Singrauli News सिंगरौली। ऊर्जाधानी हमेशा से कोयल की कालाबाजारी के लिए बदनाम रहा है यहां कोयला माफिया कोयल की कालाबाजारी करने में लगे है वही इन माफिया से सीसीएल के अधिकारियों की सांठगांठ भी अक्सर देखने और सुनने को मिलती है। कोयला माफिया और एनसीएल के अधिकारी कोयल का अवैध कारोबार कर अकूत संपत्ति बनाते हैं तो वहीं एनसीएल और पावर कंपनियों को करोड़ों रुपए का चूना लगातें हैं।
एनसीएल के गोरबी परियोजना से प्रतिदिन सैकड़ो ओवरलोड कोयले की गाडिय़ा निकल रही है। इन ओवरलाड वाहनो को निकालने में कांटा बाबू की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जा रही है। कोयले के इस खेल में एनसीएल के आला अधिकारियों को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है।
एनसीएल की गोरबी परियेाजना में जब से नये कांटा बाबू की पदस्थापना हुई है,कोयला वाहनों में क्षमता से ज्यादा कोयला बाहर निकाला जा रहा है। बताया जाता है कि जो गाडिय़ां 40 से 45 टन हेतु पास हैं,उनमें पचास टन से ज्यादा कोयला लोड होकर बाहर निकल रहा है। वहीं 55.5 टन पास कोयला वाहनों में 60 टन से ज्यादा कोयला लोड होकर बाहर निकाला जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इस गोरखधंधे में रोजाना कांटा बाबुओं को लाखों रूपये अवैध तरीके से प्राप्त हो रहे हैं। Singrauli News
सूत्रों ने बताया कि कोयले के इस खेल में एनसीएल के आला अधिकारियों की भी मिलीभगत होती है। कांटा बाबू द्वारा क्षमता से ज्यादा कोयला निकालने की एवज में जो अवैध कमाई होती है। उसका एक हिस्सा एनसीएल के आला अधिकारियों तक भी पहुंचता है। जिस कारण शिकायत के बावजूद इन कांटा बाबूओं पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती। Singrauli News
एनसीएल गोरबी परियोजना के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो कोयले के इस कारोबार में प्रतिटन पांच सौ से हजार रूपये की अवैध कमाई की जाती है। एनसीएल द्वारा कर्मचारियों को अच्छी सुविधाओं के साथ-साथ महीने में अच्छी सैलरी भी देती है इसके बावजूद कांटा बाबू अवैध कमाई से बाज नहीं आते हैं और कोयले के काले खेल में प्रतिमाह लाखों रूपये अवैध तरीके से कमाते हैं। Singrauli News