Apple farming : कुछ करने का जज्बा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। चरखी दादरी के किसान (Farmers of Charkhi Dadri) धर्मेंद्र श्योराण (Dharmendra Sheoran)ने इस कहावत को सच साबित कर दिखाया। रेत के टीलों में मौसमी फसल उगाकर (growing seasonal crops) धर्मेंद्र ने असंभव को संभव कर दिखाया। इस किसान का दावा है कि उसने एक ऐसी जैविक दवा भी विकसित कर ली है, जो किसी भी फल न देने वाले पेड़ पर प्रयोग की जाए तो वह फल देना शुरू कर देता है.
Apple farming : इस दवा के प्रयोग से उन्होंने बालू के टीलों में सेब उत्पादन का प्रदर्शन किया। अब कन्हारा गांव के किसान धर्मेंद्र श्योराण किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। किसान धर्मेंद्र रेतीली मिट्टी पर सेब, बादाम, अखरोट, काजू, अंजीर के साथ-साथ चंदन के पेड़ भी उगाते हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने स्तर पर नई तकनीक से खेती कर रहे हैं। उनकी मेहनत का नतीजा है कि हरियाणा में भी सेब, काजू, बादाम, केसर, अंजीर और पिस्ता की खेती की जा रही है।
‘पीएम के सपने को किया साकार’
रेतीली मिट्टी में सेब उगाने और जैविक दवा बनाने में धर्मेंद्र की सफलता न सिर्फ राज्य सरकार बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुंची. पिछले साल पीएमओ कार्यालय की एक टीम ने भी इन पेड़ों का दौरा किया था। इस गर्मी के मौसम में भी किसान द्वारा लगाए गए सेब के पेड़ों पर दर्जनों फल साफ दिखाई दे रहे हैं। किसान धर्मेंद्र श्योराण ने अपनी पांच साल की मेहनत से डेढ़ एकड़ जमीन पर सेब का बाग लगा लिया है। किसान ने कहा कि प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के लिए रेतीली जमीन पर कड़ी मेहनत से सेब उगाए. हिमाचल की तरह बस एक सेब के आकार का इंतजार। Apple farming
तीन साल तक ट्रायल लिया, 2019 में लगाया बाग
किसान धर्मेंद्र ने कहा कि वैज्ञानिक नहीं मानते कि रेतीली मिट्टी में सेब उगते हैं। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 2016 से हिमाचल और कश्मीर से सेब के पेड़ लाकर तीन साल तक ट्रायल लिया। आखिरकार 2019 में उन्होंने होममेड ऑर्गेनिक मेडिसिन से डेढ़ एकड़ जमीन पर सेब का बाग लगाया और फल आने लगे। अगले साल से उत्पादन शुरू हो जाएगा।
सेब के पौधों पर जाली लगाकर गर्मी से बचाव
किसान धर्मेंद्र के मुताबिक सेब के कुछ पेड़ों को विशेष जालियां लगाकर गर्मी से बचाया गया है. उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग या सरकार के सहयोग से पूरे बगीचे में जाल लगाकर और बेहतर गुणवत्ता वाले सेब का उत्पादन कर साबित कर दिया कि रेतीली जमीन से सेब का स्वाद बेहतर होगा. Apple farming
उद्यान विभाग की टीम करेगी जांच
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. अरुण शर्मा ने बताया कि विभाग की टीम अगले सप्ताह मौके पर पहुंचकर किसान धर्मेंद्र द्वारा लगाए गए सेब के पेड़ों की किस्म की जांच करेगी. क्योंकि कृषि विश्वविद्यालय ने भी माना है कि हरियाणा की मिट्टी और जलवायु सेब की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है. किसान ने अपने स्तर पर कैसे उत्पादन किया है, इसकी जांच उनकी टीम करेगी। उन्होंने कहा कि रेतीली मिट्टी में उगने वाले सेबों का स्वाद हिमाचल और जम्मू में उगाए जाने वाले सेबों जैसा नहीं होगा।
12वीं पास हैं धर्मेंद्र
किसान धर्मेंद्र श्योराण ने केवल 12वीं तक की परीक्षा पास की है। वह कड़ी मेहनत के बल पर देश की कृषि और किसानों की स्थिति को सकारात्मक रूप से सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। धर्मेंद्र ने घर में काजू, बादाम, केसर और अंजीर जैसे पेड़ भी लगाए हैं। उन्होंने कहा, कड़ी मेहनत से कोई भी क्षेत्र विभिन्न प्रकार की फसलें, फल या फूल पैदा कर सकता है।