सिंगरौली 2 अगस्त। जिले ही नही, बल्कि प्रदेश की खटाई एक ऐसी ग्राम पंचायत है, जहां पिछले वर्ष 2024 मार्च महीने से लेकर अब तक दो-चार नही, बल्कि 10 बार सचिव बदले गये हैं।
सचिवों के बार-बार प्रभार में फेरबदल एवं तबादला किये जाने को लेकर जहां पंचायत का विकास कार्य पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है। वही जिला पंचायत के जिम्मेदार सीईओ के कार्यप्रणाली से सरपंच के साथ-साथ ग्रामीणों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। अब ग्रामीण जिला पंचायत सीईओ को ही निशाने पर ले रहे हैं। जनपद पंचायत क्षेत्र चितरंगी के ग्राम पंचायत खटाई के सरपंच हिरामन देवी साहू ने बताया कि इस पंचायत में पिछले वर्ष 2024 के मार्च महीने से लेकर अब तक 10 बार पंचायत सचिव बदले जा चुके हैं। कुछ सचिव प्रभारी थे, तो कुछ का तबादला किया गया था। यह सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है।
सरपंच ने उदाहरण देते हुये बताया कि जिले की प्रभारी मंत्री सम्पतिया उईके के निर्देश एवं अनुमोदन उपरांत 28 जुलाई को अरविन्द कुमार शर्मा बोदाखूंटा पंचायत से खटाई एवं भगवान सिंह को खटाई पंचायत से कोरसर कोठार के लिए तबादला किया गया। लेकिन ठीक तीन दिन बाद उक्त आदेश को जिला पंचायत सीईओ सिंगरौली ने निरस्त कर भगवान सिंह को यथावत खटाई में ही कर दिये जाने की चर्चाएं जोर-शोर से है। सरपंच का आरोप है कि तीन दिवस के अंदर उक्त तबादला निरस्त करने के पीछे कहीं न कहीं राजनैतिक हस्तक्षेप है।
सरपंच का यह भी आरोप है कि जब से मैं सरपंच बनी हूॅ, तब से पंचायत के कुछ लोगों को नागवार गुजर रहा है। सरपंच पर दबाव नही है। लेकिन सचिव के सहारे पंचायत में दखल देने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और इसी के चलते इस पंचायत का विकास कार्य पूरी तरह से प्रभावित है। विकास कार्य न होने से ग्रामीणों में भी भारी नाराजगी बढ़ रही है। सरपंच ने आगे कहा कि सचिव भगवान सिंह पूर्व में सात वर्षो तक पदस्थ थे। उस दौरान लाखों रूपये की अनियमितता की गई है। यदि इन्हें फिर से खटाई पंचायत में भेजा जाता है तो ग्रामीण आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन करेंगे।
16 माह में 10 सचिवों की हुई अदला-बदली
ग्राम पंचायत खटाई की सरपंच हिरमन देवी की बातों पर गौर करे तो 16 महीने में 10 सचिवो का अदला-बदली की गई है। इस पंचायत में राजनीति के चलते कोई सचिव नही रह पा रहे हैं। क्योंकि इस पंचायत में जिलास्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक की राजनीति की सियासत के दांवपेच लगते हैं। बताया जाता है कि वर्ष 2024 फरवरी महीने में रामाधार केवट सेवानिवृत्त हुये थे, उसके बाद अतिरिक्त प्रभार श्यामसुन्दर बैस को दिया गया था। उसके बाद अरविन्द शर्मा को पदस्थ किया गया। फिर श्यामसुन्दर बैस को वित्तीय प्रभार दिया गया। इसके बाद भगवान सिंह को राजनीतिक रसूक के बल पर बुलाया गया। इसके बाद 28 फरवरी 2025 को अरविन्द शर्मा को खटाई में पदस्थ किया गया। लेकिन तीन दिन के अंदर फिर से 1 अगस्त को भगवान सिंह की पदस्थापना की गई। ऐसे में पंचायत में राजनीतिक भुचाल दिखाई दे रहा है।
जिला पंचायत में तबादला नीति की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां
म.प्र. के डॉ. मोहन यादव के सरकार ने 17 जून से तबादला पर रोक लगा दिया है। यहां बताते चले कि तबादला पर प्रतिबंध लगने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश या फिर विषम परिस्थिति में ही प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के उपरांत तबादला किया जा सकता है। हालांकि यहां पर 28 जुलाई के आदेश में जिले के प्रभारी मंत्री से अनुमोदन जरूर लिया गया है। लेकिन आरोप लगाया जा रहा है कि जब एक बार भगवान सिंह का तबादला खटाई से ग्राम पंचायत कोरसर कोठार कर दिया गया। अब निरस्त करने की कवायद क्यों की जा रही है। चर्चा है कि इसके पीछे कहीं न कहीं राजनीति हावी है। इस राजनीति के चलते पंचायत के कामकाज पर व्यापक विपरित प्रभाव पड़ रहा है। वही ग्रामीण अब जिला पंचायत सीईओ को भी सवालों के कटघर्रे में खड़ा करते हुये घोर नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं।
