सफेदपोशधारियों का बना मयखाना,पड़ताल में निकला सर्किट हाउस के हकीकत का आईना,जिम्मेदार बेखबर
सिंगरौली 22 फरवरी। माजनमोड़ स्थित बना करोड़ों रूपये की लागत से सर्किट हाउस के आमदनी पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। करीब 5 साल से बने इस सर्किट हाउस के आमदनी की जानकारी देने में साहबानजन गुरेज कर रहे हैं। ये हकीकत का आईना पड़ताल में खुलासा हुआ है। यहां तो आमदनी नहंी बल्कि कई कथित सफेदपोशधारियों का मयखाना का अड्डा बन चुका है। लेकिन इस हकीकत पर जिम्मेदार बेखबर बने हुए हैं।
गौरतलब हो कि जिला मुख्यालय बैढऩ स्थित माजन मोड़ में लगभग 5 वर्ष पूर्व नया सर्किट हाउस का निर्माण कार्य करोड़ों रूपये की लागत से बनाया गया। सूत्रों की बात मानें तो यह भवन निर्माण कार्य के दौरान ही मिट्टी फिलिंग व साज सज्जा व फर्नीचर के नाम पर लाखों रूपये का तत्कालीन कार्य पालन यंत्री व उपयंत्रियों ने मिलकर गोलमाल व राशि की बंदरबांट करने में कोई कोताही नहीं बरती थी। लेकिन अब तो निर्माण कार्य हो गया। सर्किट हाउस सुसज्जित दिखाई भी दे रहा है। सर्किट हाउस में लोग ठहर भी रहे हैं अब तो आमदनी दिखाई देनी चाहिए। पांच वर्ष के दौरान सर्किट हाउस ने कितना पैसा कमाया इसका लेखा जोखा है भी की नहीं इसकी जानकारी देने से जिम्मेदार अधिकारी कतराते नजर आ रहे हैं।
सवाल यह है कि आखिर इसकी जानकारी देने से परहेज क्यों किया जा रहा है या फिर इन जिम्मेदार अधिकारियों के पास सर्किट हाउस में रूकने वाले लोगों का डाटा ही उपलब्ध नहीं है कि यह पूरी तरीके से धर्मशाला बन गया है। यह कहना इसलिए पड़ रहा है क्योंकि सर्किट हाउस की हकीकत की बानगी को देखना हो तो वहां कमरों के अंदर के साथ-साथ परिसर की जो तस्वीर है वह खुद इस बात की गवाह बन रही है की यह सर्किट हाउस नहीं बल्कि पूरी तरीके से कुछ तथाकथित सफेदपोश धारियों का अड्डा बन गया है। वहां कार्यरत कर्मचारियों से जब इस संबंध में कुछ पूछ जाता है कि उनके जुबान से यही बात निकलकर सामने आती है कि हम सब मजबूर हैं। यहां तो अधिकारियों की नहीं बल्कि नेताओं का दबदबा है। कमरा खोलना, उनको बैठाना बाहर से जबरन सामान मंगवाना यहां तक की जो यहां नहीं होना चाहिए वह भी हो रहा है। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी जब कुछ नहीं बोल रहे हैं तो हम छोटे तबके के कर्मचारियों की क्या औकात है। कुछ इस तरह की हकीकत सर्किट हाउस माजन मोड़ का बना हुआ है।
दिन हो या शाम छलकते हैं जाम
सर्किट हाउस माजनमोड़ में तैनात कुछ कर्मचारियों ने दबी जुबान में पूछते-पूछते आखिर अपने दर्द को बया भी कर दिया। जो भी बताया उनकी बातें सोलह आने सच साबित हो रही थीं। यह सबको जानना जरूरी है कि सर्किट हाउस अब आगन्तुकों का ठिकाना नहीं बल्कि यहां दिन हो शाम चौबीस घण्टे जाम से जाम टकराती नजर आती है। ऐसा भी नहीं हाई फाई शराब के ब्रांड की बोतल परिसर मेें देखने को मिलती है। इससे यह साफ साबित होता है कि यहां कोई साधारण व्यक्ति तो नहीं, बल्कि कुछ तथाकथित सफेदपोशधारियों का ठिकाना है। सुबह होते ही यहां आर्डर,फरमाईश का दौर शुरू हो जाता है।
मरम्मत को भूल रहा पीडब्ल्यूडी
सर्किट हाउस को बने 5 वर्ष का समय बीत रहा है। अब यह भवन अपनी औकात दिखाने लगा है। जगह-जगह भवन में छज्जा छोड़ रहे हैं। नालियां टूटी-फूटी पड़ी हुई हैं। आय-व्यय का लेखा-जोखा नहीं है। आखिर यह सर्किट हाउस की जिम्मेदारी किसको सौंपी गयी है। अभी तक तो इसकी जानकारी हर किसी को यही है कि लोक निर्माण विभाग को यह जिम्मेदारी मिली है। फिर इसके मरम्मत व देख-रेख में आखिर इतनी बड़ी कोताही क्यों बरती जा रही है यह समझ से परे लग रहा है। सर्किट हाउस की दिनों-दिन जो बदहाली होती दिखाई दे रही है उस पर जिम्मेदार अधिकारी उदासीनता क्यों बरत रहे हैं?
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