कोरोना वायरस की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो चुकी है. जिसका खासा असर मध्य प्रदेश पर भी पड़ रहा है. गिरती जीडीपी की वजह से प्रदेश में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. जिसे संभालना प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह को कड़ी चुनौती का सामना पढ़ रहा है। भले ही उपचुनाव में शिवराज का दावा कि हमारे पास पर्याप्त पैसा है लेकिन सरकार का 30 दिन में चौथी बार बुधवार को बाजार से 1000 करोड़ रुपए का कर्ज लेना उनके दावों की पोल खोल रहा है। शिवराज सरकार का भी खजाना खाली हो रहा है. इसीलिए वो लगातार कर्ज लेते जा रहे हैं।
बता दें कि शिवराज सरकार 30 दिन में चौथी बार बुधवार को बाजार से 1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इससे पहले 7, 13 और 21 अक्टूबर को सरकार ने बाजार से 1-1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। मिली जानकारी के अनुसार शिवराज सरकार अपने 7 माह के कार्यकाल में 9वीं बार कर्ज ले रही है। वित्त विभाग के नोटिफिकेशन के मुताबिक, 4 अक्टूबर को एक हजार करोड़ रुपए 20 साल के लिए एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की प्रक्रिया पूरी की गई हैl
सरकार पर 22 हजार का कर्ज बड़ा मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि सरकार की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी। कोरोना के कारण सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है। जीएसटी में लगातार कमी के कारण सरकार की आर्थिक संकट की स्थिति में है। सरकार पर जनवरी से अब तक 22 हजार करोड़ का कर्ज बढ़ा है। केंद्र से 4440 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज लेने की पात्रता मिली है। नोटिफिकेशन के मुताबिक सरकार विकास कार्यों के लिए यह कर्ज लिया है।
ब्याज पर 15 हजार करोड़ रुपए खर्च मध्य प्रदेश सरकार के ऊपर इतना कर्ज हो चुका है कि वह सिर्फ ब्याज पर ही करीब 15 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। 2017 में यह ब्याज 12695 करोड़ों रुपए था, जो 2018 में 14432 करोड रुपए हो गया जबकि 2019 में 13751 करोड रुपए तथा 2020 में यह बढ़कर 16460 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। ऐसे में प्रदेश की अर्थव्यवस्था कब तक आ पाएंगे यह कहना मुश्किल होगा।
क्यों लेना पड़ा कर्ज़
कोरोना संक्रमण की वजह से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. सारे काम ठप्पड़ गए हैं न तो निर्माण कार्य गति पकड़ पा रहे हैं और न ही औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर आ पाई हैं. इस कारण करों से होने वाली आय घट गई है. इसके मद्देनजर ही प्रदेश सरकार ने इस बार बजट का आकार लगभग 28 हजार करोड़ रुपये घटाकर 2 लाख 5 हजार करोड़ रुपये से कुछ अधिक रखा है. इसमें भी अधिकांश विभागों पर राशि खर्च करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति लेने का प्रावधान कर दिया गया है.
सरकार आरबीआई के जरिए लेती है कर्ज सरकार आरबीआई के माध्यम से कर्ज लेती है। इसमें सरकार को यह बताना होता है कि इस राशि को कहां और कैसे खर्च करना है। इसके लिए सरकार नोटिफिकेशन जारी करती है। इसमें कर्ज लेने के कारण की जानकारी दी जाती है। आरबीआई की अनुशंसा के बाद सरकार इस कर्ज को लेती है। यह पैसा आरबीआई में रजिस्टर्ड वित्तीय संस्थाएं देती हैं। अभी देखना यह होगा कि सरकार और कितना कर्ज की डिमांड करती है।
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