Singrauli News : सिंगरौली 7 अगस्त। चितरंगी ब्लाक के दुर्गम क्षेत्र संजय नेशनल पार्क बगदरा अभ्यारण्य क्षेत्र के तीन दर्जन पंचायतों को मुक्त किये जाने का मामला अब धीरे-धीरे तूल पकडऩे लगा है। जिला उपाध्यक्ष अर्चना-नागेन्द्र सिंह की अगुवाई में आज कलेक्टर सिंगरौली को ज्ञापन सौंपा गया है। इस दौरान कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष ग्रामीण ज्ञानेन्द्र द्विवेदी, प्रदेश सचिव अमित द्विवेदी,कांग्रेस नेता बाल मुकुन्द सिंह सहित अन्य कांग्रेसी मौजूद रहे।
Singrauli News : कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष अर्चना-नागेन्द्र सिंह ने बताया कि बगदरा अभ्यारण्य क्षेत्र के अंतर्गत करीब 5 दर्जन गांव और तीन दर्जन पंचायतें शामिल हैं। अभ्यारण्य होने के नाते इस क्षेत्र का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है। विकास कार्यों में अभ्यारण्य का अमला रोड़ा बना हुआ है। यहां के भूमियों की रजिस्ट्री पर रोक लगाया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि यहां न तो काले मृग हैं और न ही अब जंगल बचा है। केवल विकास कार्यों में अभ्यारण्य के अधिकारी, कर्मचारी इसी आड़ में लोगों एवं क्रियान्वयन एजेंसियों को परेशान कर रहे हैं। एमपीईबी का पावर स्टेशन बगदरा क्षेत्र में मंजूर है। इसी तरह बेलदरा बांध की दोबारा राशि मंजूर हुुई, किन्तु अभ्यारण्य रोड़ा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उच्च न्यायालय की शरण लेना है। उच्च न्यायालय जबलपुर में पीआईएल दाखिल करूंगी।
हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल करने की तैयारी
बगदरा अभ्यारण्य केवल नाम मात्र का रह गया है। जंगल के स्थान पर केवल कैमोर पहाड़ व पेंड़ों के ठूंठ तथा चट्टाने ही नजर आते हैं। पेंड़-पौधे नाम मात्र के रह गये हैं। जबकि अभ्यारण्य बगदरा का कैमोर जंगल में एक जमाने में बांस बहुतायत मात्रा में पाया जाता था। किन्तु करीब तीन दशक से कैमोर पहाड़ के जंगल में बांस के ठूंठ ही नजर आते हैं। वहीं भोर के समय रोजाना मोर पंक्षी के कुहूक की आवाज भी सुनाई देती थी। तीन दशक पूर्वक कभी-कभार टाइगर के दहाड़ को भी लोग सुनते थे और बगदरा क्षेत्र मुख्यत: काले मृग बहुतायत मात्रा में पाये जाने के नाम से पूरे प्रदेश में चर्चित था, किन्तु अब यह सब कहानी बनकर रह गयी है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष अर्चना-नागेन्द्र सिंह ने नवभारत से कहा है कि अब बगदरा को अभ्यारण्य से मुक्त कराने उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिल करूंगी।
सोन नदी को सेंचुरी से मुक्त कराने शुरू हुई मांग
गौरतलब हो कि राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र के अंश भाग को सरकार के दखल के बाद हटा दिया गया है। इसके लिए बकायदे म.प्र.राजपत्र में 31 जनवरी 2023 को प्रकाशन भी किया गया था। चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र में रेत उत्खनन किये जाने का मुद्दा था। जहां आमजनों के आजीविका से जोड़ा गया था। म.प्र.शासन के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (व.प्रा.)के द्वारा वन मण्डलाधिकारी मुरैना को इस बावत् डिनोटीफिकेशन की अधिसूचना का प्रकाशन म.प्र.राजपत्र में हो जाने की जानकारी से अवगत कराया था। चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र के अंश भाग को मुक्त कराये जाने के तर्ज पर अब सोन नदी को भी सोन घडिय़ाल अभ्यारण्य से मुक्त किये जाने की मांग की जावेगी। समाजसेवियों का कहना है कि सोन घडिय़ाल के लिए एक-दो स्थान ही चिन्हित हैं। पूरे करीब दो सौ किमी नदी को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। इन्हीं मुद्दों को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल किया जायेगा।
पंचायतों के सरपंचों ने भी लामबंद होकर दिया प्रस्ताव
जानकारी के मुताबिक चितरंगी जनपद पंचायत क्षेत्र के उप तहसील बगदरा अंतर्गत तकरीबन 3 दर्जन ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने अभ्यारण्य से मुक्त कराये जाने को लेकर सर्व सम्मति से पंचायत के ग्राम सभा से पास कर दिया है। पंचायतों के सरपंचों का यही कहना है कि अभ्यारण्य क्षेत्र होने के नाते पंचायतों का विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। यदि बगदरा क्षेत्र के किसी भी पंचायत में कोई भी निर्माण कार्य शुरू किया जाता है तो सबसे पहले उक्त विभाग का अमला कार्यों को रोक देता है। जिसके चलते इस क्षेत्र का बमुश्किल से विकास हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में उक्त क्षेत्र को अभ्यारण्य से मुक्त किया जाना उचित होगा। Singrauli News
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