रीवा: तानसेन समारोह भारत में आयोजित सबसे पुराने संगीत समारोहों में से एक है। इसका आयोजन अकबर के दरबार में रहने वाले महान संगीतकार तानसेन को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से किया जाता है। तानसेन समारोह या तानसेन संगीत समारोह का आयोजन हर वर्ष दिसम्बर महीने में मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के “बेहत” नामक गांव में किया जाता है। यह एक चार दिवसीय संगीत समारोह है जिसमें दुनिया भर के कलाकार और संगीत प्रेमी इकट्ठा होते हैं और संगीत उस्ताद तानसेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन का संगीत समारोह ग्वालियर में ही क्यों मनाया जाता है रीवा में क्यों नहीं जबकि उन्हें तानसेन की उपाधि रीवा महाराज रामचंद्र जी द्वारा प्रदान की गई और उनके संगीत से प्रभावित होकर महाराजा रामचंद्र जी ने उस समय एक लाख अशरफिया उपहार में दी थी तानसेन का असली नाम रामतनु पांडेय था तानसेन का जन्म 1506 में ग्वालियर से लगभग 40 से 50 किलोमीटर दूर बेहट ग्राम में हुआ था तानसेन के पिता मकरंद पांडेय की कई संताने हुई परंतु कोई जीवित नहीं बचा तब मकरंद पांडेय फकीर हजरत मोहम्मद गौस के पास गए और उनके आशीर्वाद से मकरंद पांडेय के जो पुत्र पैदा हुए थे उसी का नाम रामतनु पड़ा जो बड़ा होकर तानसेन के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
तानसेन की कर्म स्थली रीवा में संगीत समारोह क्यों नही
ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर संगीत प्रेमी थे उन्होंने ग्वालियर में संगीत समारोह कला केंद्र बनाया था जिसमें बैजू बावरा, करण ,महमूद जैसे महान संगीताचार्य हुए यहां गायक लोग एकत्र होते थे। राजा मानसिंह की मृत्यु के पश्चात यह केंद्र भी बंद हो गया और गायकों की टोली भी बिखर गई। रामतनु पांडेय (तानसेन) बृंदावन चले गए और स्वामी हरिदास से संगीत की विद्या प्राप्त कर रीवा के राजा रामचंद्र के दरबार में गायक नियुक्त हुए। यहां उनकी गायकी बहुत मशहूर हुई। जिसकी ख्याति अकबर के दरबार में भी पहुंची। अकबर ने उनकी गायकी सुनी और रीवा के राजा रामचंद्र जी से कहा आप तानसेन को मुझे दे दे ।
तानसेन के लिए रीवा राजा ने अकबर से लिया लोहा
रीवा महाराजा के इंकार करने पर अकबर ने रीवा राज्य पर चढ़ाई कर दी लेकिन युद्ध में अकबर को हार का सामना करना पड़ा फिर दूसरी बार पूरी ताकत से रीवा पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा तब रीवा राजा रामचंद्र जी से समझौता हुआ और तानसेन अकबर के दरबार में नौ रत्नों में एक गिने गए क्योंकि तानसेन का खिताब और प्रसिद्धि रामतनु पांडेय को रीवा दरबार से मिली इसलिए मात्र ग्वालियर में जो तानसेन संगीत समारोह होता है वह उचित नहीं है। वास्तव में तानसेन संगीत समारोह रीवा में होना चाहिए जो तानसेन की कर्म स्थली रहा।
विन्ध्य ओछी राजनीति की चढ़ी बली
जानकार यह भी बताते हैं कि मध्यप्रदेश में विन्ध्य एक अलग ही प्रदेश था लेकिन यह ओछी राजनीति की बलि चढ़ गया।हलांकि बीच बीच में विन्ध्य प्रदेश की मांग उठी लेकिन आज तक कोई सार्थक परिणाम नही मिल सका। लेकिन अब सतना विधायक नारायण त्रिपाठी व भाजपा के पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी एक बार फिर विन्ध्य प्रदेश बनाने की अलख जगाई है दोनो नेता अपनी पार्टी से बगावत करते हुए कह रहे है कि हमारा विन्ध्य हमें लौटा दो। वह इस आन्दोलन में तेजी लाने के लिए युवाओं से आगे आने की अपील भी कर रहे हैं।