UP BJP : अगले कुछ महीनों के भीतर देश के चार अलग-अलग राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी की ओर से जारी पदाधिकारियों की नई सूची में इन चारों राज्यों की विधानसभा ही नहीं बल्कि लोकसभा के लिहाज से भी बड़ी फील्डिंग सजाई गई है. एक बार फिर खासकर उत्तर प्रदेश को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक समीकरणों की डोर को मजबूत करने की कोशिश की गई है. उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पदाधिकारियों की संख्या तो बढ़ा दी गई है, लेकिन सियासी समीकरणों की बात करें तो इस बार पार्टी ने न सिर्फ अपने मुस्लिम नेता पर दांव लगाया है, बल्कि सियासी समीकरण भी साधे हैं.
पहले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एक थे इस बार तीन
लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में बड़ा सियासी समीकरण बनाया है. पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की संख्या बढ़ाकर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि संगठन में उत्तर प्रदेश का कद बड़ा है और राजनितिक क्षेत्र भी बड़ा है। इस बार पार्टी ने राजनीतिक समीकरणों को संतुलित करते हुए उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की संख्या बढ़ाकर तीन कर दी है। पिछली कार्यकारिणी में उत्तर प्रदेश से पिछड़े समुदाय की रेखा वर्मा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुआ करती थी. इस बार पार्टी ने बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अहम जिम्मेदारी दी है. इसके अलावा पार्टी ने बीजेपी में बड़े मुस्लिम चेहरे के तौर पर उभर रहे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है. UP BJP :
इस बार बीजेपी की नई कार्यकारिणी में उत्तर प्रदेश से कई बड़े नेताओं को शामिल किया गया है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक ब्रिजेश शुक्ला कहते हैं कि पार्टी ने इस बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जो नाम शामिल किए हैं, उनसे उत्तर प्रदेश में राजनीतिक संतुलन भी बना है. उनका कहना है कि जिस तरह से तारिक मंसूर को पहले एमएलसी और फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है, उससे साफ संदेश जाता है कि बीजेपी इस बार मुसलमानों को लेकर न सिर्फ गंभीर है, बल्कि लोकसभा में उनकी मजबूत भागीदारी के लिए अपने नेताओं को अहम जिम्मेदारी भी दे रही है. विधानसभा चुनाव का संदेश भी दिया है. ब्रजेश शुक्ला का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में पसमांदा समुदाय से आने वाले तारिक को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अहम जगह देकर उत्तर प्रदेश के 80 फीसदी से ज्यादा मुसलमानों को सीधा संदेश दिया है.
सियासी संतुलन बनाने की कोशिश
भाजपा में नई कार्यकारिणी में ब्राह्मण समाज को भी मजबूती से जोड़ने की पूरी रणनीति बनाई है और वह इस कड़ी में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख भाजपा के चेहरे लक्ष्मीकांत वाजपेई को ना सिर्फ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है, बल्कि इससे पहले राज्यसभा का सांसद बना कर एक बड़ा संदेश दिया था। राजनीतिक विश्लेषक ओपी मिश्रा कहते हैं कि लक्ष्मीकांत वाजपाई भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख चेहरे हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद वाजपेई एक तरह से सियासी वनवास काट रहे थे। लेकिन उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाने के साथ ही पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारियां देनी शुरू कीं, और अब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर सियासी संतुलन बनाया है। इसी तरह पार्टी में जाट और गुर्जरों को भी राजनीतिक लिहाज से साधने की पूरी कोशिश की है। पार्टी ने सुरेंद्र सिंह नागर को राष्ट्रीय सचिव बनाकर गुर्जरों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने की पूरी सियासी फील्डिंग सजाई है। UP BJP
इसी तरीके से भाजपा ने पूर्वांचल में भी सियासी समीकरणों को दुरुस्त करते हुए राधा मोहन अग्रवाल को बड़ी जिम्मेदारी दी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राधा मोहन अग्रवाल को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह देकर भाजपा ने पूर्वांचल में एक साथ कई सियासी समीकरणों को साधा है। वरिष्ठ पत्रकार ओपी मिश्रा कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लंबे समय तक गोरखपुर के विधायक रहे अग्रवाल को न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि उनके पूरे समुदाय में सियासी तालमेल के लिहाज से भी अहम जिम्मेदारी दी गई है। इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी सभी समुदाय के नेताओ को राष्टीय कार्यकारणी में शामिल करके उन सभी समुदाय का वोट अपने तरफ करने का बहुत बड़ा दाव खेला है. अब सभी राष्टीय अध्यक्ष एवं सचिव अपने अपने समुदाय का वोट भारतीय जनता पार्टी के तरफ खीचेंगे , जिससे लोकसभा के चुनाव में अंतर आने की उम्मीद है। UP BJP