देश — कोरोना के दौरान साइबर क्रिमिनल भी सक्रिय हो गए हैं। साइबर क्रिमिनल कोरोना के नाम से ठगी के लिए कई तरीके अपना रहे हैं।कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल बेहद उपयोगी है, लेकिन सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर इस ऐप के नाम पर किसी लिंक को खोलने से फॉरवर्ड करने से बचें, नहीं तो आप ठगी का शिकार हो सकते हैं।
भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने शनिवार को कहा कि देश में आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप के नाम पर ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में तेजी आई है।साइबर पुलिस ने लोगों को ऐसे लिंक न खोलने न खोलने के लिए आगाह किया है।एजेंसी ने कहा कि साइबर अपराधी विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़ी लिंक और लोकप्रिय वीडियो कांफ्रेंस साइटों जैसे जूम आदि से मिलते-जुलते लिंक बनाकर भी लोगों की संवेदनशील सूचनाएं चुरा रहे हैं।
आरोग्य सेतु एप की आड़ में भी साइबर क्रिमिनल ठगी कर रहे हैं। क्रिमिनल आरोग्य सेतु एप इंस्टॉल करने के नाम से संदिग्ध लिंक भेज रहे हैं। इन लिंक्स को खोलने से मोबाइल की एक्सेस साइबर क्रिमिनल ले सकते हैं, जिससे आप आसानी से ठगी का शिकार हो सकते हैं। एजेंसी का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान इंटरनेट यूजर्स की जिज्ञासा का लाभ उठा कर ठग उनके साथ साइबर धोखाधड़ी कर रहे हैं।
अभी तक 9.8 करोड़ लोगों ने आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड किया है। यदि इस ऐप के उपयोगकर्ता किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आते हैं, तो ऐप उपयोगकर्ताओं को सचेत करता है। कोविड-19 को लेकर रोक वाले इलाकों में आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य कर दिया गया है। दिशा-निर्देश में महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने में शामिल विभिन्न एजेंसियों द्वारा डेटा को संभालने की प्रक्रिया तय की गयी है।
साइबर पुलिस ने लोगों को आगाह करते हुए कहा है कि साइबर क्रिमिनल फेक मोबाइल एप के लिंक ई-मेल, व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से भेज रहे हैं। इन लिंक से जब एप डाउनलोड की जाती है तो इंस्टॉलेशन के दौरान इंटरनेट और कई एडिशनल एप्लिकेशन पैकेज को इंस्टॉल करने के लिए कहा जाता है। पाया गया है कि लोगों को फेस.एपीके, ईमो.एपीके, नॉरमल.एपीके, ट्रूसी.एपीके, स्नैप.एपीके और वाइबर.एपीके जैसी फेक एप लिंक भेजे जा रहे है। इन एप को क्लिक करने से फोन में वायरस एंटर करता है। इससे मोबाइल फोन में बैंक डिटेल सहित अन्य डाटा हैक किया जा सकता है।