सिंगरौली 24 मई। सिंगरौली जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के द्वारा पत्रकारों के खिलाफ की गयी टिप्पणी से भाजपाई भी काफी खफा दिखाई दे रहे हैं। अब तो पत्रकारों के सुर से सुर भाजयुमो के पदाधिकारी भी मिलाने लगे हैं। एएसपी के कार्यप्रणाली से सभी नाखुश हैं। इनके इस रवैये को लेकर प्रदेश शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराने वाले हैं। क्योंकि जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तो इन अधिकारियों के द्वारा काफी उपेक्षित किया गया था।
इधर बताते चलें कि अभी हाल ही में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जिलेवार सड़क दुर्घटनाओं को लेकर जानकारी मांगने के लिए एक मीडिया के साथी ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पास जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया। एएसपी से जब मीडिया के साथी ने जानकारी मांगी तो एएसपी साहब इतने खफा हो गये कि शायद खबरनवीश ने उनसे कुछ और मांग लिया। उनका लहजा देखने व सुनने लायक था। आव न देखा ताव आग बबूला होते हुए यहां तक पत्रकारों के खिलाफ बोल गये कि जब तक कोरोना है तब तक पत्रकारों को अंदर नहीं आने दिया जायेगा। पता नहीं कहां-कहां घूमते हैं कहीं संक्रमित न हो जायें। ऐसे में कार्यालय में इन्हें आने की अनुमति नहीं मिलेगी और जो जानकारी मांग रहे हों उन्हें जानकारी दे दी जाय और हिदायत दी जाय कि दोबारा जब तक कोरोना है पुलिस अधीक्षक कार्यालय में न आयें। इस तरह के बड़बोलेपन एक जिले के जिम्मेदार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के थे।
सीधी से ही एएसपी का विवादों से है नाता
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का विवादों से सीधी से नाता जुड़ा हुआ है। जब ये सीधी में थे तो मार्च 2018 के महीने में अधिवक्ताओं पर लाठी चार्ज का भी आरोप है। इसके अलावा उन्होंने पत्रकारों को भी नहीं बक्सा था। यह रवैया सिंगरौली में भी अपनाने का प्रयास कर रहे हैं। शायद इसीलिए अपनी बद्जुबानी को दिखाने का प्रयास किया है, लेकिन कारनामे की अब घोर निंदा होना शुरू हो गयी है।
भाजपा के पदाधिकारी भी काफी हुए हैं उपेक्षित
म.प्र.में जब कांग्रेस की सरकार थी तो इस जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा काफी उपेक्षित किया गया था। बताया तो यह भी जाता है कि यह जिम्मेदार अधिकारी की तूती उस समय काफी बोलती थी, क्योंकि उस समय उन्हीं के गृह जिले का एक मंत्री हुआ करते थे और जिनका प्रभार सिंगरौली था। उस समय इन भाजपाईयों के साथ भी काफी उपेक्षित करने के आरोप भी लग चुके हैं। इससे भाजपाई भी काफी खफा दिखाई दे रहे हैं।
भाजयुमो सिंगरौली के कई ऐसे पदाधिकारी हैं जो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की कार्यप्रणाली से नाराज हैं और उन्होंने यह भी कहा है कि पत्रकारों के साथ जिस तरह व्यवहार किया है वह गलत है। भाजयुमो इसकी घोर निंदा करता है। साथ ही यह भी कहा कि कोरोना वायरस के चलते हम सभी को सोशल डिस्टेंसिंग व शासन-प्रशासन के दिशा-निर्देशें का शत-प्रतिशत पालन करना चाहिए। यदि एसपी दफ्तर के अंदर किसी को आने जाने से रोक लगाया गया है तो यह सबको पहले ही जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा दी जानी चाहिए थी। कोरोना से कौन संक्रमित है कौन नहीं यह तो लक्षण आने के बाद ही पता चल पाता है। बावजूद इसके एएसपी ने अचानक आपा खो दिया जबकि पुलिस के ही एक दर्जन से अधिक जवानों को होम क्वारेंटाइन किया गया है।