एनसीएल व नगर निगम प्रशासन ने स्वच्छता का ठेका निजी कंपनियों को देकर अपने कर्तव्यों से की इतिश्री
सिंगरौली — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को सिंगरौली में कई दिन से पड़े गंदगी के ढेर पलीता लगा रहे हैं इसकी तरफ ना तो नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड के सीएमडी और ना ही नगर निगम के आयुक्त का ध्यान है। प्रधानमंत्री मोदी दूसरे देशों की तरह भारत को स्वच्छ भारत के रूप में देखना चाहते हैं इसी को लेकर समय-समय पर लोगों को सफाई व्यवस्था के प्रति जागरूक करने का भी काम किया जाता है लेकिन सिंगरौली जिले में एनसीएल सीएमडी ,नपानि आयुक्त व नगर पालिका सफाई कर्मचारी और अधिकारी इस विचारधारा के विपरीत है। जिस कारण प्रतिदिन गंदगी के ढेर बढ़ते जा रहे हैं और एनसीएल सीएमडी और आयुक्त आरपी सिंह के ढुलमुल रवैया के चलते नगर निगम सफाई कर्मचारी खानापूर्ति करने का काम कर रहे हैं जबकि इस सफाई के नाम पर एनसीएल और नगर निगम सालाना करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रहा है।
बता दें कि सिंगरौली जिले के जयंत इलाके में चाहे सड़क का किनारा हो या फिर गलियां, दुकानों के आसपास हो या चौक चौराहों पर कूड़े का ढेर लगा हुआ है।एनसीएल व नगर निगम प्रशासन ने स्वच्छता का ठेका निजी कंपनियों को देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है. ब्लाक मुख्यालय होने के बाद भी यहां न तो नियमित साफ सफाई होती है और न ही नियमित कूड़े ही उठाए जाते हैं। पूरे कस्बे में गंदगी फैली रहती है और व नालियां बजबजाती रहती हैं। कूड़े से जहां संक्रामक बीमारियों का फैलाव हो रहा है वहीं बजबजाती नालियों से उठती दुर्गन्ध से कस्बा वासियों को सांस लेना भी दुश्वार हो रहा है। कहने को तो कस्बे में सफाई करने के लिए सफाईकर्मी की तैनाती हैं, पर वह अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कितना सजग है यह कस्बे में फैली गंदगी को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।
रोड के किनारे लगा गंदगी का अंबार
जयंत रोड के किनारे एनसीएल के सफाईकर्मियों द्वारा दोनो ओर गंदगी के अंबार लगा दिए गए हैं। कई जगह रोड के किनारे लगे गंदगी के ढेरो से उठती दुर्गंध के कारण वाहनों में सवार लोगों को अपने मुंह को रुमाल से ढकना पड़ता है। यही हाल मोरवा में शुक्ला मोड़ पर है। यहां भी एनसीएल के सफाई कर्मियों ने सड़क किनारे गंदगी के ढेर लगा दिए हैं। रोड के किनारे लगे गंदगी का ढेर किसी का है स्थानीय लोगों ने कई बार एनसीएल प्रबंधन सहित नगर निगम प्रशासन से की लेकिन आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई हैं।
करोड़ों खर्च लेकिन स्थिति जस की तस
एनसीएल व नगर निगम प्रशासन ने स्वच्छता का ठेका निजी कंपनियों को देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है. शिकायत होने के बाद अधिकारी निजी कंपनियों पर ठीकरा फोड़ते हुए कार्यवाही की बात करते हैं लेकिन स्वच्छता का काम कर रही निजी कंपनियां अधिकारियों के मुंह में इतना रुपया ठूस देते हैं कि अधिकारी कार्यवाही करने के बजाय उन्हें संरक्षण देने लगते हैं।नागरिकों का तो कहना है कि जब तक नगर निगम में बतौर आयुक्त शिवेंद्र सिंह थे तो पूरे शहर में सफाई कर्मचारी सुबह 6 बजे से ही कार्य में जुट जाते थे. वे खुद सुबह से सर्वेक्षण करने सड़कों पर घूमते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है. सफाई के नाम पर जिले में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन स्थिति जस की तस है।