सिंगरौली।नगर निगम में पाइप घोटाला, स्टोर घोटला और सिविल घोटाला की खबरें कई बार सुने होंगे लेकिन अब नगर निगम में कंप्यूटर ऑपरेटर में करोड़ों का घोटाला बताया जा रहा है। करोड़ों का घोटाला इसलिए कि कई सालों से जिम्मेदारों ने अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए आउटसोर्सिंग कंपनी में ऐसे लोगों को कंप्यूटर ऑपरेटर बनावा दिया जिन्हें कंप्यूटर की एबीसीडी तक नहीं आती थी। इस बात का खुलासा नगर निगम कमिश्नर की जांच के दौरान सामने आई है। कमिश्नर के लगातार कार्यवाही से अधिकारियों में हड़कंप मचा है।
बता दें कि नगर निगम में आउटसोर्सिंग में दो दर्जन के करीब ऐसे लोगों को कंप्यूटर ऑपरेटर में नियुक्ति दी गई है जिन्हें कंप्यूटर की बेसिक जानकारी भी नहीं है। नगर निगम कमिश्नर के निरीक्षण में इसका खुलासा होने के बाद जिम्मेदारों की जमकर क्लास ली। कमिश्नर ने रियलिटी चेक करने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर का टेस्ट लेना शुरू किया तो 13 लोग ऐसे मिले जिन्हें कंप्यूटर बिल्कुल भी नहीं आता था। वहीं नगर निगम में कंप्यूटर ऑपरेटरो की भर्ती को लेकर पूछा कि इन्हें किन अधिकारियों ने कंप्यूटर ऑपरेटर पर नियुक्ति दी है। इन्हें किस काम के लिए भुगतान किया जा रहा था इसका भी जवाब मांगा है। वहीं अधिकारियों को फटकार लगाते हुए व्यवस्था सुधारने के निर्देश देते हुए 15 दिन के भीतर तेरह कंप्यूटर ऑपरेटर को योग्यता साबित करने का समय दिया गया है यदि उन्हें कंप्यूटर नहीं आता तो उन्हें पद से हटाया जाए या फिर दूसरे काम लिए जाएं ।
चर्चा है कि नगर निगम में सभी अधिकारियों के चार से पांच लोगों को कंप्यूटर ऑपरेटर बनाया गया है। ऐसे में सवाल यह है कि जब कंप्यूटर चलाना ही नहीं आता तो वह कर्मचारी काम क्या करता होगा। वहीं कई ऐसे ऑपरेटर थे जो टेस्ट का नाम सुन कर भाग खड़े हुए। कमिश्नर ने कहा कि लगातार गुणवत्ता सुनिश्चित करने और धरातल पर उनके सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं।
टेस्ट का नाम सुनकर भागे ऑपरेटर
बताया जा रहा है कि कमिश्नर डीके शर्मा को शिकायत मिल रही थी कि कई ऐसे ऑपरेटर हैं जो बिना काम के सैलरी ले रहे हैं। वास्तविकता जानने के लिए वह कंप्यूटर ऑपरेटर के काम के बारे में जानने ऑपरेटर के पास पहुंच गए। लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर कंप्यूटर चलाने के बजाय बैठे नजर आए ऐसे में उन्हें शंका हुई और उन्हें लगा कि यह भले ऑपरेटर है लेकिन इन्हें काम नहीं आ रहा। कमिश्नर ने जब ऑपरेटर से कंप्यूटर की बेसिक जानकारी पूछी तो नहीं बता पाए। यह सब देखकर वह हैरान रह गए। वह एक-एक करके कई ऑपरेटर से कंप्यूटर की जानकारी ली। जिसमें 13 ऐसे कंप्यूटर ऑपरेटर मिले जिन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता था। वहीं इस दौरान कई ऐसे कंप्यूटर ऑपरेटर थे जो टेस्ट का नाम सुनकर ही भाग खड़े हुए। ऐसे में चर्चा है कि जो कंप्यूटर ऑपरेटर टेस्ट से बचने के लिए भागने उन्हें कंप्यूटर की एबीसीडी तक नहीं आती होगी। इसीलिए वह भागने में ही भलाई समझें।
करोड़ों का हुआ भ्रष्टाचार
नगर निगम में आउटसोर्सिंग में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। इस बार नगर निगम कमिश्नर ने कंप्यूटर ऑपरेटरों की भर्ती में गड़बड़ी बेपर्दा किया हैं। कंप्यूटर ऑपरेटर के काम की समीक्षा करते हुए पाया कि आउटसोर्सिंग से रखे गए कंप्यूटर ऑपरेटर ऐसे हैं जिन्हें ठीक से कंप्यूटर चलाना नहीं आता है यह कर्मचारी कई सालो से निगम मे कार्य कर रहे है लेकिन सवाल यह है कि आखिर निगम में ऐसे लोगों को कंप्यूटर ऑपरेटर क्यों रखा गया जिन्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता। वही सवाल है कि आउटसोर्सिंग कंपनी को इन ऑपरेटर को रखने के लिए कौन मजबूर किया, बिना काम कराएं इनका भुगतान कैसे हो रहा है, किस अधिकारी के कितने लोग लगे हुए हैं, क्या अधिकारियों का भी इसमें कमीशन है, जैसे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
इनका कहना है
जांच के दौरान 13 ऐसे कंप्यूटर ऑपरेटर मिले जिन्हें कंप्यूटर नहीं आता। 15 दिन का समय दिया गया है यदि सुधार नहीं होता तो उन्हें अन्य कामों में लगाया जाएगा।डीके शर्मा,कमिश्नर नगर पालिक निगम सिंगरौली