भारत को कोरोना महामारी ने गंभीर रूप से प्रभावित किया है। कोरोना संक्रमण के मामले में दुनियाभर में भारत दूसरे स्थान पर और संक्रमितों की मौत के मामले में तीसरे स्थान पर है। विश्व में कोरोना से संक्रमण और मौत के मामलों में अमेरिका पहले स्थान पर है। वर्ल्डोमीटर के मुताबिक, भारत में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या तीन करोड़ 12 लाख से ज्यादा है जबकि संक्रमण से अब तक चार लाख 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट को अभिषेक आनंद, जस्टिद सैंडेफर और अरविंद सुब्रमण्यन ने तैयार किया है।
गौरतलब है कि अमेरिकी स्टडी में दावा किया गया है कि भारत में कोरोना संक्रमण से करीब 30 से 50 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। स्टडी में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम भी शामिल है । यह आंकड़ा अमेरिका के ग्लोबल सेंटर फॉर डेवलपमेंट एक स्टडी में अनुमान लगाया है। स्टडी के सामने आने के बाद सरकार पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या सरकारी कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों के सही आंकड़ों को छुपाया है।
बता दें की इस रिपोर्ट को तैयार करने वालों में चार साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन भी शामिल हैं। स्टडी में दावा किया गया है 30 से 50 लाख लोगों की मौत हुई है यह संख्या भारत सरकार के आंकड़ों से 10 गुना से भी ज्यादा है। जबकि सरकारी आंकड़ों में कोविड के 4 लाख 18 हजार के करीब मौतें ही दर्ज की गई हैं। सुब्रमण्यम ने कहा की हमारा हेल्थकेयर सिस्टम इतना कमजोर है कि मौत के सही आंकड़ों की सही गिनती नहीं हुई है. अब बात आती है कि हम सही आंकड़े कैसे निकालें तो सबसे पहले तो ये कि कोविड से मौत के सही आंकड़े निकालना मुश्किल है. इसलिए हमने तीन अलग-अलग सोर्स को समझा और इस हिसाब से अनुमान लगाया.
सरकार को डेटा रिलीज करना चाहिए
सुब्रमण्यम से जब पूछा गया कि क्या अब सरकार को डिनायल मोड से बाहर आना चाहिए और सच्चाई बतानी चाहिए. इस पर उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि सरकार के पास जो भी डेटा है, उसे रिलीज करना चाहिए. क्योंकि इससे हमें सिर्फ यही मदद नहीं मिलेगी कि हुआ क्या है, बल्कि इससे हम महामारी से कैसे निपटना है, उसको रिस्पॉन्स कैसे करना है, ये भी समझ सकेंगे.उन्होंने कहा, सरकार को सारा डेटा पब्लिक करना चाहिए, क्योंकि आखिरकार एक देश, एक समाज के रूप में ये हमारी मदद ही करेगा कि हमें इस महामारी से कैसे निपटना है. उन्होंने कहा कि दुनिया की कोई भी सरकार इस महामारी से सही तरीके से निपटने में नाकाम रही है, सभी ने गलतियां की हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम उनसे सीखें नहीं.
मौतें के आंकड़ों में बड़ा अंतर ?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जून 2021 तक देश में 4 लाख के आसपास मौतें हुई थीं, लेकिन स्टडी कहती है कि कम से कम 34 लाख और ज्यादा से ज्यादा 49 लाख मौतें हुई होंगी. इतना बड़ा अंतर कैसे? इस बारे में सुब्रमण्यम कहते हैं, इसका मुख्य कारण है कि हमारा इन्फोर्मेशन सिस्टम उतना मजबूत नहीं है, जितना होना चाहिए. इसके साथ ही राजनीतिक इच्छाशक्ति का मजबूत होना भी बहुत जरूरी है. तो कुल मिलाकर कैपेसिटी और राजनीतिक इच्छाशक्ति में कमी की वजह से आंकड़ों में अंतर है.
मौत के आंकड़ों में लगाए गए तीन अनुमान
रिपोर्ट में मौतों के आंकड़े को लेकर तीन अनुमान लगाए गए हैं। हर अनुमान के अनुसार, चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। एक दिन में 4 लाख मौतों का आंकड़ा कई बार देखने को मिला। स्टडी में जो सबसे कम अनुमान लगाया गया है, उसके हिसाब से आधिकारिक आंकड़ों से 34 लाख ज्यादा मौतें हुईं। यह अनुमान सात राज्यों के नगर निकायों के ट्रेंड्स को आधार बनाकर लगाया गया।कहा ये भी गया है कि पहली लहर (First Wave) ज्यादा घातक थी, लेकिन उसमें डेथ रेट (Death Rate) कम था, पर उसके बावजूद उस लहर में 20 लाख मौतें होने की आशंका है. स्टडी में कहा गया है कि वास्तविक मौतों की संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में हुई है, जो आजादी और बंटवारे के बाद सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी है.
बाकी दो अनुमान क्या कहते हैं?
दूसरा अनुमान उम्र के हिसाब से मृत्यु-दरों के अंतरराष्ट्रीय अनुमानों पर आधारित है। इसमें करीब 40 लाख मौतें हुईं हैं, ऐसा कहा गया। रिपोर्ट में तीसरा अनुमान कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के एनालिसिस पर आधारित है। यह सर्वे सभी राज्यों के 8 लाख से ज्यादा लोगों पर किया गया। इस अनुमान में कोविड से 49 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होने का दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड -19 से हुई मौतें ‘ सरकारी आधिकारिक आंकड़ों से कई गुना ज्यादा हैं’। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कोविड से जान गंवाने वालों की संख्या लाखों में नहीं बल्कि करोड़ो में है।