Nowruz 2023: नवरोज पारसी समुदाय का पवित्र त्यौहार है । यह पर्व वसंत के मौसम की शुरुआत और सर्दियों के अंत को दर्शाता है. इस त्यौहार को करीब 3000 सालों से मनाया जाता है। ऐसे में गूगल ने अलग अंदाज से ही सेलिब्रेशन किया है. UN ने भी नवरोज़ को इंटरनेशनल हॉलिडे के रूप में मान्यता दी हुई हैं। इस दिन पारसियों का यह नया साल होता है और पूरा समुदाय इस पर्व को सेलिब्रेट करते हैं।
Nowruz 2023: 21 मार्च 2023 को दुनिया भर के पारसी समुदाय के लोग नववर्ष का पर्व मनाते हैं। इस पवित्र त्यौहार को समुदाय के लोग बड़े उत्साह पूर्वक सेलिब्रेट करते हैं। इसे जमशेदी, नवरोज,पतेती और पारसी नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। गूगल डूडल ने पारंपरिक त्यौहार को खास अंदाज में नवरोज वर्ष मनाने की शुभकामनाएं दी है। आज के दिन कई इस्लामिक देशों में नवरोज़ के रूप में मनाया जाता है. यह सर्दियों के अंत को दर्शाता है, और दुनिया भर में 300 मिलियन लोगों द्वारा मनाया जाता है.
बता दे कि जिस तरह अंग्रेजी कलेंडर को ऐसा मसीह की जन्म से जोड़ा जाता है हिंदू धर्म में चैत्र माह से नए साल की शुरुआत होती है ठीक उसी तरह पारसी समुदाय का नवरोज नया साल है। नवरोज वसंत के मौसम की शुरुआत और सर्दियों के अंत को दर्शाता है. नवरोज पर्व को गूगल ने अपने डूडल में वसंत के फूलों- ट्यूलिप, जलकुंभी, डैफोडिल्स और ऑर्किड के साथ सजाया है. UN ने भी नवरोज़ को इंटरनेशनल हॉलिडे के रूप में मान्यता दी हुई है.Nowruz की जड़ें ईरान में हैं और कई इस्लामिक देशों में मनाया जाता है, जिनमें से अधिकांश मध्य पूर्व में आते हैं. Nowruz 2023
क्यों मनाया जाता है नवरोज़ ?
नवरोज दो पारसी शब्दों से मिलकर बना है पहला शब्द नौ और दूसरा रोज इसका अर्थ नया दिन माना जाता है इस दिन से पारसी समुदाय के नए साल की शुरुआत होती है इसी दिन ईरानी कैलेंडर भी शुरू माना जाता है। Nowruz को दुनिया भर में फ़ारसी नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 21 मार्च या उसके आस-पास आता है.
नवरोज का इतिहास
माना जाता है कि जो लोग पारसी धर्म से जुड़े हैं और अनुयाई हैं वह नवरोज पर्व को राजा जमशेद की याद में मनाते हैं ऐसा माना जाता है कि पारसी समुदाय के योद्धा जमशेद ने पारस कैलेंडर की स्थापना की थी। कलेंडर के रूप में ना साल मनाया जाता है।फ़ारसी नव वर्ष वसंत ऋतु की शुरुआत और सर्दियों के अंत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है. नवरोज़ उत्तरी गोलार्ध में वसंत की शुरुआत का प्रतीक है, यानी जब सूर्य आकाशीय भूमध्य रेखा को पार करता है जिसके बाद से पूरे साल रात और दिन बराबर होते हैं.
कैसे मनाया जाता है नवरोज़ ?
नवरोज कि 1 दिन पहले ही पारसी समुदाय के लोग घर की साफ सफाई करते हैं फिर जिस दिन नवरोज मनाया जाता है उस दिन समुदाय के लोग सुबह उठकर तैयार हो जाते हैं और कई मजेदार अनुष्ठानों और परंपराओं के साथ पर्व को मनाते है. इस दिन लोग घर के बाहर रंगोली बनाते हैं और घर पर पकवान आते हैं जो लोग घर पर आते हैं उन्हें पकवान खिलाया जाते हैं और उपहार भी दिए जाते हैं वही घर पर चंदन की लकड़ी रखने का भी चलन है इसके पीछे मान्यता है कि चंदन की खुशबू से पूरा माहौल खुशनुमा और पवित्र हो जाता है। इस दिन लोग अपने परिवार के साथ दावत भी करते हैं और अपने प्रियजनों से मिलने जाते हैं.