Singrauli News सिंगरौली। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों को सिटाडेल कंपनी के कर्ता धरता अपने जूते की नोक पर रखे हैं। मंत्रालय के साथ हुए एग्रीमेंट का पालन किए बिना कंपनी अकूत पैसा कमाने के आरोप परिषद पर कई बार लग चुका है। सूत्रों कि माने तो सिटाडेल को एक मंत्री का आशिर्वाद है। यहीं वजह है कि वह खूब फल फूल रहा है।
वहीं आयुक्त परिषद में अपनी असमर्थता जाता चुके कि स्वच्छता नोडल अधिकारी बनने के लिए उनके छाती पर पैर रखकर आदेश करवाए जाते हैं। वह नगर निगम के चक्रव्यूह को पिछले एक साल से नहीं तोड़ पा रहे। लेकिन अब स्वच्छता नोडल अधिकारी भी हैं, फिर ऐसा कौन सा दवाब है जिसके चलते हुए सिटाडेल कंपनी पर कार्यवाही नहीं कर पा रहें। Singrauli News
गौरतलब है कि 17 मार्च 2024 को ननि आयुक्त डीके शर्मा नगर निगम की कमान संभाली। लेकिन उनके आने के बाद स्टोर घोटाला, शिवाजी पाइप लाइन घोटाला, जैम आउटसोर्सिंग घोटाला, नगर निगम टेंट घोटाला, कोटेशन घोटाला, बल्ब घोटाला, स्वच्छता घोटाला सहित कई घोटालो के आरोप लगे। इन घोटालों के लिए जांच टीम भी बनाई गई, लेकिन कोई जांच अब तक पूरी नहीं हो पाई। एक भी अधिकारी घोटाले में नहीं पकड़ाएं।
हैरानी इस बात की भी है कि पिछले परिषद में कमिश्नर चोर है कि नारे लगाने वाले पार्षद आज आयुक्त के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। पार्षद कमिश्नर के प्रति सहानभूति दिखने लगे हैं। जिसके अब कई मायने निकल जाने लगे हैं। चर्चा हैं कि कमिश्नर ने पार्षदों को मैनेज कर लिया है। कुछ लोगों का दावा है कि कमिश्नर पार्षदों को कोटेशन का काम उनके चाहते ठकेदारों को देने का वादा किया है। कुछ पार्षदों को कोटेशन का काम दे दिया गया है और कुछ पार्षदों को देने वाले हैं। Singrauli News
सिटाडेल का फल फूल रहा कारोबार
घर-घर कचरा संग्रहण और निस्तारण का काम कर रही सिटाडेल कंपनी का धंधा भी क्या खूब धंधा है। हिंग लगे न फिटकरी रंग चोखा और अगर मंत्री जी अपने हों तो सोने पे सुहागा। जिस कंपनी को अपने आका की मेहरबानी से काम मिला हो उसके लिए नियम कायदे सिर्फ औपचारिकता रहतीं हैं। हां उसके लिए मंत्री जी किसी कोहेनूर के हीरे से कम नहीं हैं। मंत्री के रहते अधिकारी भी उसके काले पीले कारनामों पर पर्दा डालते हैं। अधिकारियों को भी डर सताता रहता है कि मंत्री कहीं उसकी ही जांच न कराने लगें। Singrauli News
सिटाडेल पर कार्यवाही से बच रहे आयुक्त
सिटाडेल कंपनी के खिलाफ पार्षदों ने एक दर्जन से ज्यादा शिकायतें कर चुके है। लेकिन मंत्री का हाथ होने से कंपनी के खिलाफ कार्यवाही करने से आयुक्त एक साल से बच रहे हैं। हालांकि ननि आयुक्त अपनी जिम्मेदारियां को ठीकरा दूसरे अधिकारियों पर फोड़कर खुद को ईमानदार साबित करने के लिए शब्दों की बाजीगरी करते नजर आए।
या यूं कहें की आयुक्त भी सिटाडेल कंपनी के सामने नतमस्तक हो गए हैं। सूत्रों का दावा है कि आयुक्त भी कुछ इसी मर्ज से पीड़ित है, उन्हें डर है कि कहीं उनकी इंक्वारी सेटअप ना हो जाए। आय से अधिक संपत्ति कमाने वाले अधिकारियों पर लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू तो पहले से ही घात लगा कर बैठी है।