाईकोर्ट ने मुझे इसी बात पर जमानत दी है कि इस प्रकरण में मेरा कोई दोष नही है। असली अपराधी रमा पाण्डेय, प्रकाश पाण्डेय,सतीष पाण्डेय, हरीश पाण्डेय एवं अन्य लोगों को हाई कोर्ट ने दोषी माना।
चेक से हुआ था भुगतान
सेवा सहकारी समिति भरतपुर से किसान क्रेडिट कार्ड के तहत ऋण वितरण का भुगतान चेक के माध्यम से किसानों को किया जाता था जिसमें समिति प्रबंधक एवं समिति अध्यक्ष का संयुक्त हस्ताक्षर से जारी होता था। उक्त आशय कि जानकारी देते हुये गया प्रसाद शुक्ला ने बताया भूमिहीन व्यक्तियों ने भी चेक से राशि प्राप्त की हैं। जिसका चेक एवं भुगतान पत्रक मेरे पास उपलब्ध हैं। तत्कालीन समिति प्रबंधक के द्वारा पुलिस को समस्त दस्तावेज उपलब्ध नही कराया गया था। जबकि समस्त प्रमाण मेरे पास हैं जो इस बात को प्रमाणित करता है कि भूमिहीन व्यक्तियों के द्वारा फर्जी राजस्व रिकार्ड प्रस्तुत कर, चेक से ऋण राशि प्राप्त की हैं। उन्होंने कहा कि जिनके विरूद्ध पुलिस प्रकरण दर्ज किया जा चुका है उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जायें।