पार्षद ने कहा महापौर रबर स्टैंप हैं, पर्दे के पीछे रिमोट कोई और चला रहा, इन्हें निगम अधिनियम की नहीं हैं जानकारी
सिंगरौली : नगर निगम में आए दिन नया तमाशा देखने को मिलता है। अब निगम अध्यक्ष देवेश पांडे द्वारा धारा 30 के तहत बुलाई गई विशेष परिषद बैठक में महापौर महोदय का चेहरा नज़र नहीं आया। हालांकि यह कोई पहली मर्तबा नहीं है जब परिषद बैठक में महापौर नहीं रही। इसके पहले भी कई बार वह बैठकों में नजर नहीं आई। चर्चा है कि महापौर सवालों की बौछार से बचने कि लिए बैठक से पहले ही जाने में ही अपनी भलाई समझी।
गौरतलब है कि एक राष्ट्र एक चुनाव के समर्थन, जीएसटी दरों में ऐतिहासिक कमी और आत्मनिर्भर भारत संकल्प प्रस्ताव पारित करने के लिए 15 पार्षदों ने परिषद अध्यक्ष को परिषद आयोजित करने के लिए पत्र लिखा था जिसके बाद परिषद अध्यक्ष ने विशेष परिषद बैठक आयोजित की थी।
चर्चा है कि बैठक में पिंक टायलेट, वाटर एटीएम,फॉगिंग मशीन और स्प्रिंकलर खरीदी में हुई वित्तीय अनियमितता के मामले में महापौर को घेरने की भी तैयारी थी। विकास कार्यों में भ्रष्टाचार सहित बाजार दर से दोगुना कीमत पर फॉगिंग मशीन और स्प्रिंकलर खरीदी में उठे सवालों से महापौर पहले ही परेशान थीं। जैसे ही बैठक की सूचना मिली, मानो उनके कुर्सी से धुआं उठ गया और महापौर जी गायब होने में ही अपनी भलाई समझी।
अब विपक्ष पूछ रहा है – क्या यह पारदर्शिता है या धुंध की राजनीति? नगर निगम अध्यक्ष देवेश पांडे डीएफएफ फंड में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पार्षदों ने शिकायत किया है कि फॉगिंग मशीन और स्प्रिंकलर खरीदी बाजार दर से दोगुना से अधिक दामों पर की गई हैं। इस अनियमितता की जांच लोकायुक्त या फिर ईओडब्ल्यू एजेंसी से होगी तो कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे।
विकास चाहिए, अधिनियम नहीं जवाब चहिए
नगर निगम परिषद की बैठक का बहिष्कार करते हुए आम आदमी पार्टी की महापौर रानी अग्रवाल ने कहा कि बैठक नियम विरुद्ध बुलाई गई है। मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम 1956 की 295 की धारा के तहत परिषद की बैठक बुलाने से पहले महापौर को औपचारिक सूचना और एजेंडे पर अनुमोदन लेना आवश्यक होता है, लेकिन इस प्रक्रिया की अनदेखी की गई है। यह लोकतांत्रिक परंपराओं का सीधे तौर पर उल्लंघन है। महापौर के जवाब से जनता का तीखा सवाल—महापौर जी, बैठक से भागकर आप क्या साबित करना चाहती हैं? अधिनियम का सहारा लेकर जवाबों से बचना क्या जिम्मेदारी से भागना नहीं? शहर विकास की बजाय कुर्सी बचाने की राजनीति क्यों? जनता को अब भाषण नहीं, ईमानदार जवाब और ठोस काम चाहिए।
महापौर रबर स्टैंप हैं, पर्दे के पीछे रिमोट कोई और चला रहा
बार्ड 42 के पार्षद संतोष साह ने कहा महापौर को मध्य प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1956 की विशेष संविलयन धारा 30 के बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं है। इन्हें किसी पढ़े-लिखे योग्य व्यक्ति से समझना चाहिए। नगर निगम अधिनियम के अनुसार, अध्यक्ष विशेष बैठक बुला सकता है और यदि एक-तिहाई पार्षद लिखित मांग करें, तो उसे दो सप्ताह के भीतर बैठक बुलाना अनिवार्य होता है। उन्होंने महापौर पर तंज कसते हुए कहा “महापौर को नियमों की जानकारी नहीं, वे तो बस रबर स्टैंप हैं, पर्दे के पीछे से रिमोट कोई और चला रहा है। उन्होंने कहा कि महापौर की सारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। वह परिषद बैठक से भाग रही हैं। महापौर का यह रणनीतिक बहिष्कार नहीं बल्कि रणनीतिक भागना था। जनता पूछ रही है जब जवाब देने का वक्त आया, तब महापौर जी कहां चली गईं?
इनका कहना है
धारा 30 के तहत बुलाई गई विशेष संविलियन बैठक पूरी तरह नियमानुसार हुई। महापौर पहली बार नहीं है जब वह चर्चा से भाग रही है। उनके इस कृत्य से नगर का विकास प्रभावित हो रहा है। इस बैठक में निर्धारित एजेंडे के साथ शहर के विकास से जुड़े कई अहम विषयों पर सार्थक और रचनात्मक चर्चा की गई, जिससे नगर हित में ठोस निर्णय लिए जा सकें।
देवेश पांडे, नगर निगम अध्यक्ष, सिंगरौली
