सिंगरौली- कोरोना वायरस के लिए पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल दवाई लॉन्च होते ही विवादों में घिर गई है। मंगलवार शाम स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा दवाई लॉन्च किए जाने के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने दवाई के प्रचार प्रसार पर रोक लगा दी थी। इसके बाद बुधवार को बाबा रामदेव की दवा को एक और झटका लगा है। इस बार उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबा की दवा पर सवाल उठाया है।
इस बीच बाबा रामदेव की कोरोनिल दवा को लेकर सिंगरौली के डॉक्टर सुशील सिंह ने सोशल मीडिया पर आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाइयों के प्रचार-प्रसार में रोग लगाए जाने पर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। डॉ सुशील ने कहा है कि 280 कोरोना मरीजों के ऊपर आयुर्वेदिक कोरोनिल का ट्रॉयल हुआ उसे दरकिनार कर उस दावा के प्रचार में रोक लगा दी गयी। जयपुर हॉस्पिटल में सिर्फ 2 कोरोना मरीज हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन से ठीक हुए तो लगा मानो संजीवनी बूटी मिल गयी। पूरा विश्व भेड़चाल में चल पड़ा टैब तथा कथित ट्रायल एजेंसी और WHO ने ये नही कहा कि इसका कोरोना में क्या उपयोग ।ये भारत है अभी हम अंग्रेजों की गुलामी से उबरे नही है। । अंग्रेजी दवा चाहे जहर ही हो लेकिन उसमें पैसे का खेल ज्यादा है उनसे कोई ट्रायल का पेपर नही मांगा जाएगा पर आयुर्वेद होम्योपैथी में पैसे कम लगेंगे सरकार और मंत्रियों को थैला भी नही मिलेगा । लेकिन जनता सब समझती है आयुर्वेद या होम्योपैथी उपयोग करने वाले भी हैं वे सरकार की नियत और मजबूरी समझती है। …… सब्र रखिये,…… सैकड़ों ऐसी एलोपैथी मेडिसिन है जिनका साइड इफेक्ट्स आने के कारण आज बैन कर दिया गया है। कोई एक आयुर्वेदिक या एक होम्योपैथी दवा का नाम कोई बता दे जो बैन हुई हो।मेरा उद्देश्य एलोपैथी की आलोचना नही है पर आयुष का तिरस्कार भी बर्दाश्त नही हैं।
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