MP News सिंगरौली। राजनीतिक रूप से हर बार ठगें गए बनिया समाज अपनी परंपरागत पार्टी को ठेंगा दिखाने का मन बना लिया है। इसके उलट वैश्य समाज ( बनिया) इस बार भाजपा कांग्रेस बसपा से दूरी बनाते हुए अपने समाज के आप पार्टी उम्मीदवार रानी अग्रवाल के पक्ष में वोट करने का मन बना रहे हैं। इसके लिए बनिया समाज को लीड करने वाले नेता देर रात बैठक कर रहे हैं और सामाजिक रूप से एक जुट होकर सत्ता पलटने की बातें करनी शुरू कर दिए। हालांकि समाज कितना एकजुट होगा और अन्य दलों को कितना नुकसान कर पाएगा यह आने वाला वक्त बताएगा।
बता दें की भाजपा का परंपरागत वोट बनिया समाज रहा है और सत्ता तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता आया हैं। लेकिन पिछले कई चुनाव में बनिया समाज को संगठन में जो स्थान मिलना चाहिए था वह नहीं मिल रहा था, अपेक्षा के अनुरूप पार्टी और शीर्ष नेतृत्व के रवैया से समाज नाराज था। कामोवेश स्थिति इस विधानसभा में भी रही। भाजपा ने रीवा,सतना, सीधी, सिंगरौली में बनिया समाज के दावेदारों को एक भी सीट पर नहीं उतारने से समाज के लोग नाराज हैं। यही वजह है कि इस बार बनिया समाज भाजपा और कांग्रेस से दूरी बना रहे हैं। इस बार बनिया समाज आप पार्टी प्रत्याशी रानी अग्रवाल को जिताकर भाजपा कांग्रेस को संदेश देना चाहते हैं कि भले ही उनकी संख्या विधानसभाओं में अन्य समाज के मुकाबले कम है लेकिन वह भी चुनाव जीत सकते हैं। MP News
उपेक्षा होने से पार्टी से बनिया समाज नाराज
सिंगरौली जिले में सभी दलों से संगठन में उचित स्थान नहीं मिलने से बनिया समाज लंबे समय से उपेक्षित महसूस कर रहा था, इस बार विन्ध्य संभाग के 24 सीटों में एक भी टिकट बनिया समाज को नहीं मिलने से समाज नाराज था। जबकि सिंगरौली नगर निगम चुनाव में आप पार्टी की महापौर रानी अग्रवाल ने भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशी को चुनाव में हराकर यह साबित कर दिया था कि भले ही बनिया समाज के मतदाताओं का ब्राह्मण और साहू समाज के मुकाबले कम है लेकिन रानी अग्रवाल ने जो अपनी सियासी जमीन तैयार की थी उसके सामने सभी दल मुंह के बल गिर पड़े और रानी अग्रवाल महापौर बन गई। MP News
ब्राह्मण और ठाकुर समाज होगा निर्णायक
सिंगरौली विधानसभा सीट भले ही आनरक्षित सीट रही लेकिन इस सीट में भाजपा कांग्रेस और बसपा के लिए यह सीट ओबीसी ही सीट रही है। इस बार भी सभी दलों ने ओबीसी प्रत्याशी उतार कर राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। जहां अभी तक ओबीसी समाज निर्णायक मतदाता हुआ करता था लेकिन इस विधानसभा चुनाव में तीनों दलों से ओबीसी उम्मीदवार उतार कर समीकरण बदल दिए हैं। इस बार ब्राह्मण और ठाकुर निर्णायक मतदाता होंगे। ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता जिस दल को सपोर्ट कर देंगे उस दल की जीत निश्चित है। वहीं चर्चा है कि एक समाज कभी भी ठाकुर और ब्राह्मण को वोट नहीं देता वह हर बार अपने समाज के उम्मीदवार को ही वोट देता आ रहा हैं । लिहाजा इस बार ब्राह्मण और ठाकुर भी उस समाज से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। यदि इस समीकरण से मतदान हुआ तो आप पार्टी के लिए यह शुभ संकेत होगा।MP News