सिंगरौली। सोन घड़ियाल अभ्यारण्य इन दिनों अवैध रेत खनन के बड़े केंद्र में तब्दील हो गया है। बगदरा पुलिस और अभ्यारण्य अधिकारियों पर संरक्षण देने के आरोपों के बीच मटिहवा और क्योंटली घाट से बड़े पैमाने पर रेत निकासी का गोरखधंधा जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में सैकड़ों ट्रैक्टर–हाइवा मशीनों से रेत चोरी की जाती है और सुबह होते ही प्रशासन की मौजूदगी में उसका डंपिंग कर दिया जाता है।
गौरतलब है कि आठ महीने पहले मटिहवा क्षेत्र में पुलिस ने सैकड़ों डंपर रेत जब्त की थी, लेकिन आज वही जगह रेत कारोबारियों का मजबूत भंडारण केंद्र बन गई है। सोन नदी से नई रेत निकालकर इस डंपिंग में जमा की जाती है और फिर डिमांड के अनुसार ऊँचे दामों पर बेची जाती है। सूत्र बताते हैं कि कई बार पुलिस स्वयं रेत को सुरक्षित स्थानों पर डंप करवाती हुई देखी गई है, जिससे मिलीभगत के आरोप और मजबूत हो रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि पूरा नेटवर्क बगदरा चौकी प्रभारी और रेत माफियाओं की सांठगांठ से चल रहा है। मटिहवा का यह भंडारण स्थल चितरंगी, गढ़वा क्षेत्र से लेकर उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों तक रेत सप्लाई का हब बन चुका है। रोजाना सैकड़ों डंपर बिना रोकटोक गुजरते हैं, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
अत्यधिक रेत निष्कर्षण से अभ्यारण्य के घड़ियाल, मगरमच्छ और अन्य वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास भी खतरे में हैं। जानकारों के अनुसार, अभ्यारण्य से हर महीने करोड़ों की रेत निकाली जाती है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई नगण्य है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस बड़े रैकेट पर तुरंत रोक लगाई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
