सिंगरौली 4 अक्टूबर। पीआईयू क्रियान्वयन एजेंसी के माध्यम से बालिका छात्रावास का निर्माण कार्य चन्द्रमा टोला कचनी में करोड़ों रूपये की लागत से कराया जा रहा है। इस भवन में गुणवत्ता की जमकर अनदेखी की जा रही है। लेकिन पीआईयू के अधिकारी गुणवत्ता पर तो कुछ नहीं बोले इतना जरूर था कि संविदाकार पर मरहम लगाते हुए सरकार को कोसते नजर आये।
गौरतलब हो कि पीआईयू क्रियान्वयन एजेंसी के द्वारा जिले में जितने भी निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं उनमें जमकर गुणवत्ता की अनदेखी हो रही है। चाहे वह ट्रामा सेंटर की बात हो या फिर गड़रिया बने छात्रावास निर्माण कार्य का। सभी कार्यों में घटिया निर्माण कार्य कराया जा रहा है। कुछ ऐसा ही मामला बालिका छात्रावास चन्द्रमा टोला का सामने आया है। जहां करोड़ों रूपये की लागत से बालिका छात्रावास का निर्माण कार्य संविदाकार के द्वारा कराया जा रहा है। इस छात्रावास के निर्माण कार्य में जहां गुणवत्ता की जमकर अनदेखी की जा रही है। वहीं श्रमिकों के पारिश्रमिक भुगतान में भी हीला-हवाली का मामला प्रकाश में आया है। स्थानीय रहवासियों के साथ-साथ सूत्रों की बातों पर गौर करें तो उक्त निर्माण कार्य मंथरगति से चल रहा है। कछुआ गति से चल रहे निर्माण कार्य को देखने तक की जहमत पीआईयू के अधिकारी नहीं जुटा पा रहे हैं। भला ऐसे में संविदाकार अपने मनमानी तरीके से निर्माण कार्य कराकर सरकार को चूना लगाने का काम कर रहा है। इसके बावजूद पीआईयू के अधिकारी कुंभकर्णीय निद्रा में सो रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि आज तक जिम्मेदार अधिकारी उक्त छात्रावास निर्माण कार्य को देखने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। उसकी वजह जो भी हो लेकिन इतनी बात जरूर सामने आ रही है कि पीआईयू के अधिकारी इन ठेकेदारों के ऊपर खूब मेहरबानी दिखा रहे हैं। अवधेश छात्रावास के गुणवत्ता की जांच हो जाए तो ठेकेदार की कारगुजारी ओं का भंडाफोड़ हो सकता है।
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सूत्रों की बातों पर गौर करें तो चन्द्रमा टोला में बन रहा बालिका छात्रावास के निर्माण कार्य में ठेेकेदार किस तरह से निर्माण कार्य करा रहा है, निर्माण कार्य में गुणवत्ता है कि नहीं इन पहलुओं को शायद पीआईयू के अधिकारी भूल गये हैं। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि एक बार जांच टीम आयी थी, लेकिन बिल्डिंग तक नहीं पहुंची। उसके पहले ही खानपान होकर लौट गयी थी। आखिर ठेकेदार के आगे पीआईयू के अधिकारी क्यों नतमस्तक हैं यह बात समझ से परे लग रही है। जबकि उक्त छात्रावास निर्माण कार्य में जमकर गुणवत्ता की अनदेखी ठेकेदार के द्वारा किया जा रहा है। यहां तक कि जो श्रमिक निर्माण कार्य में कार्य कर रहे हैं उनका पारिश्रमिक भी निर्धारित मापदण्ड के आधार पर नहीं दिया जा रहा है।
पीआईयू के कार्यपालन यंत्री ने राज्य सरकार को कोसा
बालिका छात्रावास चन्द्रमा टोला के निर्माण कार्य करोड़ों रूपये की लागत से हो रहा है। विभागीय सूत्रों की बातों पर गौर करें तो 1 करोड़ 94 लाख रूपये की लागत से निर्माण कार्य तो हो रहा है, लेकिन इस निर्माण कार्य में गुणवत्ता पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि पीआईयू के जितने भी निर्माण कार्य हो रहे हैं उसमें अधिकारी की भी सहभागिता रहती है। उक्त छात्रावास के निर्माण कार्य को लेकर पीआईयू के अधिकारी से जानकारी मांगी गयी कि आखिर इतना लेट लतीफी निर्माण कार्य में क्यों हो रहा है। क्या यह डीएमएफ फण्ड से बन रही है? तो जिम्मेदार अधिकारी की जुबान फिसल गयी और बोल गये कि डीएमएफ फण्ड से बनता तो 15 महीने में बिल्डिंग तैयार हो जाती। यह राज्य सरकार मद से बन रहा है, इसलिए देरी हो रही है और ठेकेदार कटोरा लेकर भीख मांगने जैसे काम कर रहे हैं।
इनका कहना है
बालिका छात्रावास का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। छ: महीने से काम बंद था हो सकता है अब काम चालू हो, गुणवत्ता की अनदेखी व पारिश्रमिक भुगतान की जो बात है उसे देखेंगे, लापरवाही किसी तरह की नहीं होगी।
प्रदीप चड्ढार
परियोजना अधिकारी, पीआईयू, सिंगरौली