सिंगरौली – बैढन ग्राम पंचायत अमिलवान में मनरेगा योजना अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य मिलर मशीन से कराया जा रहा है। सचिव और रोजगार सहायक मनरेगा के तहत विकास कार्यों को मजदूरों से नहीं कराकर मिलर मशीन से कराने के चलते गांव में रहने वाले गरीब मजदूर काफी परेशान है। इन मजदूरों से मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं कराई जा रही है। मजदूरी नहीं मिलने से ग्रामीण अपने परिवार का भरण पोषण तक ठीक ढंग से नहीं पा रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी उन मजदूरों को होती है। इनके पास खेती करने के लिए एक इंच भी जमीन नहीं है। यह लोग केवल मजदूरी के भरोसे ही रहते है। गांव में काम नहीं मिल पाने की वजह से अधिकतर मजदूर शहरों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर है।
गौरतलब है कि मनरेगा योजना को शुरू करने के पीछे सरकार का मकसद था कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीब मजदूरों को कम से कम 100 दिन रोजगार मिले। जिससे गरीब मजदूरों को मजदूरी के लिए शहरों की तरफ पलायान नहीं करना पड़े और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो। इसलिए सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों को आदेश किया था कि गांवों में होने वाले विकास कार्यों में मनरेगा के तहत गरीब मजदूरों से मजदूरी कराई जाए।
जनपद पंचायत बैढ़न के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अजीत सिंह बरवा के संरक्षण के कारण लगातार मनरेगा के कार्यों में मिलर मशीन लगाकर निर्माण कार्य कराया जा रहा है जबकि इसकी शिकायत खुद सखौंहा जनपद सदस्य पारसनाथ प्रजापति ने सीईओ से किया था लेकिन सीईओ जांच करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। ऐसे में चर्चा है कि सीईओ खुद कमीशन के चक्कर में मजदूरों के हक में डाका डाल रहे हैं। वहीं मनरेगा के कार्यों में मजदूरों को काम न देकर मिलर मशीन से पीसीसी सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
यह पूरा मामला जनपद पंचायत बैढ़न के ग्राम पंचायत अमिलवान का है। जहां सरपंच राममिलन खैरवार, सचिव अजीत उपाध्याय और रोजगार सहायक तुलसी दास शाह के द्वारा लगातार मनरेगा के कार्यों में मिलर मशीन के माध्यम से ही कराया गया है। हैरानी इस बात की भी है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बैढ़न से होने के बाद भी जिम्मेदारों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। सूत्र बताते हैं कि इंजीनियर,एसडीओ सहित सीईओ सरपंच सचिवों को संरक्षण देकर अवैध वसूली करते हैं।
वहीं फर्जी मजदूरों से काम दिखाकर फर्जी तरीके से राशि का भुगतान किया जा रहा है। ग्राम पंचायत अमिलवान नरेगा पोर्टल पर लगभग 687 मजदूर पंजीकृत हैं। जिसमें सैकड़ो पंजीकृत फर्जी मजदूरों के खाते में राशि का भुगतान कराकर पैसों का बंदनवाट किया जाता है।
