MP News सिंगरौली : नगर निगम में भ्रष्टाचार इस कदर अपनी जड़े जमा लिया है कि उसे अब पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों को भी दरकिनार करने से नहीं हिचकिचाते। आरोप लगाया कि सिटाडेल कंपनी पर्यावरण मंत्रालय से हुए एग्रीमेंट का पालन नहीं कर रहा है। जिन अधिकारियों पर एग्रीमेंट का पालन कराने का दायित्व है वह कंपनी पर मेहरबान है। हालांकि परिषद बैठक में कमिश्नर भी स्वच्छता और स्वच्छता नोडल अधिकारी पर शिकंजा कसने पर अपनी असमर्थता बतायीं थी। उन्होंने कहा की छाती पर पैर रखकर नोडल अधिकारी बनते हैं, वही नगर निगम में बड़ा चक्रव्यूह है जिसे वह नहीं तोड़ पा रहे।
परिषद बैठक में पार्षद ने आरोप लगाया की सिटाडेल कंपनी और नगर निगम के बीच हुए कॉन्ट्रैक्ट का पालन नहीं हो रहा है। सिटाडेल कंपनी के प्रस्तावित परियोजना पर्यावरण से किसी शर्त पर मंजूरी मिली थी कि वह पर्यावरण को संरक्षित करते हुए काम करेगा। लेकिन कंपनी ने पर्यावरण मंत्रालय के आदेश को नजर अंदाज किया है। सम्भवतः आयुक्त पर अपनी हनक भी दिखा रहा है। इसलिए आयुक्त ने परिषद में कहा कि नगर निगम में बड़ा पुराना चक्रव्यूह है जिसे मैं एक साल से नहीं तोड़ पा रहा।
बता दें कि पर्यावरण मंत्रालय और सिटाडेल के बीच हुए एग्रीमेंट में बुडकुड, गनियारी, नवजीवन विहार, मोरवा में 25 एकड़ में ग्रीन बेल्ट डेवलप करना था। ताकि क्षेत्र में पर्यावरण का संतुलन बना रहे। पार्षदों ने कहा कि वृक्षारोपण, ग्रामीणों को खाद बीज उपलब्ध कराने और पूरे कचरे का निस्तारण करने का एग्रीमेंट हुआ था लेकिन कंपनी बिना कोई काम किये अधिकारियों से सांठ-गांठ कर कई करोड़ रुपए का गोलमाल कर दिया। पार्षदों ने सिटाडेल कंपनी के एग्रीमेंट को निरस्त करने करने की मांग की थी। लेकिन इस मामले में आयुक्त सिर्फ जांच टीम गठित कर रहे हैं कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति की जा रही है। MP News
सिटाडेल और सत्तादल मंत्री का गठजोड़ ?
परिषद बैठक में आयुक्त का बयान कि स्वच्छता नोडल अधिकारी बनने छाती पर पैर रखकर आदेश करवाते हैं, यह एक चक्रव्यूह है जिसे तोड़ नहीं पा रहा हूं, इसके अब कई मायने निकाले जा रहे हैं, स्वच्छता मद में हर महीने डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा पैसे खर्च हो रहे हैं, यही वजह है कि स्वच्छता नोडल अधिकारी बनने के लिए बोली लगती है, उस पर भी सिटाडेल कंपनी जिसे चाहती है उसे नोडल अधिकारी बनता है। सूत्र बताते हैं कि सिटाडेल कंपनी में एक प्रदेश स्तर के मंत्री का पैसा लगा हुआ है ऐसे में कंपनी से आयुक्त कोई काम करवा पा रहे और ना ही उसका भुगतान रोक पा रहे हैं। शायद यही वजह है कि उन्होंने परिषद में कहा था कि वह नगर निगम में सालों का चक्रव्यूह तोड़ने में असमर्थ है जाने में ही अपनी भलाई बताई थी। MP News
आए दिन सिटाडेल की होती है शिकायत
नगर पालिक निगम में स्वच्छता में गड़बड़ी की शिकायत दो दर्जन से अधिक पार्षद लंबे समय से कर रहे हैं। पार्षदो ने आरोप लगाया कि सिटाडेल कंपनी को प्रतिदिन 10 टन कचरा संग्रहण का वर्क आर्डर जारी हुआ लेकिन 30 टन का भुगतान किया जा रहा है। शहर के खाली पड़े प्लांट और नालियां कचरे से अपनी शोभा बढ़ा रहे। कई सालों से मच्छरों से निजात पाने के लिए कई वार्डों में फाॅगिंग नहीं हुआ और ना ही नालियों में कीटनाशक डाला गया। लेकिन कीटनाशक खरीदी लगातार होती रही। पार्षदों के शिकायत पर परिषद अध्यक्ष, आयुक्त और प्रभारी महापौर कार्यवाही की बात कही लेकिन 15 दिन से अधिक का समय बीत गया है अभी तक सिटाडेल कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। MP News