Jyotiraditya Scindia Property: ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी (BJP) से राज्यसभा सांसद और केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। इससे पहले उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद कांग्रेस (Congress) के साथ राजनीति शुरू की थी। साल 2020 में ज्योतिरादित्य कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और उसके करीब साल भर बाद ही वह केंद्रीय मंत्री भी बन गए। बता दें कि ज्योतिरादित्य देश के चर्चित राजपरिवार से संबंध रखते हैं। आइए जानते है सम्पति के बारे में।
बता दें की सिंधिया राजघराने (Scindia Royal Dynasty) को लेकर मध्य प्रदेश में काफी सम्मान है और आजादी के बाद से ही ये परिवार राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में रहा है. लोगों के बीच सम्मान से देखे जाने वाले इस घराने में संपत्ति को लेकर गंभीर विवाद चल रहा है. करीब 30 साल पहले परिवार में संपत्ति विवाद शुरू हुआ जो करीब 40 हजार करोड़ की संपत्ति पर है. विवाद ज्योरादित्य सिंधिया और उनकी तीन बुआ के बीच में है.
आजादी के बाद सिंधिया परिवार के पास करीब 100 से ज्यादा कंपनियों के शेयर थे. इनमें बॉम्बे डाइंग के 49 प्रतिशत शेयर भी शामिल हैं. परिवार के सिर्फ ग्वालियर में करीब 10 हजार करोड़ की संपत्ति है. इनमें कई महल जैसे जय विलास, सख्य विलास, सुसेरा कोठी. कुलेठ कोठी शामिल हैं. ग्वालियर से बाहर मध्य प्रदेश में परिवार के पास करीब 3 हजार करोड़ की संपत्ति है. इनमें शिवपुरी के कई महल और उज्जैन में एक महल शामिल है. दिल्ली में परिवार के पास करीब 7 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति है. इसमें ग्वालियर हाउस, सिंधिया विला और राजपुर रोड में एक प्लॉट शामिल है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के उस राजघराने से ताल्लुक रखते हैं, जिसने कभी यहां पर राज किया था। उनके दादा जिवाजीराव सिंधिया, सिंधिया राजघराने के आखिरी मराठा महाराज थे। इस राजघराने का मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर शासन था।ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्तमान में ग्वालियर रियासत के युवराज हैं। इन्हें अपने पूर्वजों से विरासत में काफी धन संपदा और वैभव मिला है।
हलफनामे के मुताबिक, सिंधिया की कुल चल संपत्ति 3,59,31,900 रुपये की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के हलफनामे में पैतृक चल संपत्ति 45 करोड़ 24 लाख रुपये बताई है. जबकि उनके पास कुल पैतृक अचल संपत्ति 2 अरब 97 करोड़ रुपये की है. सिंधिया के पास एक अरब 81 करोड़ की पैतृक कृषि योग्य भूमि है.संपत्ति को लेकर सिंधिया राजपरिवार में बहुत लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। पहले माधवराव सिंधिया अपने परिवार के सदस्यों से ही संपत्ति की लड़ाई लड़ते थे, अब ज्योतिरादित्य सिंधिया लड़ते हैं।
40 कमरों में बने भव्य म्यूजियम में सिंधिया काल के अस्त्र-शस्त्र, डोली एवं बग्घी और कांच के पायों पर टिकी सीढिय़ों की रेलिंग प्रदर्शित की गई है।सिंधिया महल में सात-सात टन वजनी बेल्जियम के दो झुमर लगे हैं, जो दुनिया का सबसे वजनी झुमरों में से एक है। एक विशाल झूमर है जिसका वजन 3500 किलो है।कहां जाता है कि इतना वजनी झुमर लगवाने से पहले यूरोपियन आर्किटेक्ट माइकल फिलोसे ने महल के छत पर हाथियों को चढ़ाकर देखा था कि छत इन हाथियों का वजन शह सकता है या नहीं।
जय विलास पैलेस 12,40,771 वर्ग फीट में बना है। महल में कुल 400 कमरे हैं।सिंधिया महल के डाइनिंग हॉल में डाइनिग टेबल पर चांदी की ट्रेन लगी हुई है। इस ट्रेन की मदद से ही खाना परोसा जाता है।यहां घूमने के लिए भारतीय नागरिकों को 150 प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट लेना होता है। विदेशी नागरिकों के लिए टिकट की कीमत 800 रुपए है।महल में कैमरा और मोबाइल ले जाना चाहते हैं तो आपको उसके लिए अलग से शुल्क देना होगा।यह सुबह 10 बजे खुल जाता है और शाम 4 बजकर 30 मिनट तक खुला रहता है।
एफि़डेविट के अनुसार, ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास ग्वालियर में 40 एकड़ में बना जय विलास पैलेस, महाराष्ट्र के श्रीगोंडा में 19 एकड़ और लिंबन गांव में 53 एकड़ जमीन है. इसके अलावा हिरनवन कोठी, शांति निकेतन, छोटी विश्रांति, विजय भवन, पिकनिक स्पॉट, बूट बंगला, इलेक्ट्रिक पावर हाउस रोशनी घर, रेलवे कैरिज घंटी घर, रानी महल जैसी संपत्तियां भी हैं,
ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पूरे परिवार के साथ जय विलास महल में रहते हैं। इस आलीशान राजभवन के एक मालिक ज्योतिराज सिंधिया है। आपको बता दें कि यह राज भवन 1974 में ग्वालियर के महाराज जीवाजी राव सिंधिया अली शाह बहादुर के द्वारा निर्मित करवाया गया था। आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की इस महल की कीमत 4000 करोड़ रुपए से भी अधिक है इसमें काफी भव्य सजावट के साथ-साथ शानदार कलाकृतियां है।ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुताबिक उनकी कुल संपत्ति में पिता और परिवार से विरासत में मिली संपत्ति भी शामिल है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ने बताया था कि उनके पास 50 लाख के सोने के कप हैं जो 9 कैरेट के हैं। इसके साथ ही करीब 20 हजार रुपए का सिगरेट रखने का केस भी है।रिश्ते इतने ख़राब हो गए थे कि ग्वालियर के जयविलास पैलेस में रहने के लिए उन्होंने माधवराव से एक रुपए साल का किराया भी मांग लिया था. माधवराव से राजमाता इतनी नाराज थीं कि 1985 में अपने हाथ से लिखी वसीयत में उन्होंने माधवराव को अंतिम संस्कार में शामिल होने से भी इनकार कर दिया था. हालांकि राजमाता का अंतिम संस्कार बेटे माधवराव ने ही किया था.