सिंगरौली। जिले के बगदरा अभयारण्य में प्रतिबंध के बावजूद बड़े पैमाने पर हो रहा अवैध मिट्टी उत्खनन अब गंभीर पर्यावरणीय और प्रशासनिक चिंता का विषय बन गया है। माची और जगमार बीट के अंतर्गत ग्राम बकिया क्षेत्र में 10 से अधिक स्थानों पर भारी मशीनों द्वारा मिट्टी की खुदाई की पुष्टि हुई है, जिसने संरक्षण क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार अवैध उत्खनन दिन और रात दोनों समय चलाया गया। मिट्टी को बाहर निकालकर निजी निर्माण कार्यों में उपयोग किया गया, जो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण कानूनों का सीधा उल्लंघन है। अभयारण्य क्षेत्र में किसी भी प्रकार की खनन गतिविधि पूरी तरह प्रतिबंधित है, इसके बावजूद इस तरह खुलेआम मशीनें चलना वन विभाग और पुलिस की संयुक्त जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कई महीनों से यह गतिविधि जारी है, लेकिन न तो विभागीय निरीक्षण सख्त हुआ और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई की गई। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि मौखिक शिकायतों के बावजूद अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे लापरवाही या संभावित मिलीभगत की आशंका गहराती जा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी हटने से जंगल की ज़मीन, जल स्रोत, वन्य जीवों के आवास और क्षेत्र की जैव विविधता पर दीर्घकालिक दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। वर्षा जल का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होने से भविष्य में कटाव और जल संकट जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय नागरिकों ने संपूर्ण प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लगी तो बगदरा अभयारण्य की पारिस्थितिकी तंत्र को अपूरणीय क्षति हो सकती है। अब सवाल यही है—जिम्मेदार विभाग कार्रवाई कब करेगा?
