Singrauli News : अव्यवस्थाएं उजागर- अधीक्षक को भेजा नोटिस, जवाब के बाद ही मिलेगी अनुमति, डीपीओ की कार्यप्रणाली कठघरे में, दो साल तक निरीक्षण रिपोर्टों में सब ठीक कैसे दिखा? बड़ा सवाल
सिंगरौली। गायत्री बालिका गृह प्रकरण में कई दिनों से जारी जांच, आरोपों और सवालों के बीच आखिरकार कलेक्टर गौरव बैनल ने जांच टीम की प्राथमिक रिपोर्ट सामने रख दी है। कलेक्टर ने बताया कि तीन सदस्यीय महिला अधिकारियों की जांच टीम ने बालिका गृह में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं की जांच की और अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है।
रिपोर्ट के आधार पर वहां रह रही 9 बालिकाओं के माता-पिता को बुलाया गया है, ताकि बालिकाओं की स्वतंत्र काउंसलिंग कर उन्हें सुरक्षित और सहज वातावरण मिल सके। कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मां-बाप की मौजूदगी में बालिकाओं की काउंसलिंग करें, और यदि बालिकाएं अपने घर जाना चाहें तो उनकी सुरक्षित विदाई सुनिश्चित की जाए।
कलेक्टर ने स्वीकार किया कि बालिका गृह में कई कमियां मिली हैं। इन्हीं अव्यवस्थाओं के संबंध में गृह अधीक्षक को नोटिस जारी किया गया है, और उनसे स्पष्ट जवाब मांगा गया है। उन्होंने कहा कि यदि अधीक्षक का जवाब संतोषजनक हुआ और कमियों को सुधारा गया, तभी बालिका गृह को आगे संचालित करने की अनुमति पर विचार किया जाएगा। कमियां दूर हों, व्यवस्था बेहतर हो, तभी संचालन की अनुमति मिलेगी ।
कलेक्टर का यह बयान साफ संकेत देता है कि प्रशासन इस मामले को अब कतई हल्के में नहीं ले रहा। जांच रिपोर्ट में कमियां सामने आने के बाद अब यह और स्पष्ट हो गया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग की निगरानी प्रणाली बेहद कमजोर रही। सवाल ये भी है कि जब न्यायिक निरीक्षण में बालिकाएं मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगा रही हैं, तो विभागीय निरीक्षणों में यह सब कभी दिखाई क्यों नहीं दिया।
डीपीओ पर उठे गंभीर सवाल
लेकिन सवालों का बड़ा दायरा जिलास्तरीय अधिकारियों की ओर भी बढ़ रहा है, विशेषकर डीपीओ (जिला कार्यक्रम अधिकारी) की भूमिका पर। आरोप है कि बालिका गृह में न पर्याप्त स्टाफ था, न निर्धारित मापदंड पूरे थे फिर भी दो वर्षों से इसे कैसे हरी झंडी मिलती रही। निरीक्षण रिपोर्टों में सब ठीक कैसे बताया गया। क्या डीपीओ की आंखों पर पट्टी बंधी थी, या फिर अनदेखी किसी और कारण से हुई।
अब सबकी नजरें अंतिम जांच रिपोर्ट पर
प्रकरण लगातार गर्माता जा रहा है और आईसीडीएस अमला दबाव में है। कलेक्टर की ओर से मांगी गई जवाबदेही बताती है कि आने वाले दिनों में और भी कार्रवाई संभव है। प्रशासन की अगली चाल ही तय करेगी कि यह मामला सिर्फ लापरवाही है या इसके पीछे और भी बड़ी प्रणालीगत खामियां छिपी थीं।
