करैला और मलगो के स्कूली छात्र-छात्राओं ने शिक्षा विभाग की निगरानी व्यवस्था पर खड़ा किया प्रश्नचिह्न, समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ तो होगा सामूहिक आंदोलन
सिंगरौली। जिले की शिक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। मलगो और करैला स्कूलों की लगातार मिल रही शिकायतों ने न केवल विद्यालय व्यवस्था की हकीकत उजागर की है बल्कि जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) एसबी सिंह के स्कूल भ्रमण और प्रशासनिक कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों का निरीक्षण केवल कागजी औपचारिकता बनकर रह गया है, जबकि जमीनी स्तर पर स्थितियाँ वर्षों से बिगड़ी हुई हैं।
गौरतलब है कि मंगलवार को बैढ़न विकासखंड के शासकीय हाई स्कूल मलगो के करीब एक सैकड़ा छात्र-छात्राएँ जनसुनवाई में पहुँचे और संयुक्त कलेक्टर संजीव पांडे को बताया कि स्कूल में महीनों से नियमित कक्षाएँ नहीं लग रहीं। प्राचार्य स्कूलों का कमर्शियल पंप और पंखे निकलवा के अपने घर में लगवा लिए, साइकिल वितरण में पैसे लिए, सरस्वती पूजा में अगरबत्ती जलाने पर नाराज होते हैं, यह समस्या कोई एक-दो दिन की नहीं है, बल्कि लंबे समय से जारी है। अंग्रेजी विषय की कक्षाएँ महीनों से नहीं ली गईं और प्रभारी प्राचार्य अक्सर अनुपस्थित रहते हैं।
बच्चों ने बताया कि कई बार इसकी शिकायत स्कूल में जांच करने आए अधिकारियों से भी किया गया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। छात्रों ने कहा कि जब पानी सर से ऊपर हो गया तब मजबूर होकर उन्हें प्रशासन की चौखट तक पहुँचना पड़ा। दसवीं कक्षा के छात्र अनूप कुमार ने बताया कि परीक्षा निकट है, लेकिन पढ़ाई अधूरी है। छात्रा मधु सिंह का कहना है कि कई बार शिकायत करने पर भी प्राचार्य के व्यवहार और शिक्षण व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। छात्रों के अनुसार विद्यालय का माहौल पूरी तरह अविश्वसनीय और अव्यवस्थित हो चुका है।
जनसुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में बच्चों को देखकर शिक्षा अधिकारियों के चेहरे पर भी असहजता साफ झलक रही थी। छात्रों ने प्रशासन को अवगत कराया कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो वे सामूहिक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। दोनों स्कूलों की शिकायतों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिले की शिक्षा व्यवस्था निगरानीहीन होती जा रही है। डीईओ की कार्यप्रणाली पर उठे सवालों का जवाब अब विभाग को देना होगा, अन्यथा छात्रों का भविष्य लगातार जोखिम में बना रहेगा।
करैला स्कूल का माहौल बेहद खराब
दूसरी ओर, करैला स्कूल का माहौल बेहद खराब है, स्कूल
की शिकायत पहले ही शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गहरा सवाल उठा चुकी है। यहां बच्चे लंबे समय से मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे थे, जब उन्हें एहसास हो गया कि उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं होगा तो परेशान होकर हुआ है कलेक्टर से मिलने पहुंच गए। छात्रों ने एक शिक्षक पर धार्मिक प्रताड़ना और दबाव के आरोप लगाए थे। टीका मिटवाने, कलावा हटवाने और बौद्ध धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने जैसी गंभीर शिकायतें विभाग में पहले भी दर्ज हो चुकी थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अभिभावकों का सीधा आरोप है कि कई बार निरीक्षण रिपोर्ट में सब कुछ संतोषजनक दिखा दिया जाता है, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग होती है, और यही कारण है कि बच्चों को आखिरकार जनसुनवाई में पहुँचकर अपनी बात रखनी पड़ी।
डीईओ का भ्रमण या सिर्फ दिखावा?
स्थानीय अभिभावकों और शिक्षा प्रेमियों का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी का स्कूल भ्रमण केवल दिखावे और भौकाल तक सीमित होकर रह गया है। क्षेत्र में लगातार बढ़ रही शिक्षण संबंधी समस्याएँ और बच्चों की शिकायतें इस बात का संकेत देती हैं कि निरीक्षण की प्रक्रिया कागज़ों में अधिक और ज़मीनी स्तर पर कम नज़र आती है। लोगों का कहना है कि यदि डीईओ का निरीक्षण वास्तव में प्रभावी और जमीनी हकीकत के अनुरूप होता, तो मलगो और करेला स्कूलों में लंबे समय से चल रही अव्यवस्थाएँ यूँ ही परत-दर-परत नहीं जमतीं। यह स्थिति विभाग की सतर्कता और डीईओ एसबी सिंह की निगरानी पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
