जांच रिपोर्ट सामने आएगी या फिर कोयले का ये काला कारनामा फाइलों में ही हो जाएगा दफ्न, जांच प्रभावित करने हर कीमत देने को तैयार है कोयला माफिया, मामला गोंदवाली रेलवे कोलयार्ड का
सिंगरौली 8 अगस्त। गोंदवाली रेलवे कोल यार्ड से कोयले में भस्सी और छाई की मिलावट की जांच के लिए लिया गया सैंपल 5 दिन से खनिज विभाग में रखा हुआ है। कोयले में मिलावट के सैंपल की जांच कराने में जिम्मेदार जहां दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं तो वही कोयला मफिया और एक जनप्रतिनिधि जांच को प्रभावित करने के लिए सक्रिय हो गए हैं। कोयला माफियाओं से जुड़े लोग जनप्रतिनिधियों के जुगाड़ से जांच रिपोर्ट अपने पक्ष में करने के लिए सारे हथकंडे अपना रहे हैं। ऐसे में संभावनाएं जताई जा रही है कि जांच रिपोर्ट सही आएगी इसकी उम्मीद कम ही है।
बता दें कि गोदवाली रेलवे कोल यार्ड के कोयले में भस्सी और रामगढ़ की छाई की मिलावट के खबरों के उजागर होने के बाद जिला प्रशासन और पुलिस के नेतृत्व में छापामार सेम्पल जरूर लिए गए हैं। लेकिन सेंपल लिए पांच दिन बीत जाने के बाद भी खनिज विभाग जांच करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। ऐसे में खनिज विभाग सहित अन्य अमले की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
चर्चाएं है कि कोयला कारोबारी ना केवल जांच अधिकारियों के इर्द-गिर्द घूम रहे बल्कि एक जनप्रतिनिधि से भी संपर्क कर जांच प्रभावित करने के लिए हर कीमत देने के लिए तैयार हैं। बहरहाल मामले की क्या वाकई जांच रिपोर्ट सामने आएगी या फिर कोयले का ये काला कारनामा फाइलों में ही दफ्न होकर रह जाता है ये अब देखने वाली बात होगी.सूत्रों के मुताबिक जन चर्चा है कि कोयले में मिलावट के इस खेल में अघोर के प्रशांत जायसवाल, महाकाल बबलू सिंह, मॉ काली सहित मौरारका का कोयला हैं।
यहां बताते चले कि मौजूदा खनिज अधिकारी उक्त मामले को लेकर गंभीर नही है। दो महीने पूर्व भी कोल संबंधी शिकायत में खनिज अधिकारी आकांक्षा पटेल की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसलिए लोग अब धीरे-धीरे मौजूदा खनिज अधिकारियों के कार्यप्रणाली से शिकायत कर्ताओं का भी विश्वास उठता जा रहा है। इस बात का आशंका जता रहे हैं कि पूर्व भांति उक्त मामले में खनिज विभाग लीपापोती न कर दें।
कोयले में हेर-फेर व मिक्सिंग के लिए बदनाम रहा है गोदवाली कोल यार्ड
गोंदवाली कोलयार्ड में कोयले के हेर-फेर और मिक्सिंग के लिए लंबे समय से बदनाम रहा है। कोयले में मिक्सिंग का कारोबार आरपीएफ पुलिस की आंखों के सामने किया जाता है। रेलवे अधिकारियों के मर्जी के बिना एक गाड़ी भस्सी और छाई कोल यार्ड तक पहुंचाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। चर्चा तो यह है कि बरगवां और मोरवा रेलवे स्टेशन पर तैनाती के लिए रेलवे अधिकारियों को न केवल मोटी चढ़ोत्तरी देनी पड़ती है बल्कि राजनीतिक पकड़ होने के बाद ही पोस्टिंग होती है। कोयले में मिलावट के इस खेल में माफिया के साथ आरपीएफ पुलिस, जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में किया जाता है।
