सिंगरौली: सहकारी समितियों में बड़े-बड़े खेल हो रहे हैं। कोई विक्रेता से समिति प्रबंधक बनने तक का सफर फर्जी प्रस्तावों से पूरा कर शैक्षणिक प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाई है। अधिकारियों से सांठगांठ कर 2007 तक विक्रेता के पद पर काम करते हुए बैक डेट 2005 में समिति प्रबंधक के पद पर नियुक्ति हो गई। कलेक्टर के आदेशों पर यह समिति प्रबंधक भारी था यही वजह रही कि जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद भी इसके खिलाफ अधिकारी कार्यवाही करने से बचते रहे। अब नियुक्ति की खबर आने के बाद बैंक अधिकारियों सहित समिति प्रबंधको में हड़कंप मच गया है। फर्जी समिति प्रबंधक की निष्पक्ष जांच खो जाए तो कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।
बैंक अधिकारियों के ऊपर खड़े हो रहे सवाल बताया जा रहा है कि समिति प्रबंधक फर्जी रूप से सरई समिति में नियुक्ति कराकर अंगद की तरह पाव जमा कर धान,गेहूं सहित खाद वितरण में कई बड़े बड़े घोटाले कर चुका है। सूत्रों की माने तो जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में समिति के कार्यों में वित्तीय अनियमितता के साथ ही गबन करने की गड़बड़ी सामने आई थी बावजूद इसके केंद्रीय बैंक ने समिति प्रबंधक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो जाए तो कई और राज खुलने की संभावना जताई जा रही है।
दस्तावेजों में हेर-फेर कर बना समिति प्रबंधक
मामला सरई तहसील क्षेत्र के सरई आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित का है। वर्ष 2007 में विक्रेता दस्तावेजों के साथ हेर फेर कर समिति प्रबंधक बन बैठा। समिति प्रबंधक की नियुक्ति की जांच में गड़बड़ी पाऐ जाने के बाद भी केंद्रीय बैंक द्वारा अब तक कोई कार्यवाही नहीं करना जिम्मेदारों के ऊपर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो समिति प्रबंधक धान,गेहूं खरीदी सहित खाद बिक्री में जमकर अनियमितता की है यह जांच में स्पष्ट भी हो चुका है बावजूद इसके अधिकारी इसके खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है
कांग्रेस के कद्दावर नेता का रहा संरक्षण
एक अन्य मामले में समिति प्रबंधक के कामकाज में भी गड़बड़ी पाए जाने पर कलेक्टर सिंगरौली सीधी ने प्रशासक जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित सीधी को समिति प्रबंधक सरई को सिंगरौली जिला से बाहर हटा कर अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए आदेश जारी किया गया था लेकिन समिति प्रबंधक कलेक्टर के आदेशों पर भारी पड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस समिति प्रबंधक के ऊपर कांग्रेस के एक कद्दावर नेता का हाथ रहा यही वजह रही कि अधिकारी भी इस फर्जी समिति प्रबंधक के ऊपर कार्रवाई करने से कतरा रहे थे।