आलेख -नवीन मिश्रा
सिंगरौली। चितरंगी थाना पुलिस पर दो अवैध शराब और कारोबारियों को पहले पकड़ने और फिर छोड़ देने की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। हालांकि पुलिस पर इस तरह के आरोप कोई पहली बार नहीं, इसके पहले भी अवैध रेत के कारोबार में लगे वाहन और जेसीबी को पकड़ने और फिर पैसे लेकर छोड़ने के आरोप लग चुके हैं। पकड़ने और छोड़ने के इस खेल से आम लोगों में पुलिस की छवि भी खराब हो रही।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चितरंगी पुलिस ने बीते सोमवार को चिकनी गांव पहुंची, जहां संजय जायसवाल के यहां लहान पकड़ा, फिर उसे पुलिस कार्यवाही और जेल का डर दिखाया। इसके बाद पुलिस 1 लाख देने का दबाव बना रही थी, लेकिन बाद में 40 हजार में बात बन गई। वही एक दूसरे मामले में खैरा गांव में नीरू केवट के यहां पुलिस ने देशी शराब पकड़ने गई थी, उसके पास भी भारी मात्रा में अवैध शराब पकड़ी गई। जिसके बाद पुलिस कार्यवाही न करने के एवज में वरिष्ठ अधिकारियों को मैनेज करने के नाम पर एक लाख रुपए देने का दबाव बनाया। जहां 70 हजार रुपए लेकर उसे भी छोड़ दिया।
सूत्रों का दावा है कि पकड़ने और छोड़ने के सुनियोजित खेल में प्रधान आरक्षक लक्ष्मीकांत मिश्रा का नाम सबसे ऊपर आता है। कहते हैं कि यह इस काम में इतने माहिर है कि मजाल क्या कि इन्हें कोई पकड़ पाए। यह अपराधियों से दो कदम आगे की सोचते हैं।
सुनियोजित रहता है सिस्टम का खेल
सूत्रों का दावा है कि नए थाना प्रभारी आने के बाद यहां रेत का कारोबार पूरी तरह से बंद है। पुलिस ढूंढ-ढूंढ कर रेत कारोबारी को पड़ती है। इस बीच सुनियोजित तरीके से पूरा सिस्टम पकड़ने और फिर छोड़ने का खेल होता है। दावा तो यह भी है कि अवैध रेत में पकड़े गए ट्रैक्टरों को राजसात करने का डर दिखाकर एक से दो लाख रुपए लेकर छोड़े हैं। जबकि जेसीबी को छोड़ने के लिए पांच लाख रुपए में बात बनीं।