Singrauli — ऊर्जाधानी के मोरवा थाना क्षेत्र में शादी का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जिसमें नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड कंपनी में कार्यरत महाप्रबंधक (कार्मिक) सिक्योरिटी श्री चार्ल्स जुस्टर 100 रुपए के स्टांप पेपर पर दस्तखत करके एक वेवा युवती से शादी कर ली। हालांकि चार्ल्स जुस्टर शादीशुदा है और दो बच्चों के पिता भी है। 57 वर्षीय चार्ल्स जुस्टर अपने से 14 साल छोटी युवती से स्टांप पेपर शादी की है। करीब 2 वर्ष पूर्व इन्हें एक नौकरी पेशा युवती से प्यार हो गया तो नोटरी कराते हुए 100 रूपए के स्टांप में शादी कर ली । सवाल यह है कि क्या भारतीय कानून 100 रुपए के स्टांप में नोटरी से तस्दीक कराने के बाद शादी की मान्यता देती है या यह सिर्फ एक धोखा है। आइए जानते हैं क्या है नियम।
यदि आप स्टाम्प पेपर या नोटरी पर शादी करने जा रहे हैं तो आप समझ लीजिए कि आपकी यह शादी 100 फीसदी गैरकानूनी होने वाला है। साथ ही साथ इस शादी के बाद आप कोर्ट और कानूनी पचड़े में भी फंस सकते हैं क्योंकि यहां पर आपका शादी लीगल तरीके से नहीं हुआ है।यदि आप भविष्य में विदेश जाने का बात सोच रहे हैं या फिर मैरिज सर्टिफिकेट के बारे में सोचते है तो फिर आप गलत हो सकते हैं। क्योंकि आपको बता दें शादी करने का जो प्रोसेस है वह आपको कोर्ट मैरिज करना होगा। यदि आप नोटरी या स्टाम्प पेपर पर शादी करते हैं तो इसका मान्यता बिल्कुल भी नहीं है।
नोटरी और कोर्ट में सक्रिय दलालों की मदद से न केवल सिंगरौली बल्कि देश भर में हर माह लाखों लड़कियों की जिंदगी दांव पर लगाई जा रही है। युवतियों को झांसे में लेने के लिए युवक स्टांप या नोटरी मैरिज का सहारा ले रहे हैं। ज्यादातर युवतियां काेर्ट मैरिज के फेर में इस कागजी शादी के जाल में फंस जाती हैं। कानून के जानकार कहते हैं कि महज 100,200 या 500 सौ रुपए के स्टांप पेपर पर होने वाली इन शादियों का कोई कानूनी आधार नहीं है। खास बात यह है कि कोर्ट मैरिज के नाम पर स्टांप पेपर साइन करने वाली युवतियों में ग्रामीण या कम पढ़ी-लिखी लड़कियां ही नहीं बल्कि जॉब करने वाली शहरी लड़कियां भी शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कानून की नजर में पूरी तरह अवैध ऐसी शादियों की संख्या कम होने की वजाए लगातार बढ़ रही हैं। हालांकि स्टांप पेपर तैयार करने वाले नोटरी या दलालों के खिलाफ आज तक कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है।
दलाल और नोटरी की मिलीभगत से धड़ल्ले से चल रहा है धंधा
फैमिली कोर्ट के वकीलों का कहना है कि स्टांप या नोटरी मैरिज का धंधा कोर्ट में सक्रिय दलालों और नोटरी की मिली भगत से चल रहा है। दलाल कई लोगों को कोर्ट के पचड़े से बचाने के लिए नोटरी मैरिज की सलाह देते हैं। इसमें वकील और नोटरी भी उनकी मदद करते हैं। इन सबको यह पता होता है कि युवक कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए नाम मात्र की शादी करना चाहता हैं, जिसका ये फायदा उठाते हैं। सीधी काेर्ट के सीनियर वकील नीरज मिश्रा का कहना है कि यदि पीड़िता चाहे तो ऐसे वकील और नोटरी के खिलाफ भी धोखाधड़ी की शिकायत कर सकती है। हालांकि कोर्ट में आज तक ऐसा एक भी मामला नहीं आया है।
आर्य समाज विवाह न केवल सरल है, बल्कि भारत में हिंदुओं की व्यापक छतरी के नीचे आने वाले अलग-अलग धर्मों के जोड़े के बीच एक मध्य मैदान के रूप में भी कार्य करता है । आर्य समाज मंदिर में वैदिक अनुष्ठानों का पालन करते हुए शादी करने को मान्यता दी गई है इस शादी को कहीं चुनौती दी जा सकती है। जबकि नोटरी से 100,200 या 500 रुपए के स्टाॅप में शादी करने को कानूनी मान्यता नहीं है। आर्य समाज यह विशेष रूप से जोड़ों द्वारा लिए दिया गया एक विकल्प है जहां एक व्यक्ति बौद्ध धर्म, जैन धर्म या सिख धर्म से संबंधित है। समारोह को आर्य समाज मंदिर में वैदिक अनुष्ठानों का पालन करने के लिए किया जाता है और इसे कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है। वास्तव में, 1937 का हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत आर्य समाज विवाह मान्यता अधिनियम है।