उत्तराखंड के अन्य गांवों की तरह जनरल रावत का गांव सैंण भी पलायन से अछूता नहीं है। द्वारीखाल ब्लाॅक की विरमोली ग्राम पंचायत के अंतर्गत पड़ने वाले उपग्राम सैंण तक पहुंचने के लिए मुख्य मोटर मार्ग से एक किमी पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। 29 अप्रैल 2018 को दौरे के बाद जनरल रावत ने राज्य सरकार से रिश्तेदारों और ग्रामीणों के अनुरोध पर गांव में सड़क सुविधा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, जिसे सरकार ने स्वीकार कर सड़क को मंजूरी दे दी. सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। बुधवार की शाम उसकी मौत पर पूरा परिवार सदमे में है वही चाचा फूट-फूट कर रो पड़े। उन्होंने कहा कि सड़क गांव तक पहुंच जाएगी, लेकिन बिपिन गांव तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे. इस घटना के बाद से पूरे देश मे शोख की लहर है।
बता दें कि सीडीएस विपिन रावत की असमय मौत से पूरा देश स्तब्ध है और देश के साथ शॉक्ड हैं उनके परिचित दोस्त, ग्वालियर की रहने वाली डॉक्टर रोजा ओल्याई ने सीडीएस विपिन रावत और उनकी पत्नी मधूलिका रावत के साथ बिताए पलों को साझा किया, उनका कहना था कि 2018 में सिंधिया कन्या विद्यालय में विपिन रावत के ग्वालियर दौरे पर मुलाकात के क्षण वे भूल नहीं पाती हैं जब उस कार्यक्रम की ऑर्गनाइज़र रहीं उनकी पत्नी मधूलिका रावत ने कहा था कि 2022 में एक बार फिर कार्यक्रम करेंगे लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था।
दरअसल मधूलिका रावत ग्वालियर के सिधिंया कन्या विद्यालय की पूर्व छात्रा रहीं हैं और डॉक्टर रोजा ओल्याई की सहपाठी भी, डॉक्टर रोजा कहती हैं कि मधूलिका रावत स्कूल में एक बेहतर खिलाड़ी होने के साथ स्पोर्ट्स टीम की कैप्टन रही थीं वहीं वे आर्मी के जवानों की परिवार की महिलाओं के लिए एक कैंसर सहायता कैम्पेन चला रही थीं, महिला सशक्तिकरण को लेकर वे बहुत संवेदनशील रहीं, डॉक्टर रोजा की आँखें बात करते हुए बार बार नम होती रहीं इससे सीडीएस विपिन रावत और उनकी पत्नी मधूलिका रावत के प्रति उनके स्नेह को समझा जा सकता है।